देहरादून: लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उत्तराखंड में मेट्रो का सपना सबसे पहले हरिद्वार में पूरा होने जा रहा है. हरिद्वार दर्शन कराने के लिए पर्सनल रैपिड ट्रांजिट यानी पॉड कार को लेकर काम शुरू होने जा रहा है. इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 1685 करोड़ का खर्च आएगा. इस परियोजना के तहत आपको पूरे हरिद्वार के दर्शन करने का मौका मिलेगा.
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन इस प्रोजेक्ट को शासन के पास भेज चुका है. शासन से मंजूरी मिलते ही इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर निकाला जाएगा. यदि सब कुछ सही रहा तो साल 2024 तक देश का पहला पॉड कार ट्रांसपोर्ट सिस्टम हरिद्वार में तैयार हो जाएगा. टेंडर लेने वाली कंपनी के लिए पहली शर्त यह है कि उसे एक साल के भीतर कम से कम डेढ़ किलोमीटर का ट्रैक तैयार करना होगा. इसका रूट भी तय कर दिया गया है. इसके लिए 21 स्टेशन बनाए जाएंगे.
हरिद्वार दर्शन योजना: उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी ने बताया कि इस योजना को हरिद्वार दर्शन योजना के रूप में धरातल पर उतारा जा रहा है. इस पीआरटी सिस्टम के तहत हरिद्वार के सभी पौराणिक मंदिरों और देव स्थलों को एलिवेटेड स्टील ट्रैक के माध्यम से जोड़ा जाएगा, जिस पर पॉड कार संचालित होंगी. मेट्रो कॉर्पोरेशन से मिली जानकारी के अनुसार, हरिद्वार में तकरीबन 20 किलोमीटर लंबा यह ट्रांजिट सिस्टम ज्वालापुर से लेकर शांतिकुंज में मौजूद भारत माता मंदिर तक संचालित किया जाएगा. इसमें हरकी पैड़ी, दक्ष मंदिर सहित हरिद्वार के सभी पौराणिक स्थलों को जोड़ दिया गया है. मेट्रो बोर्ड के एमडी जितेंद्र त्यागी के अनुसार इस प्रोजेक्ट पर जल्द ही काम शुरू होने जा रहा है और इसकी जो टारगेट अवधि है, उसे आगामी 3 साल रखा गया है. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इससे पहले बनकर तैयार हो जाएगा.
क्या होती है पॉड कार: अब आप सोच रहे होगे की यह पर्सनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम आखिर है क्या? तो बता दें कि यह एक छोटी कार की तरह होता है. इसमें एक बार में 4 से 6 सवारियां सफर कर सकती हैं. दुनिया में सबसे पुराना पीआरटी सिस्टम वर्जीनिया में है, जो कि 1975 से चल रहा है. इसके लिए एलिवेटेड रूट तैयार किया जाता है. मसदर सिटी, संयुक्त अरब अमीरात और 2011 के बाद लंदन हीथ्रो हवाई अड्डे पर पीआरटी सिस्टम शुरू हुआ था. दक्षिण कोरिया में अप्रैल 2014 में एक साल के परीक्षण के बाद पीआरटी को शुरू किया गया था.
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कैसे होती है संचालित?: इस ट्रांजिट सिस्टम में तकरीबन 6 लोगों की क्षमता वाली पॉड कारें शामिल की जाएंगी, जिनकी संख्या राइडरशिप एसेसमेंट के अनुसार बढ़ाई या घटाई जा सकती हैं. शुरुआत में 20 कारें इस सिस्टम में शामिल की जाएंगी. यह कारें एक तरह से ऑटो ऑपरेट सॉफ्टवेयर के तहत काम करती हैं. जैसे कि किसी बहुमंजिला इमारत में लगी कई सारी अलग-अलग लिफ्ट. यह पॉड कार खुद ही दूसरी कार को ट्रैक करते हुए चलेंगी और दूरी मेंटेन करेंगी. वहीं कार के अंदर पैसेंजर के अनुकूल सिस्टम बनाया गया है. ताकि आसानी से यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच पाए.
लंबा हो चला है मेट्रो में बैठने का इंतजार: उत्तराखंड में मेट्रो प्रोजेक्ट का इंतजार पिछले 6 सालों से हो रहा है. मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून में लगातार बढ़ रही ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए यहां पर उचित ट्रांजिट सिस्टम लगाने पर चर्चा हुई. जिसके बाद देहरादून में लाइट मेट्रो सिस्टम और ऋषिकेश से देहरादून मेट्रो सिस्टम और हरिद्वार में पीआरटी पर सहमति बनी. लेकिन लंबे इंतजार के बाद केंद्र और राज्य में हिचकोले खाते हुए यह योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर पाई. लेकिन धीरे-धीरे मेट्रो प्रोजेक्ट के पहले फेस में हरिद्वार आने वाले पर्यटकों और यहां के स्थानीय लोगों को शायद पीआरटी सिस्टम के माध्यम से ट्रैफिक जाम से कुछ निजात मिल पाएगी. पहले फेस में हरिद्वार दर्शन के रूप में इस योजना को धरातल पर उतारा जा रहा है, जिसका मकसद हरिद्वार जैसे पौराणिक शहर आने वाले लोगों को सुविधा मुहैया कराना और लगातार जाम में फंसते जा रहे शहर को राहत देना है.
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मेट्रो बोर्ड बना रहा है ये रोपवे: उत्तराखंड मेट्रो बोर्ड प्रदेश में केवल मेट्रो प्रोजेक्ट पर ही काम नहीं कर रहा है, बल्कि कई रोपवे प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है. बोर्ड के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी ने बताया कि मेट्रो बोर्ड इस वक्त प्रदेश के दो महत्वपूर्ण रूप में प्रोजेक्ट पर कार्यदाई संस्था के रूप में काम कर रहा है. इनमें से एक 350 करोड़ का ऋषिकेश से नीलकंठ रोपवे प्रोजेक्ट है, तो वहीं दूसरे फेस में 150 करोड़ का हरकी पैड़ी से चंडी देवी तक का रोपवे प्रोजेक्ट. ये कैबिनेट में भी अप्रूव हो चुका है और इसमें भूमि संबंधी निस्तारण का कार्य चल रहा है.