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जीरो टॉलरेंस सरकार का गजब फैसला, गड़बड़ियों के आरोपी को वित्त विभाग की जिम्मेदारी

लेखाकारों की पदोन्नति में वरिष्ठता सूची से छेड़छाड़ कर अपात्रों को लाभ पहुंचाने का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है. दरअसल, वित्त विभाग ने बजट राजकोषीय एवं संसाधन निदेशालय में बजट सलाहकार के रूप में एक अस्थाई निःसंवर्गीय पद पर ऐसे अधिकारी को तैनात किया है जो पूर्व में वरिष्ठता सूची को लेकर नियम के विरुद्ध अपात्रों को लाभ देने का आरोपी है.

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Published : Jul 15, 2019, 9:24 PM IST

जीरो टॉलरेंस सरकार के अजब फैसला.

देहरादून: उत्तराखंड में वित्त विभाग इन दिनों बजट सलाहकार के पद पर रिटायर अधिकारी को जिम्मेदारी देने को लेकर चर्चाओं में है. ये चर्चाएं इसलिए हैं क्योंकि बजट सलाहकार के रूप में ऐसे अधिकारी को तैनाती दी गई है जो पूर्व में पदोन्नति में गड़बड़ी करने का आरोपी है. साथ ही ये अधिकारी अभी तक इस मामले में जांच के घेरे में है. इसी मामले पर देखिए Etv भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

जीरो टॉलरेंस सरकार के अजब फैसला.

लेखाकारों की पदोन्नति में वरिष्ठता सूची से छेड़छाड़ कर अपात्रों को लाभ पहुंचाने का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है. दरअसल, वित्त विभाग ने बजट राजकोषीय एवं संसाधन निदेशालय में बजट सलाहकार के रूप में एक अस्थाई निःसंवर्गीय पद पर ऐसे अधिकारी को तैनात किया है जो पूर्व में वरिष्ठता सूची को लेकर नियम के विरुद्ध अपात्रों को लाभ देने का आरोपी है.

बता दें कि लेखा एवं हकदारी निदेशालय के पूर्व निदेशक लक्ष्मीनारायण पंत पर संयुक्त निदेशक रहते हुए जेष्ठता सूची में नियम विरुद्ध गड़बड़ी करने का आरोप है. बावजूद इसके रिटायरमेंट के बाद उन्हें बजट सलाहकार के पद पर तैनाती दी गई है.

जानकारी के अनुसार साल 2008 में लेखाकारों की पदोन्नति के लिए वरिष्ठता सूची तैयार करने के दौरान सरकारी पत्रों में गड़बड़ी करने का मामला प्रकाश में आया था. मामले में पदोन्नति के लिए जेष्ठता सूची का आधार पांच बिंदुओं पर निर्धारित था. जिसे मूल प्रति में दर्शाया गया था. जबकि कार्मिकों के पत्र पर बिंदु नंबर 4 को हटा दिया गया था. मामला तब प्रकाश में आया जब 3 सहायक लेखाधिकारियों ने इसकी शिकायत लेखा एवं हकदारी निदेशालय से की. मामला खुलने के बाद विजिलेंस विभाग ने भी पदोन्नति में नियमों के विरुद्ध काम होने की बात कही. साथ ही इसकी विभागीय जांच करने की भी बात भी कही गई.

इस मामले में खास बात यह है कि एक तरफ मुख्यमंत्री दागी अधिकारियों पर कार्रवाई कर घर भेजने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ वित्त विभाग में आरोपी अधिकारी को ही अहम जिम्मेदारी सौंप रहे हैं.

लेखाकारों पदोन्नति के लिए जेष्ठता सूची में गड़बड़ी का मामला शासन तक भी पहुंचा. साथ ही इस मामले में कई बार जांच को लेकर पत्र भी लिखे गए हैं, बावजूद इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उल्टा इस मामले में आरोपी अधिकारी को ही सरकार ने तोहफे में बजट सलाहकार के पद पर नियुक्ति दे दी.

देहरादून: उत्तराखंड में वित्त विभाग इन दिनों बजट सलाहकार के पद पर रिटायर अधिकारी को जिम्मेदारी देने को लेकर चर्चाओं में है. ये चर्चाएं इसलिए हैं क्योंकि बजट सलाहकार के रूप में ऐसे अधिकारी को तैनाती दी गई है जो पूर्व में पदोन्नति में गड़बड़ी करने का आरोपी है. साथ ही ये अधिकारी अभी तक इस मामले में जांच के घेरे में है. इसी मामले पर देखिए Etv भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

जीरो टॉलरेंस सरकार के अजब फैसला.

लेखाकारों की पदोन्नति में वरिष्ठता सूची से छेड़छाड़ कर अपात्रों को लाभ पहुंचाने का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है. दरअसल, वित्त विभाग ने बजट राजकोषीय एवं संसाधन निदेशालय में बजट सलाहकार के रूप में एक अस्थाई निःसंवर्गीय पद पर ऐसे अधिकारी को तैनात किया है जो पूर्व में वरिष्ठता सूची को लेकर नियम के विरुद्ध अपात्रों को लाभ देने का आरोपी है.

बता दें कि लेखा एवं हकदारी निदेशालय के पूर्व निदेशक लक्ष्मीनारायण पंत पर संयुक्त निदेशक रहते हुए जेष्ठता सूची में नियम विरुद्ध गड़बड़ी करने का आरोप है. बावजूद इसके रिटायरमेंट के बाद उन्हें बजट सलाहकार के पद पर तैनाती दी गई है.

जानकारी के अनुसार साल 2008 में लेखाकारों की पदोन्नति के लिए वरिष्ठता सूची तैयार करने के दौरान सरकारी पत्रों में गड़बड़ी करने का मामला प्रकाश में आया था. मामले में पदोन्नति के लिए जेष्ठता सूची का आधार पांच बिंदुओं पर निर्धारित था. जिसे मूल प्रति में दर्शाया गया था. जबकि कार्मिकों के पत्र पर बिंदु नंबर 4 को हटा दिया गया था. मामला तब प्रकाश में आया जब 3 सहायक लेखाधिकारियों ने इसकी शिकायत लेखा एवं हकदारी निदेशालय से की. मामला खुलने के बाद विजिलेंस विभाग ने भी पदोन्नति में नियमों के विरुद्ध काम होने की बात कही. साथ ही इसकी विभागीय जांच करने की भी बात भी कही गई.

इस मामले में खास बात यह है कि एक तरफ मुख्यमंत्री दागी अधिकारियों पर कार्रवाई कर घर भेजने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ वित्त विभाग में आरोपी अधिकारी को ही अहम जिम्मेदारी सौंप रहे हैं.

लेखाकारों पदोन्नति के लिए जेष्ठता सूची में गड़बड़ी का मामला शासन तक भी पहुंचा. साथ ही इस मामले में कई बार जांच को लेकर पत्र भी लिखे गए हैं, बावजूद इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उल्टा इस मामले में आरोपी अधिकारी को ही सरकार ने तोहफे में बजट सलाहकार के पद पर नियुक्ति दे दी.

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Summary- उत्तराखंड में वित्त विभाग इन दिनों बजट सलाहकार के पद पर रिटायर अधिकारी को जिम्मेदारी देने को लेकर चर्चाओं में है...ये चर्चाएं इसलिए हैं क्योंकि बजट सलाहकार के रूप में ऐसे अधिकारी को तैनाती दी गई है जो पूर्व में पदोन्नति में गड़बड़ी करने का आरोपी है। 


बजट राजकोषीय एवं संसाधन निदेशालय में बजट सलाहकार के रूप में एक ऐसे अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है जो लेखाकारों की पदोन्नति के लिए वरिष्ठता सूची मे गड़बड़ी करने को लेकर जांच के घेरे में है। देखिये ईटीवी भारत की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...




Body:लेखाकारों की पदोन्नति में वरिष्ठता सूची से छेड़छाड़ कर अपात्रों को लाभ पहुंचाने का मामला फिर सुर्खियों में है। दरअसल वित्त विभाग ने बजट राजकोषीय एवं संसाधन निदेशालय में बजट सलाहकार के रूप में एक अस्थाई निःसंवर्गीय पद पर ऐसे अधिकारी को तैनात किया है जो पूर्व में वरिष्ठता सूची को लेकर नियम विरुद्ध अपात्रों को लाभ देने का आरोपी है। आपको बता दें कि लेखा एवं हकदारी निदेशालय के पूर्व निदेशक लक्ष्मीनारायण पंत पर संयुक्त निदेशक रहते हुए जेष्ठता सूची में नियम विरुद्ध  गड़बड़ी करने का आरोप है। बावजूद इसके  रिटायरमेंट के बाद अब उन्हें बजट सलाहकार के पद पर  तैनाती दी गई है। जानकारी के अनुसार साल 2008 में लेखाकारों की पदोन्नति के लिए वरिष्ठता सूची तैयार करने के दौरान सरकारी पत्रों में गड़बड़ी करने का मामला प्रकाश में आया था। मामले में पदोन्नति के लिए जेष्ठता सूची का आधार पांच बिंदुओं पर निर्धारित था ...जिसे मूल प्रति में दर्शाया गया था जबकि कार्मिकों के पत्र पर बिंदु नंबर 4 को हटा दिया गया। मामला तब प्रकाश में आया जब 3 सहायक लेखाधिकारियों ने इसकी शिकायत लेखा एवं हकदारी निदेशालय को की और मामले में अपात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए आदेश पत्र को ही बदल देने का षडयंत्र करने की बात कही। हालांकि मामला खुलने के बाद विजिलेंस ने भी पदोन्नति पर नियम विरुद्ध काम होने की बात कही और इसकी विभागीय जांच करने की भी बात रखी। खास बात यह है कि एक तरफ मुख्यमंत्री दागी अधिकारियों पर कार्रवाई कर घर भेजने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ वित्त विभाग आरोपी अधिकारी को अहम जिम्मेदारी दे रहा है। 

बाइट त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री उत्तराखंड

ऐसा नही कि लेखाकारों की पदोन्नति के लिए जेष्टता सूची में गड़बड़ी का मामला शासन तक ना पहुंचा हो बल्कि मामले पर कई बार जांच को लेकर पत्र भी लिखे गए हैं लेकिन इस सबके बावजूद ना तो इस पर अब तक कोई कार्रवाई हुई है ना ही कोई सही जांच...







Conclusion:मुख्यमंत्री का दागियों को घर भेजने का यह बयान सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को जाहिर करता है लेकिन शासन में बैठे अधिकारी आरोपी अधिकारियों पर मेहरबानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

पीटीसी नवीन उनियाल ईटीवी भारत देहरादून
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