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उत्तराखंड राज्य निर्माण में कल्याण सिंह की रही अहम भूमिका, पारदर्शी शिक्षा व्यवस्था की भी रखी नींव - पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्‍याण स‍िंह

1988 में उत्तरांचल राज्य निर्माण संघर्ष समिति बनाई गई. जानकारों की मानें तो इस समिति को स्वर्गीय कल्याण सिंह के मार्गदर्शन में ही बनाया गया था.

Kalayan singh passed away
उत्तराखंड राज्य निर्माण में कल्याण सिंह की रही अहम भूमिका
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Published : Aug 22, 2021, 7:02 AM IST

देहरादून: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान समेत हिमाचल के राज्यपाल रहे स्वर्गीय कल्याण सिंह राजनीति में अपनी साफ छवि और कुशल व्यवहार को लेकर जाने जाते थे. आम लोगों से सीधा जुड़ाव होने के चलते उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह हमेशा जनता के करीब रहे. उत्तराखंड को लेकर भी स्वर्गीय कल्याण सिंह की यादें बेहद खास रही है.

कल्याण सिंह ने उत्तराखंड को अलग राज्य के रूप में स्थापित करने को लेकर बेहद अहम रोल अदा किया था और शायद इसीलिए उत्तराखंड वासियों के दिलों में हमेशा कल्याण सिंह जीवित रहेंगे.

उत्तर प्रदेश से अलग राज्य के रूप में उत्तराखंड के लोगों की लड़ाई काफी लंबे समय तक रही थी, इस लड़ाई को लड़ते हुए 1988 में उत्तरांचल राज्य निर्माण संघर्ष समिति बनाई गई. जानकारों की मानें तो इस समिति को स्वर्गीय कल्याण सिंह के मार्गदर्शन में ही बनाया गया था.

खास बात यह है कि जब 1991 में भाजपा की सरकार आई और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने तब पहली बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा में उत्तरांचल एक अलग राज्य के रूप में स्थापित करने को लेकर संकल्प पारित किया गया. जिसके बाद एक अलग राज्य को लेकर उत्तराखंड के लोगों की उम्मीदें परवान चढ़ी. हालांकि, इसके बाद भी उत्तराखंड के लोगों को अलग राज्य के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी.

तत्कालीन विधायक लाखी राम जोशी कहते हैं कि स्वर्गीय कल्याण सिंह जैसे राजनीतिज्ञ का जाना एक बड़ी क्षति है, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लिहाज से तो कल्याण सिंह की भूमिका काफी अहम रही थी. साल 1997 में कल्याण सिंह जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तो फिर दोबारा विधानसभा में संकल्प लाया गया. यही नहीं अलग राज्य निर्माण को लेकर हो रही देरी पर विधायक रहे लखीराम जोशी ने अपना इस्तीफा तक सौंप दिया था.

पढ़ें- कल्याण सिंह का निधन : यूपी में तीन दिन का राजकीय शोक, सोमवार को होगा अंतिम संस्कार

हालांकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के समझाने पर उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया. साल 2000 से पहले उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा रहा लिहाजा, उत्तराखंड के लोगों ने भी कल्याण सिंह को दो बार मुख्यमंत्री के रूप में जाना और उनके कुशल प्रशासन को महसूस भी किया. कल्याण सिंह का नाम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शी परीक्षा व्यवस्था संचालित करने के लिए भी जाना जाता है. उन्होंने परीक्षाओं में नकल की पुरानी चली आ रही व्यवस्थाओं को पूरी तरह से खत्म किया था.

राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती कहते हैं कि कल्याण सिंह एक अच्छे प्रशासक और कानून व्यवस्था देने वाले मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को बखूबी चलाया और कई नये बदलाव भी किए. बहरहाल, कल्याण सिंह अब हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उत्तर प्रदेश की तरह ही उत्तराखंड के लोगों के दिलों में भी कल्याण सिंह हमेशा जीवित रहेंगे और उत्तराखंड के निर्माण को लेकर उनकी भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा.

देहरादून: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान समेत हिमाचल के राज्यपाल रहे स्वर्गीय कल्याण सिंह राजनीति में अपनी साफ छवि और कुशल व्यवहार को लेकर जाने जाते थे. आम लोगों से सीधा जुड़ाव होने के चलते उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह हमेशा जनता के करीब रहे. उत्तराखंड को लेकर भी स्वर्गीय कल्याण सिंह की यादें बेहद खास रही है.

कल्याण सिंह ने उत्तराखंड को अलग राज्य के रूप में स्थापित करने को लेकर बेहद अहम रोल अदा किया था और शायद इसीलिए उत्तराखंड वासियों के दिलों में हमेशा कल्याण सिंह जीवित रहेंगे.

उत्तर प्रदेश से अलग राज्य के रूप में उत्तराखंड के लोगों की लड़ाई काफी लंबे समय तक रही थी, इस लड़ाई को लड़ते हुए 1988 में उत्तरांचल राज्य निर्माण संघर्ष समिति बनाई गई. जानकारों की मानें तो इस समिति को स्वर्गीय कल्याण सिंह के मार्गदर्शन में ही बनाया गया था.

खास बात यह है कि जब 1991 में भाजपा की सरकार आई और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने तब पहली बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा में उत्तरांचल एक अलग राज्य के रूप में स्थापित करने को लेकर संकल्प पारित किया गया. जिसके बाद एक अलग राज्य को लेकर उत्तराखंड के लोगों की उम्मीदें परवान चढ़ी. हालांकि, इसके बाद भी उत्तराखंड के लोगों को अलग राज्य के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी.

तत्कालीन विधायक लाखी राम जोशी कहते हैं कि स्वर्गीय कल्याण सिंह जैसे राजनीतिज्ञ का जाना एक बड़ी क्षति है, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लिहाज से तो कल्याण सिंह की भूमिका काफी अहम रही थी. साल 1997 में कल्याण सिंह जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तो फिर दोबारा विधानसभा में संकल्प लाया गया. यही नहीं अलग राज्य निर्माण को लेकर हो रही देरी पर विधायक रहे लखीराम जोशी ने अपना इस्तीफा तक सौंप दिया था.

पढ़ें- कल्याण सिंह का निधन : यूपी में तीन दिन का राजकीय शोक, सोमवार को होगा अंतिम संस्कार

हालांकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के समझाने पर उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया. साल 2000 से पहले उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा रहा लिहाजा, उत्तराखंड के लोगों ने भी कल्याण सिंह को दो बार मुख्यमंत्री के रूप में जाना और उनके कुशल प्रशासन को महसूस भी किया. कल्याण सिंह का नाम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शी परीक्षा व्यवस्था संचालित करने के लिए भी जाना जाता है. उन्होंने परीक्षाओं में नकल की पुरानी चली आ रही व्यवस्थाओं को पूरी तरह से खत्म किया था.

राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती कहते हैं कि कल्याण सिंह एक अच्छे प्रशासक और कानून व्यवस्था देने वाले मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को बखूबी चलाया और कई नये बदलाव भी किए. बहरहाल, कल्याण सिंह अब हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उत्तर प्रदेश की तरह ही उत्तराखंड के लोगों के दिलों में भी कल्याण सिंह हमेशा जीवित रहेंगे और उत्तराखंड के निर्माण को लेकर उनकी भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा.

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