देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का विवादों से पुराना नाता रहा है. कभी नियुक्ति तो कभी अधिकारियों की आपसी तकरार ने हमेशा ही विश्विद्यालय की परेशानियों को बढ़ाया है. ऐसे में अब खबर है कि इन विवादों से छुटकारा पाने के लिए अब उत्तराखंड सरकार विश्वविद्यालय का नाम ही बदलने की कवायद में जुटी है. वहीं, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को बदनामी से बाहर निकालने के लिए नाम बदलना का यह तरीका बड़ा अजीबोगरीब लग रहा है. जानिए क्या है ये पूरा मामला...
उत्तराखंड में तमाम शिक्षण संस्थान अक्सर विभिन्न मुद्दों को लेकर विवादों में रहते हैं लेकिन इन विवादों से बचने के लिए उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुछ ऐसा हो रहा है जो अब से पहले नहीं हुआ. अब इसे आयुष मंत्री हरक सिंह रावत का अंधविश्वास विश्वास कहें या बीजेपी की नई रीत. क्योंकि, नाम बदलने की कवायद बीजेपी सरकार ने ही शुरू की थी. ऐसे में राज्य में एक विश्वविद्यालय को विवादों से छुटकारा दिलाने के लिए इसके नाम को बदलने के निर्णय पर विचार किया जा रहा है.
सूत्र बताते हैं कि आयुर्वेद विश्वविद्यालय में लगातार राज्य स्थापना के बाद से ही विभिन्न विवादों के चलते ही इस विश्वविद्यालय का नाम बदलने का फैसला किया गया है. साथ ही अब इसका नाम महर्षि चरक के नाम पर रखने की तैयारी की जा रही है.
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आपको बता दें कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय विभिन्न नियुक्तियों में धांधलियों को लेकर चर्चाओं में रहा है. यही नहीं विश्वविद्यालय में अधिकारियों की आपसी रंजिश या टकराव के कारण भी विश्वविद्यालय की छवि को खराब किया है. उधर, आयुष मंत्री हरक सिंह रावत भी मानते हैं कि विश्वविद्यालय पिछले कुछ समय में काफी ज्यादा बदनाम हुआ है. ऐसे में इस विश्वविद्यालय के नाम को ही बदलने की कवायद हो रही है.
हालांकि, हरक सिंह रावत ने विश्वविद्यालय को विवादों से बचाने के लिए नाम बदले जाने की बात को तो स्वीकार नहीं किया लेकिन इतना जरूर कहा कि विश्वविद्यालय को लेकर उनकी कुलपति सुनील जोशी से भी बातचीत हुई थी और जिस तरह से लगातार विश्वविद्यालय विवादों में रहा है, उससे विश्वविद्यालय के साथ ही छात्रों का भी अहित हो रहा है. लिहाजा, विश्वविद्यालय की छवि को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आयुष मंत्री की सोच के बाद क्या उत्तराखंड विश्वविद्यालय की छवि सुधर पाएगी? और क्या केवल नाम बदल जाने से विश्वविद्यालय की लापरवाह कार्यप्रणाली को सुधारा जा सकेगा?.