देहरादून: राजधानी की तान्या को प्रतिष्ठित 'द डायना अवार्ड ' से सम्मानित किया गया है. तान्या को ये सम्मान महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिया गया है. ब्रिटेन की राजकुमारी डायना की याद में हर साल अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को ये सम्मान दिया जाता है जो कि इस बार तान्या का झोली में आया है. डायना अवॉर्ड से सम्मानित होने वाली तान्या से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
डायना अवॉर्ड पाने वाली तान्या बीते कुछ सालों से नई दिल्ली में एक निजी संस्था के साथ जुड़कर मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं के उत्थान के लिए काम कर रही हैं. 23 वर्षीय समाज सेविका तान्या का परिवार देहरादून के सहसत्रधारा में रहता है. छोटी उम्र में समाज सेवा से जुड़ने और इस मुकाम तक पहुंचने के अनुभवों को तान्या ने ईटीवी भारत के साथ साझा किया.
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तान्या चड्ढा ने बताया की उनके परिवार में उनकी मां , नानी और कई लोग समाजसेवा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. ऐसे में वह खुद भी बचपन से ही समाज सेवा के क्षेत्र से जुड़ना चाहती थीं. वे बताती हैं कि लाडली फाउंडेशन के सहेली कार्यक्रम की मदद से अब तक वह देश भर में 65000 महिलाओं और लड़कियों को घरेलू व सामाजिक शोषण का शिकार होने से बचा चुकी हैं. समाज में ग्रामीण और मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं की स्थिति पर बात करते हुए तान्या ने कहा कि आज भी इन महिलाओं में जागरूकता की खासी कमी है. ऐसे में यह बेहद ही जरूरी है कि यहां रहने वाली महिलाओं को उनके अधिकारों और व्यक्तिगत स्वच्छता को लेकर जागरुक किया जाए.
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तान्या ने बताया कि उनकी संस्था उत्तराखंड में भी महिलाओं के उत्थान के लिए काम कर रही है. जिसके तहत वह खुद मलिन बस्तियों में जाकर महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक कर रही हैं. प्रतिष्ठित 'द डायना अवार्ड ' से नवाज़े जाने पर खुशी जाहिर करते हुए तान्या ने कहा कि इस अवार्ड के मिलने का पूरा श्रेय वह अपनी संस्था के सहयोगी साथियों और अपने परिजनों को देना चाहती हैं.