देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षक अब पहाड़ छोड़कर मैदानी क्षेत्रों में आना चाहते हैं. ऐसे शिक्षकों को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने एक बार फिर से चेतावनी दी है. कहा है कि सिफारिश करने वाले बाज आ जाएं, नहीं तो सरकार एक्शन लेने से पीछे नहीं हटेगी.
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि तबादला एक्ट आगामी 25 जून तक प्रभावित है और जब उत्तराखंड पहाड़ी प्रदेश है तो पहाड़ को क्यूं छोंड़े. लेकिन जो लोग अपनी सुविधा के नीचे प्रदेश के नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना चाहते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करने दिया जाएगा.
शिक्षा मंत्री पांडेय ने आगे कहा कि जिन्हें ऐसा लगता है कि वो सारे नियम-कानून को ताक पर रखकर प्रदेश और पहाड़ की व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करेंगे और अपने निजी स्वार्थों के तहत सिफारिश के आधार पर पहाड़ में नौकरी करने के बजाय मैदानी जिलों में नौकरी करना चाहते हैं, उन्हें मेरी सख्त हिदायत है कि वे जल्द सुधर जाएं. प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ बिल्कुल नहीं होने दिया जाएगा.
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उन्होंने आगे कहा कि कुछ ऐसे नियम है, जिसके तहत गढ़वाल का शिक्षक अगर कुमाऊं में नौकरी कर रहा है तो वह कुमाऊं से गढ़वाल आकर अपनी सेवाएं दे सकता है. इसके लिए शिक्षकों को एक बार के लिए छूट दी गयी है और जिस श्रेणी में है वोउसी श्रेणी में उन्हें विद्यालय दिया जाएगा.