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खास बातचीत में मंत्री रेखा आर्य ने बयां की अपने राजनीतिक सफर की कहानी

ईटीवी भारत से खास बातचीत में महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने अपने राजनीतिक सफर की कहानी बयां की. इस दौरान उन्होंने अपनी बचपन से जुड़ी यादों को भी साझा किया.

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महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य से खास बातचीत.
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Published : Jan 10, 2020, 7:26 PM IST

Updated : Jan 10, 2020, 7:41 PM IST

देहरादून: सूबे की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का नाम आज प्रदेश की तेज-तर्रार और कर्मठ महिला नेत्रियों में शुमार है. शायद ही आपको रेखा आर्य के राजनीतिक सफर की दिलचस्प कहानी पता हो ? शुक्रवार को ईटीवी भारत के विशेष कार्यक्रम में रेखा आर्या ने अपने राजनीतिक सफर की कहानी बयां की.

महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य से खास बातचीत.

ईटीवी भारत के धाकड़ रिपोर्टरों से बात करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि वह एक बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने बताया उनके पिता सीआरपीएफ में कार्यरत थे जिसके कारण उनका बचपन मध्य प्रदेश में बीता. ऐसे में तब तक उन्हें पहाड़ की वास्तविक परिस्थितियों का बिल्कुल अंदाजा नहीं था, कुछ सालों बाद जब उनके पिता सेवानिवृत्त होकर पैतृक गांव लौट आए तब जाकर उन्हें यहां की वास्तविकता और कठिनाइयों का एहसास हुआ.

पढ़ें-श्रम योगी मानधन योजना: साल में 12 लाख रजिस्ट्रेशन का था लक्ष्य, हुए सिर्फ 32 हजार

उन्होंने बताया कि एक बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने कि वजह से कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया सुविधाओं के अभाव के चलते कई बार उन्हें अपनी मां के साथ कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था. रेखा आर्य ने बताया उनके गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव था, जिसके कारण हमेशा ही उनके मन में गांव और लोगों के लिए कुछ करने इच्छा होता थी. जिसके बाद बीतते समय के साथ उनकी ये इच्छा और प्रबल हुई और धीरे-धीरे वे व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिए उन्हें खुद इसका हिस्सा बन गई.

पढ़ें-आजादी के सात दशक बाद भी नहीं बदली इस गांव की तस्वीर, आदिम युग में जीने को मजबूर ग्रामीण

अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की कहानी बयां करते हुए रेखा आर्य ने बताया कि उन्होंने पहली बार 2003 में जिला पंचायत सदस्य के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा. जिसके बाद साल 2014 के उपचुनाव में वह सोमेश्वर सीट की विधायक चुनी गई, तब वह कांग्रेस में थी. जिसके बाद पार्टी और उनके विचारों में मदभेद के चलते 2017 उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. इस साल हुए विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर से सोमेश्वर सीट विधायक चुनी गई. जिसके बाद सरकार ने उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी.

देहरादून: सूबे की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का नाम आज प्रदेश की तेज-तर्रार और कर्मठ महिला नेत्रियों में शुमार है. शायद ही आपको रेखा आर्य के राजनीतिक सफर की दिलचस्प कहानी पता हो ? शुक्रवार को ईटीवी भारत के विशेष कार्यक्रम में रेखा आर्या ने अपने राजनीतिक सफर की कहानी बयां की.

महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य से खास बातचीत.

ईटीवी भारत के धाकड़ रिपोर्टरों से बात करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि वह एक बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने बताया उनके पिता सीआरपीएफ में कार्यरत थे जिसके कारण उनका बचपन मध्य प्रदेश में बीता. ऐसे में तब तक उन्हें पहाड़ की वास्तविक परिस्थितियों का बिल्कुल अंदाजा नहीं था, कुछ सालों बाद जब उनके पिता सेवानिवृत्त होकर पैतृक गांव लौट आए तब जाकर उन्हें यहां की वास्तविकता और कठिनाइयों का एहसास हुआ.

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उन्होंने बताया कि एक बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने कि वजह से कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया सुविधाओं के अभाव के चलते कई बार उन्हें अपनी मां के साथ कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था. रेखा आर्य ने बताया उनके गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव था, जिसके कारण हमेशा ही उनके मन में गांव और लोगों के लिए कुछ करने इच्छा होता थी. जिसके बाद बीतते समय के साथ उनकी ये इच्छा और प्रबल हुई और धीरे-धीरे वे व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिए उन्हें खुद इसका हिस्सा बन गई.

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अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की कहानी बयां करते हुए रेखा आर्य ने बताया कि उन्होंने पहली बार 2003 में जिला पंचायत सदस्य के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा. जिसके बाद साल 2014 के उपचुनाव में वह सोमेश्वर सीट की विधायक चुनी गई, तब वह कांग्रेस में थी. जिसके बाद पार्टी और उनके विचारों में मदभेद के चलते 2017 उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. इस साल हुए विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर से सोमेश्वर सीट विधायक चुनी गई. जिसके बाद सरकार ने उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी.

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देहरादून- सूबे की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का नाम आज प्रदेश की तेजतर्रार और कर्मठ महिला नेत्रियों में शुमार है । लेकिन शायद ही आपको मंत्री रेखा आर्य के राजनीति के सफर की दिलचस्प कहानी पता हो ? ईटीवी भारत से खास बातचित में मंत्री रेखा आर्य ने आज अपने राजनीतिक सफर की कहानी बखूबी बयां की ।

ईटीवी भारत से बात करते हुए मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि वह एक बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं । अपने पिता के सीआरपीएफ में कार्यरत होने की वजह से उनका बचपन मध्य प्रदेश में बीता । ऐसे में तब तक उन्हें पहाड़ की वास्तविक परिस्थितियों का बिल्कुल अंदाजा नहीं था । लेकिन कुछ सालों बाद जब उनके पिता सेवानिवृत्त होकर अल्मोड़ा स्थित अपने पैतृक गांव लौट आए तब उन्हें पहाड़ की वास्तविक और कठिन परिस्थितियों का एहसास हुआ।




Body:उन्होंने बताया कि एक बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने कि वजह से अपने पैतृक गांव लौटने के बाद उन्हें पहाड़ की वास्तविक परिस्थितियों का एहसास हुआ । इस दौरान उन्हें सुविधाओं के अभाव के चलते कई बार उन्हें अपनी माँ के साथ कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था । इसके अलावा उनके गांव में अन्य मूलभूत सुविधाओं का भी खासा अभाव था । ऐसे में अपने परिवारजनों और गाँव वालों की दयनीय ज़िंदगी को देख कर उन्हें यह एहसास हुआ कि व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिए उन्हें खुद व्यवस्था का हिस्सा बनना पड़ेगा ।

अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत की कहानी बयां करते हुए मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि उन्होंने पहली बार 2003 जिला पंचायत सदस्य के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा । जिसके बाद साल 2014 के उपचुनाव में वह कांग्रेस से सोमेश्वर सीट की विधायक चुनी गई । लेकिन कांग्रेस पार्टी और उनके विचारों में मदभेद के चलते 2017 उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर से सोमेश्वर सीट विधायक चुनी गई । जिसके बाद सरकार ने उन्हें सूबे की महिला एवं बाल विकास मंत्री की ज़िम्मेदारी सौपी ।


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Last Updated : Jan 10, 2020, 7:41 PM IST
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