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उत्तराखंड की जेलों में मॉनिटरिंग पर उठे गंभीर सवाल, कहां गए करोड़ों के CCTV, बॉडी कैम?

उत्तराखंड की जेलों में मॉनिटरिंग पर लगातार गंभीर सवाल उठ रहे हैं. यहां की जेलों में करोड़ों की लागत से लगाये गये सीसीटीवी, सर्विलांस मॉनिटरिंग भी सवालों के घेरे में हैं. ईटीवी भारत ने भी इसे लेकर खबर प्रकाशित की थी. अल्मोड़ा जेल में हुए प्रकरण के बाद ये सभी सवाल एक बार फिर से उठने लगे हैं.

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उत्तराखंड की जेलों में मॉनिटरिंग पर उठे गंभीर सवाल
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Published : Oct 13, 2021, 6:07 PM IST

Updated : Oct 14, 2021, 12:53 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की अल्मोड़ा जेल में बंद सजायाफ्ता कुख्यात बदमाशों द्वारा जेल में रहकर संचालित होने वाली आपराधिक गतिविधियों ने राज्य के पूरे जेल प्रशासन तंत्र की पोल खोल कर रख दी है. इसके साथ ही जेल में संगीन अपराधियों को कैद करने के औचित्य पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अगर जेल से ही फिरौती, हत्या, अपहरण व धमकी जैसे संगीन अपराध जेल प्रशासन कर्मियों के गठजोड़ से चलेंगे तो फिर इन्हें जेलों में रखने की क्या जरुरत है.

अल्मोड़ा जेल में कुख्यात कलीम अहमद गिरोह ने हरिद्वार के बड़े व्यापारियों को धमकी देकर हत्या और फिरौती की पूरी पटकथा लिखी. इस मामले में अल्मोड़ा जेल के प्रभारी सहित 6 कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई. सभी आरोपित कर्मियों को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया है. ताजा अपडेट के मुताबिक 2 दिन पहले अल्मोड़ा जेल से इस पूरे घटनाक्रम में गिरफ्तार जेल फार्मासिस्ट और नाई को जेल आईजी पुष्पक ज्योति ने निलंबित कर दिया है.

पढ़ें-अल्मोड़ा जेल से गैंग ऑपरेट कर रहा था कलीम, वारदात से पहले 4 शूटर हरिद्वार से अरेस्ट

पहले भी सामने आ चुके कई मामले: उत्तराखंड की जेलों से इस तरह से आपराधिक गतिविधियां संचालित होने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी सितारगंज, हरिद्वार, रुड़की, देहरादून जैसी जेलों से सजायाफ्ता अपराधी नेटवर्क चलाते रहे हैं. इन सबके बावजूद उत्तराखंड जेल विभाग के आला अधिकारी सिर्फ मुख्यालय पर बैठकर जेलों की व्यवस्था पुख्ता करने के हवा हवाई दावे करते नजर आते हैं.

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जेलों की मॉनिटरिंग सिर्फ कागजों तक: जानकारों के मुताबिक इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि उत्तराखंड में जेल विभाग की जिम्मेदारी जिन आईपीएस अफसरों के अधीन रहती है, उनके पास पहले से ही कई अन्य पुलिस इकाइयों का पदभार होता है. जिससे जेलों की मॉनिटरिंग सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहती है. यही कारण है कि राज्य की जेलों में बंद कुख्यात अपराधी जेल प्रभारी सहित कर्मचारियों की मिलीभगत से मोबाइल, इंटरनेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों का प्रयोग कर असानी से गैंग चलाते हैं.

बता दें कि पिछले दिनों ईटीवी भारत ने ही राज्य के 11 जेलों में 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरे व जेल बंदी रक्षकों पर बॉडी कैम जैसे इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस व्यवस्था की मॉनिटरिंग व्यवस्था पर सवाल उठाए थे.

पढ़ें- देहरादून के सेलाकुई में दर्दनाक हादसा, कंटेनर और डंपर की टक्कर से दो छात्रों की मौत

जेलों के सीसीटीवी, बॉडी कैम प्रोजेक्ट पर भी उठे सवाल: कुछ समय पहले उत्तराखंड की सभी 11 जेलों की मॉनिटरिंग को पुख्ता करने का दावा करते हुए लगभग 600 हाईटेक सीसीटीवी कैमरे और कारागार में नियुक्त बंदी रक्षकों की वर्दी में बॉडी कैमरा जैसे सर्विलांस व्यवस्थाओं लागू करने की बात सामने आयी थी. हैरानी का विषय है कि पहले चरण में ही संवेदनशील जेलों में 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरे और बॉडी कैम जैसी व्यवस्थाओं की मॉनीटिरिंग नहीं दिखी. जिससे कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

पढ़ें- पुणे में महिला लेफ्टिनेंट कर्नल ने की आत्महत्या, पति के साथ चल रहा था तलाक का केस

ईटीवी भारत ने पिछले दिनों तत्कालीन जेल आईजी के हवाले से राज्य की जेलों को सीसीटीवी सर्विलांस प्रोजेक्ट से लैस करने की खबर प्रकाशित की थी. वहीं जेलों में बड़ी संख्या में लगने वाले सीसीटीवी और बॉडी कैम व्यवस्था की मॉनिटरिंग न होने के विषय पर भी आशंका जताई थी. जानकारों के मुताबिक राज्य की जेलों को मात्र सीसीटीवी डिवाइस और बॉडी कैम जैसी तीसरी आंख की नजर में रखना ही काफी नहीं बल्कि इस सर्विलांस व्यवस्था की इमानदारी से मॉनिटरिंग कर पैनी नजर बनाये रखना जरूरी है.

वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा के अनुसार उत्तराखंड की जेलों में कारागार कर्मचारियों के गठजोड़ से आपराधिक गतिविधियां संचालित करने के मामले अब बेहद चिंताजनक हैं. इस मामले में शीघ्र ही शासन स्तर पर जेल विभाग को ठोस कदम उठाने होंगे. वरना जेल व्यवस्था धरासाई हो सकती है.

पढ़ें- चौखुटिया में रामगंगा नदी किनारे मिला नेपाली मूल के व्यक्ति का शव

उधर अल्मोड़ा जेल कर्मचारियों की मिलीभगत से संचालित होने वाली आपराधिक गतिविधियों को लेकर आईजी पुष्पक ज्योति ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने इसे बेहद गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण मामला बताया है. आईजी के मुताबिक पहले इस प्रकरण में जेल प्रभारी सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया था. वहीं, उसके बाद अल्मोड़ा जेल में अपराधियों से मिलीभगत के आरोप में 2 दिन पहले गिरफ्तार जेल फार्मासिस्ट अंकित चौहान को पहले ही जेल भेजा जा चुका है. आज उसे सस्पेंड करने के आदेश दे दिये गये हैं. दूसरे गिरफ्तार आरोपी उपनल कर्मी जेल के नाई के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा जा रहा है.

पढ़ें- उत्तराखंड BJP को झटका, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने बेटे संग की 'घर वापसी'

वहीं, जेलों में सीसीटीवी कैमरा और बॉडी कैम सर्विलांस के संबंध में जेल आईजी पुष्पक ज्योति ने कहा कि अभी तीन से चार कारागारों में ही सीसीटीवी बॉडी कैम की व्यवस्था बनाई गई है. सरकार से बजट आवंटित होते ही सभी जेलों को हाइटेक सर्विलांस से जोड़ा जाएगा. इसके बाद जेल की हर गतिविधि पर नजर रखने में आसानी होगी. जेल आईजी के मुताबिक अल्मोड़ा जेल के बाद सभी जेलों में कर्मचारियों की कार्यशैली की जांच पड़ताल की जा रही है.

पढ़ें-यशपाल आर्य की 'घर वापसी' पर BJP-कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज

किसी को बख्शा नहीं जाएगा: उत्तराखंड की जेलों में जिस तरह से सजायाफ्ता कुख्यात गिरोह के अपराधी जेल प्रशासन की मिलीभगत से हत्या फिरौती, किडनैपिंग, धमकी जैसी संगीन वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, वो बेहद भयावह है. पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार इस मामले पर खासे सख्त नजर आये. उन्होंने कहा कि जेल कर्मियों की मदद से जो अपराधिक गतिविधियां सामने आ रही हैं, उसे देखते हुए राज्य की जेलों में इस तरह की मिलीभगत करने वाले लोगों किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा. जांच के बाद सभी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

देहरादून: उत्तराखंड की अल्मोड़ा जेल में बंद सजायाफ्ता कुख्यात बदमाशों द्वारा जेल में रहकर संचालित होने वाली आपराधिक गतिविधियों ने राज्य के पूरे जेल प्रशासन तंत्र की पोल खोल कर रख दी है. इसके साथ ही जेल में संगीन अपराधियों को कैद करने के औचित्य पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अगर जेल से ही फिरौती, हत्या, अपहरण व धमकी जैसे संगीन अपराध जेल प्रशासन कर्मियों के गठजोड़ से चलेंगे तो फिर इन्हें जेलों में रखने की क्या जरुरत है.

अल्मोड़ा जेल में कुख्यात कलीम अहमद गिरोह ने हरिद्वार के बड़े व्यापारियों को धमकी देकर हत्या और फिरौती की पूरी पटकथा लिखी. इस मामले में अल्मोड़ा जेल के प्रभारी सहित 6 कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई. सभी आरोपित कर्मियों को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया है. ताजा अपडेट के मुताबिक 2 दिन पहले अल्मोड़ा जेल से इस पूरे घटनाक्रम में गिरफ्तार जेल फार्मासिस्ट और नाई को जेल आईजी पुष्पक ज्योति ने निलंबित कर दिया है.

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पहले भी सामने आ चुके कई मामले: उत्तराखंड की जेलों से इस तरह से आपराधिक गतिविधियां संचालित होने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी सितारगंज, हरिद्वार, रुड़की, देहरादून जैसी जेलों से सजायाफ्ता अपराधी नेटवर्क चलाते रहे हैं. इन सबके बावजूद उत्तराखंड जेल विभाग के आला अधिकारी सिर्फ मुख्यालय पर बैठकर जेलों की व्यवस्था पुख्ता करने के हवा हवाई दावे करते नजर आते हैं.

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जेलों की मॉनिटरिंग सिर्फ कागजों तक: जानकारों के मुताबिक इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि उत्तराखंड में जेल विभाग की जिम्मेदारी जिन आईपीएस अफसरों के अधीन रहती है, उनके पास पहले से ही कई अन्य पुलिस इकाइयों का पदभार होता है. जिससे जेलों की मॉनिटरिंग सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहती है. यही कारण है कि राज्य की जेलों में बंद कुख्यात अपराधी जेल प्रभारी सहित कर्मचारियों की मिलीभगत से मोबाइल, इंटरनेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों का प्रयोग कर असानी से गैंग चलाते हैं.

बता दें कि पिछले दिनों ईटीवी भारत ने ही राज्य के 11 जेलों में 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरे व जेल बंदी रक्षकों पर बॉडी कैम जैसे इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस व्यवस्था की मॉनिटरिंग व्यवस्था पर सवाल उठाए थे.

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जेलों के सीसीटीवी, बॉडी कैम प्रोजेक्ट पर भी उठे सवाल: कुछ समय पहले उत्तराखंड की सभी 11 जेलों की मॉनिटरिंग को पुख्ता करने का दावा करते हुए लगभग 600 हाईटेक सीसीटीवी कैमरे और कारागार में नियुक्त बंदी रक्षकों की वर्दी में बॉडी कैमरा जैसे सर्विलांस व्यवस्थाओं लागू करने की बात सामने आयी थी. हैरानी का विषय है कि पहले चरण में ही संवेदनशील जेलों में 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरे और बॉडी कैम जैसी व्यवस्थाओं की मॉनीटिरिंग नहीं दिखी. जिससे कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

पढ़ें- पुणे में महिला लेफ्टिनेंट कर्नल ने की आत्महत्या, पति के साथ चल रहा था तलाक का केस

ईटीवी भारत ने पिछले दिनों तत्कालीन जेल आईजी के हवाले से राज्य की जेलों को सीसीटीवी सर्विलांस प्रोजेक्ट से लैस करने की खबर प्रकाशित की थी. वहीं जेलों में बड़ी संख्या में लगने वाले सीसीटीवी और बॉडी कैम व्यवस्था की मॉनिटरिंग न होने के विषय पर भी आशंका जताई थी. जानकारों के मुताबिक राज्य की जेलों को मात्र सीसीटीवी डिवाइस और बॉडी कैम जैसी तीसरी आंख की नजर में रखना ही काफी नहीं बल्कि इस सर्विलांस व्यवस्था की इमानदारी से मॉनिटरिंग कर पैनी नजर बनाये रखना जरूरी है.

वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा के अनुसार उत्तराखंड की जेलों में कारागार कर्मचारियों के गठजोड़ से आपराधिक गतिविधियां संचालित करने के मामले अब बेहद चिंताजनक हैं. इस मामले में शीघ्र ही शासन स्तर पर जेल विभाग को ठोस कदम उठाने होंगे. वरना जेल व्यवस्था धरासाई हो सकती है.

पढ़ें- चौखुटिया में रामगंगा नदी किनारे मिला नेपाली मूल के व्यक्ति का शव

उधर अल्मोड़ा जेल कर्मचारियों की मिलीभगत से संचालित होने वाली आपराधिक गतिविधियों को लेकर आईजी पुष्पक ज्योति ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने इसे बेहद गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण मामला बताया है. आईजी के मुताबिक पहले इस प्रकरण में जेल प्रभारी सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया था. वहीं, उसके बाद अल्मोड़ा जेल में अपराधियों से मिलीभगत के आरोप में 2 दिन पहले गिरफ्तार जेल फार्मासिस्ट अंकित चौहान को पहले ही जेल भेजा जा चुका है. आज उसे सस्पेंड करने के आदेश दे दिये गये हैं. दूसरे गिरफ्तार आरोपी उपनल कर्मी जेल के नाई के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा जा रहा है.

पढ़ें- उत्तराखंड BJP को झटका, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने बेटे संग की 'घर वापसी'

वहीं, जेलों में सीसीटीवी कैमरा और बॉडी कैम सर्विलांस के संबंध में जेल आईजी पुष्पक ज्योति ने कहा कि अभी तीन से चार कारागारों में ही सीसीटीवी बॉडी कैम की व्यवस्था बनाई गई है. सरकार से बजट आवंटित होते ही सभी जेलों को हाइटेक सर्विलांस से जोड़ा जाएगा. इसके बाद जेल की हर गतिविधि पर नजर रखने में आसानी होगी. जेल आईजी के मुताबिक अल्मोड़ा जेल के बाद सभी जेलों में कर्मचारियों की कार्यशैली की जांच पड़ताल की जा रही है.

पढ़ें-यशपाल आर्य की 'घर वापसी' पर BJP-कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज

किसी को बख्शा नहीं जाएगा: उत्तराखंड की जेलों में जिस तरह से सजायाफ्ता कुख्यात गिरोह के अपराधी जेल प्रशासन की मिलीभगत से हत्या फिरौती, किडनैपिंग, धमकी जैसी संगीन वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, वो बेहद भयावह है. पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार इस मामले पर खासे सख्त नजर आये. उन्होंने कहा कि जेल कर्मियों की मदद से जो अपराधिक गतिविधियां सामने आ रही हैं, उसे देखते हुए राज्य की जेलों में इस तरह की मिलीभगत करने वाले लोगों किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा. जांच के बाद सभी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

Last Updated : Oct 14, 2021, 12:53 PM IST
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