देहरादून: सूबे की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का नाम आज प्रदेश की तेज-तर्रार और कर्मठ महिला नेत्रियों में शुमार है. शायद ही आपको रेखा आर्य के राजनीतिक सफर की दिलचस्प कहानी पता हो ? शुक्रवार को ईटीवी भारत के विशेष कार्यक्रम में रेखा आर्या ने अपने राजनीतिक सफर की कहानी बयां की.
ईटीवी भारत के धाकड़ रिपोर्टरों से बात करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि वह एक बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने बताया उनके पिता सीआरपीएफ में कार्यरत थे जिसके कारण उनका बचपन मध्य प्रदेश में बीता. ऐसे में तब तक उन्हें पहाड़ की वास्तविक परिस्थितियों का बिल्कुल अंदाजा नहीं था, कुछ सालों बाद जब उनके पिता सेवानिवृत्त होकर पैतृक गांव लौट आए तब जाकर उन्हें यहां की वास्तविकता और कठिनाइयों का एहसास हुआ.
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उन्होंने बताया कि एक बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने कि वजह से कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया सुविधाओं के अभाव के चलते कई बार उन्हें अपनी मां के साथ कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था. रेखा आर्य ने बताया उनके गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव था, जिसके कारण हमेशा ही उनके मन में गांव और लोगों के लिए कुछ करने इच्छा होता थी. जिसके बाद बीतते समय के साथ उनकी ये इच्छा और प्रबल हुई और धीरे-धीरे वे व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिए उन्हें खुद इसका हिस्सा बन गई.
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अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की कहानी बयां करते हुए रेखा आर्य ने बताया कि उन्होंने पहली बार 2003 में जिला पंचायत सदस्य के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा. जिसके बाद साल 2014 के उपचुनाव में वह सोमेश्वर सीट की विधायक चुनी गई, तब वह कांग्रेस में थी. जिसके बाद पार्टी और उनके विचारों में मदभेद के चलते 2017 उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. इस साल हुए विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर से सोमेश्वर सीट विधायक चुनी गई. जिसके बाद सरकार ने उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी.