देहरादून: कोरोना और लॉकडाउन की मार से देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है. जिसे रफ्तार देने के लिए केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का एलान किया है. केंद्र सरकार के राहत पैकेज में एमएसएमई सेक्टर पर विशेष ध्यान दिया गया है. जिससे एमएसएमई सेक्टर एक बार फिर से खड़ा होने की कोशिश कर रहा है. लॉकडाउन और कोरोना के कारण एमएसएमई सेक्टर के कामकाज पर लगभग ब्रेक लग चुका था, जिससे इससे जुड़े लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा. इस दौरान इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को किस तरह की परेशानियां हुई, इसे लेकर ईटीवी भारत संवाददाता धीरज सजवांण ने राजधानी देहरादून के पटेल नगर स्थित माइक्रो इंडस्ट्रियल क्षेत्र के कई प्लांटों का रुख किया.
बता दें कि देहरादून पटेलनगर स्थित माइक्रो इंडस्ट्रियल एरिया में तकरीबन 40 से 50 ऐसे छोटे उद्यमी हैं, जिनका वार्षिक टर्नओवर 10 करोड़ के आसपास रहता है. यहां हर प्लांट पर औसतन 25 लोगों को रोजगार मुहैया होता है. पटेल नगर इंडस्ट्रियल स्टेट के ये छोटे माइक्रो इंडस्ट्रीज पिछले कई सालों से बिना रुके काम कर रही हैं. मगर लॉकडाउन और कोरोना के कारण इन्हें भी इस बार काम रोकना पड़ा. यहां 22 मार्च से सभी प्लांटों की मशीनें रुकी हुई हैं और काम पूरी तरह ठप है.
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लॉकडाउन के दौर की कहानी इंडस्ट्रीज की जुबानी
बॉम्बे ड्रॉइंग स्टेशनरी स्टोर का प्लांट यहां तकरीबन पिछले 50 सालों से काम कर रहा है. ये स्कूलों और तकनीकी क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले ड्रॉइंग इंस्ट्रूमेंट बनाते हैं. ये लोग इसे मेट्रो सिटीज में इसकी सप्लाई करते हैं. प्लांट के प्रोपराइटर हेमंत कुरिच ने बताया कि उन्हें लास्ट ऑर्डर जनवरी में मिला था. उसके बाद डेढ़ महीने के लॉकडाउन ने उनके काम पर ब्रेक लगा दिया है. उन्होंने बताया कि 7 महीने का प्रोडक्शन लॉस हुआ है, इसके साथ ही उनके माल की सप्लाई आगे भी नहीं हो पा रही है. फैक्ट्री में काम करने वाले लोग खाली न बैठे, इसके लिए बस प्रोडक्शन किया जा रहा है. इसकी सप्लाई का अभी कुछ पता नहीं है. वे कहते हैं कि इस साल के टर्न ओवर के बारे में वो अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं.
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नहीं जनरेट हुआ रेवेन्यू, भविष्य भी अंधेरे में
पटेलनगर इंडस्ट्रियल स्टेट में ही मौजूद एक और फैक्ट्री राहुल स्केल प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राहुल सिंघल ने भी लॉकडाउन के अनुभवों को हमसे साझा किया. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से उनके काम पर बहुत बुरा आसर पड़ा है. करंट फाइनेंशियल ईयर में एक भी पैसे का रेवेन्यू नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर वे कुछ माल सप्लाई भी करना चाहे तो ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद है. राहुल सिंघल ने बताया कि स्टेशनरी के लिहाज से स्कूल कब खुलेंगे, ये स्थिति भी अभी साफ नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर स्कूल खुलते भी हैं तो ऐसे में अभिभावकों की परचेसिंग पॉवर क्या रहेगी, इसका भी उनके काम पर असर पड़ेगा. जिसके कारण उन्हें भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि इस बुरे दौर में उन्होंने जैसे-कैसे वर्कस की सैलरी तो दे दी है, मगर अब उनके पास कच्चा माल खरीदने के लिए पर्याप्त धन की कमी होने लगी है.
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अब नए मानकों से बढ़ रही है प्रोडक्शन कॉस्ट
डिफेंस के लिए मैन्युफैक्चरिंग करने वाली दास इलेक्ट्रॉनिक कंपनी के चेयरमैन ऋषि दास ने बताया कि डेढ़ महीने के लॉकडाउन के बाद 4 मई से उन्होंने एक बार फिर से प्रोडक्शन शुरू किया है. मगर प्रोडक्शन की रफ्तार पहले के मुकाबले काफी कम है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपने वर्कर्स को सभी तरह के वेतन और भत्ते दिए हैं. उन्होंने कहा कि बुरे दौर से गुजरने के बाद वापस काम पर लौटने पर समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वे कहते हैं कि एक बार फिर से धीमे पड़ चुके काम को रफ्तार देने की कोशिशें की जा रही है. ऋषि दास ने बताया कि काम के दौरान पूरी तरह से सरकार के दिशा-निर्देशों के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
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सरकार ने तेज की कवायद
इसके बाद हमने उद्योग विभाग के निदेशक सुधीर नौटियाल से भी इन लोगों की परेशानियों को रखते हुए बातचीत की. जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक बार फिर से उद्योगों को शुरू करने की कवायद तेज कर दी है. इसी कड़ी में तकरीबन 3 हजार उद्योगों को एक बार फिर से शुरू करने की अनुमति दी गई है. उन्होंने कहा कि सरकार एमएसएमई सेक्टर को पटरी पर लाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार कदम उठा रही है. उन्होंने बताया कि एमएसएमई सेक्टर को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं लाई जा रही हैं, जिससे इस सेक्टर को एक बार फिर से खड़ा किया जा सकेगा.