केदारनाथ: अगले 6 महीने के लिए केदारनाथ दाम के कपाट खुल गए हैं. आज कपाट खुलने के समय केदारनाथ धाम को 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया था. सेना की मराठा रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ देश-विदेश से आये 20 हजार से अधिक श्रद्धालुजन कपाट खुलने के गवाह बने. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी कपाट खुलने के साक्षी बने. कल यानी शनिवार (7 मई) को भैरवनाथ की पूजा होगी. इसके बाद केदारनाथ की आरती शुरू हो जाएगी.
पूरब द्वार से मंदिर के सभामंडप में प्रवेश: शुक्रवार सुबह साढ़े चार बजे से बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति ने कपाटोद्घाटन की तैयारी शुरू कर दी थी. बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय सहित धाम के रावल भीमाशंकर लिंग, केदारनाथ धाम के पुजारी टी गंगाधर लिंग, आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित सहित मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, वेदपाठी आचार्यगणों ने मंदिर के पूरब द्वार से मंदिर के सभामंडप में प्रवेश किया. पांच बजे से मंदिर के गर्भगृह के द्वार का पूजन शुरू हुआ. केदारनाथ धाम के रक्षक क्षेत्रपाल भकुंट भैरव के आव्हान के साथ ठीक प्रात: 6 बजकर 25 मिनट पर श्री केदारनाथ धाम के मुख्य द्वार के कपाट खोल दिये गये.
स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप से जागृत किया: कपाट खुलते ही श्री केदारनाथ भगवान के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप से जागृत किया गया. कुछ ही पल बाद बाबा के निर्वाण दर्शन हुए. कुछ अंतराल में बाबा केदार के श्रृंगार दर्शन शुरू हुए. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहला रूद्राभिषेक किया गया.
मराठा रेजीमेंट के बैंड की धुनों से गूंजा केदारनाथ: इस अवसर पर मंदिर को विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया गया. केदारनाथ धाम में मराठा रेजीमेन्ट के बैंड की भक्तिमय धुनों से वातावरण गुंजायमान हो रहा था. दानीदाताओं ने भंडारे आयोजित किये. हेली सेवा एवं पैदल मार्ग से श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला जारी है. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित पर्यटन धर्मस्व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर देश-विदेश के तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि श्री केदारनाथ भगवान की कृपा जनमानस पर बनी रहे. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस अवसर पर विशेष रूप से केदारनाथ धाम दर्शन को पहुंचे.
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भैरवनाथ की पूजा के बाद कल शुरू होगी केदारनाथ की आरती: उल्लेखनीय है कि कपाट खुलने की प्रक्रिया के अंतर्गत श्री केदारनाथ भगवान की पंचमुखी डोली 2 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से पैदल मार्ग से चलकर गुप्तकाशी, फाटा, गौरीकुंड होते हुए 5 मई शाम को केदारनाथ धाम पहुंची थी. आज 6 मई को प्रात: श्री केदारनाथ धाम के कपाट यात्राकाल ग्रीष्मकाल 6 माह के लिए खुल गये. शनिवार को भैरवनाथ जी की पूजा के पश्चात भगवान केदारनाथ जी की आरती शुरू हो जायेगी. केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर श्री केदारनाथ मंदिर परिसर भक्तिमय भजनों से गुंजायमान हो रहा था.
भैरवनाथ मंदिर की मान्यता: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, देश में जहां-जहां भगवान शिव के सिद्ध मंदिर हैं, वहां-वहां कालभैरवजी के मंदिर भी हैं. कालभैरव के मंदिर के दर्शन किए बिना भगवान शिव के दर्शन करना अधूरा माना जाता है. चाहे काशी के बाबा विश्वनाथ हों या उज्जैन के बाबा महाकाल. दोनों ही स्थानों पर काल भैरव के मंदिर हैं और भक्त शिव के दर्शन के बाद इन दोनों स्थानों पर जाकर भी सिर झुकाते हैं. तब उनकी तीर्थ यात्रा पूर्ण मानी जाती है. ऐसे ही केदारनाथ में भी भकुंट भैरवनाथ का मंदिर है. यहां भी हर साल केदारनाथ के कपाट खुलने पर पहले भैरव मंदिर में पूजा पाठ की जाती है. इसके बाद केदारनाथ की आरती शुरू होती है.
केदारनाथ के पहले रावल माने जाते हैं भुकुंट भैरव: भकुंट बाबा को केदारनाथ का पहला रावल माना जाता है. उन्हें यहां का क्षेत्रपाल माना जाता है. बाबा केदार की पूजा से पहले केदारनाथ में स्थित भकुंट बाबा की पूजा करने का विधान है. इसके बाद विधि विधान से केदारनाथ मंदिर में आरती शुरू होती है.
बाबा भैरवनाथ का बिना छत का मंदिर: भकुंट भैरव का मंदिर केदारनाथ मंदिर से आधा किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित है. यहां मूर्तियां बाबा भैरव की हैं. मूर्तियां बिना छत के स्थापित की गई हैं. भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है. पुजारियों के अनुसार हर साल मंदिर के कपाट खुलने पर बाबा केदार की आरती से पहले शनिवार को भैरवनाथ की पूजा की जाती है. सर्दियों में जब 6 महीने की केदारनाथ यात्रा संपन्न होती है तो भकुंट भैरव ही केदारनाथ मंदिर की रखवाली करते हैं.
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