देहरादून: मॉब लिंचिंग पर पीएम मोदी को चिट्ठी लिखने वाली 51 हस्तियों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद देशभर में इसका विरोध होना शुरू हो गया है. रविवार को राजधानी देहरादून में विभिन्न समुदाय के बुद्धिजीवियों ने एकत्र होकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. गांधी पार्क के बाहर पत्रकार, राजनीतिक विशेषज्ञ, कांग्रेस और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर इस मामले में की गई कार्रवाई पर चिंता जाहिर की. इस दौरान इन लोगों ने प्रधानमंत्री और केन्द्र की सरकार पर तानाशाही का आरेाप लगाया.
बता दें कि देश में बढ़ रही मॉब लिंचिंग के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखने वाले रामचंद्र गुहा, मणि रत्नम और अपर्णा सेन समेत करीब 51 लोगों के खिलाफ गुरुवार को प्राथमिकी दर्ज की गई है. जिसके बाद से ही देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये हैं. इसी कड़ी में राजधानी में भी लोगों ने सड़क पर उतर कर केंद्र सरकार की आलोचना की.
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कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि भारत के लिए इससे बुरा दिन नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि अब तो चिट्ठी लिखना भी देशद्रोह में आ गया है. किशोर उपाध्याय ने कहा अब तो उत्तराखंड से भी आवाज उठनी शुरू हो गई. उन्होनें कहा एक ओर हम गांधी सप्ताह मना रहे हैं और दूसरी ओर गलत को गलत कहने पर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं. जो कि बिल्कुल भी सही नहीं है.
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वहीं, वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट ने कहा कि इस सरकार में अगर कोई लड़की भाजपा नेता के खिलाफ शिकायत करती है तो लड़की के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज हो जाता है. उन्होंने कहा मुंबई में 2 हजार पेड़ काटे जा रहे हैं जिसका कि वहां के बच्चे विरोध कर रहे हैं. उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है. उन्होंने कहा सरकार को असहमति बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं है और केंद्र सरकार निरंकुश होकर तानाशाही पर उतर आई है.