देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा के नेताओं को इस बार एक साथ दो चुनावों से जूझना होगा. पहला राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारी, जबकि दूसरा पार्टी संगठन के चुनाव. दोनों ही चुनाव प्रदेश में भाजपा के लिए अहम हैं. एक ओर जहां पंचायत चुनाव से भाजपा सबसे सबसे छोटी इकाई के रूप में अपने को मजबूत करने की कोशिश करेगी तो वहीं दूसरी ओर संगठन चुनाव पार्टी और संगठन को आकार देने और उसे बढ़ाने का काम करेंगे, जिसे लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है.
उत्तराखंड में जल्द ही पंचायत चुनाव की तिथियां घोषित हो जाएंगी. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की सूची भी जारी कर दी गई है. ऐसे में कभी भी पंचायत चुनाव की तारीखों का एलान हो सकता है. प्रदेश को दोनों सियासी दल जोर-शोर से पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं. बात अगर भाजपा की करें तो पार्टी संगठन पहले ही चुनाव की प्रक्रिया से गुजर रहा है. ऐसे में चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करना भाजपा के लिए इतना आसान नहीं होगा.
पढ़ें- पीएम मोदी के भाई गंगा आरती में हुए शामिल, बोले- तीर्थनगरी से बेहतर आध्यात्मिक स्थान कोई नहीं
भाजपा संगठन के चुनाव की प्रक्रिया 11 सितंबर से शुरू होकर दिसंबर तक चलने वाली है. इसमें सितंबर महीने में बूथ स्तर के चुनाव तो वहीं अक्टूबर में मंडल और नवंबर में जिलाध्यक्ष और प्रदेश परिषद के चुनाव होने हैं. संगठन चुनाव में सबसे अंत में दिसंबर में प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद का चुनाव होगा. पार्टी के सामने इन दोनों ही चुनाव एक साथ होने के चलते बड़ी चुनौतियां होंगी. खासकर पंचायत क्षेत्र में रहने वाले पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने इन दोनों ही चुनाव को एक साथ बेहतर तरीके से पूरा करने की जिम्मेदारी होगी. हालांकि भाजपा के मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने इन दोनों चुनावों को भाजपा के लिए कोई चुनौती नहीं मानते हैं.
पढ़ें- टाटा सूमो की टक्कर से स्कूटी सवार युवक की मौत, जांच में जुटी पुलिस
उत्तराखंड भाजपा के ज्यादातर नेता इन दिनों संगठन चुनाव में व्यस्त हैं. मंडल और जिला स्तर पर चुनाव होने के दौरान पार्टी के सक्रिय नेता इसमें पूरी तरह से व्यस्त रहेंगे. खास बात यह है कि इसी दौरान पंचायत चुनाव की तारीखें भी तय होने की उम्मीद है. ऐसे में दोनों ही चुनाव को एक साथ मैनेज करना पार्टी नेताओं के लिए इतना आसान नहीं होगा.