देहरादून: आज के दौर में लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता बढ़ी है. लोग दैनिक दिनचर्या से लेकर खानपान तक के मामले में बहुत ही जागरुक हो गये हैं. लोग खाने पीने से लेकर खाद्य समाग्री की वस्तुओं को काफी एहतियात बरतने लगे हैं. यही कारण है कि बाजार में आजकल ऐसे धातु के बर्तनों की मांग है जो स्वास्थ्य और सेहत में संतुलन बनाकर रखते हैं.
आज तरह-तरह की बीमारियों और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के प्रति सतर्क होकर लोग खाने-पीने के बर्तनों से भी परहेज कर रहे हैं. एल्युमिनियम, स्टील व प्लास्टिक जैसे धातुओं से बने बर्तनों से कई तरह की समस्याएं आती हैं. जिससे अब लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होकर पुराने दौर में लौटते हुए तांबा, कांसा, पीतल और अष्ट धातु जैसे मेटल से बने बर्तनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. जिसके कारण बाजार में इनकी मांग बढ़ने लगी है. जानकारी के मुताबिक देशभर में प्लास्टिक क्रांति से हटकर लोग अब तांबा कांसा, पीतल जैसे धातु वाले बर्तनों को अपना रहे हैं. जानकारी के अनुसार इन धातुओं की डिमांड 2019 में 20 से 25% बढ़ी है.
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पुराने समय के लोग खाना बनाने के लिए पीतल, तांबा और कांसे के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे. जिससे वे स्वस्थ रहते थे. आजकल के लोग भी धीरे-धीरे इन्हीं चीजों को अपना रहे हैं. बर्तन व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का भी मानना है कि तरह-तरह की बीमारियां व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के चलते अब लोग प्लास्टिक से तौबा करने लगे हैं. तांबा, कांसा पीतल जैसी धातुओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है. जिसके कारण इन धातु के बर्तनों की डिमांड एकाएक बढ़ गई है. वर्तमान में तांबा, कांसा, पीतल अष्टधातु का बाजार इस साल 25 से 30% बढ़ा है. ऐसे में इसकी गति को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि 2020 तक इसका बाजार 50% प्रतिशत तक बढ़ सकता है.
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बर्तन व्यवसाय से जुड़े देवेंद्र सिंह की मानें तो आने वाले दिनों में प्लास्टिक और एल्युमिनियम का बाजार ना के बराबर रह जाएगा. ऐसे में जिस तरह से पुरानी धातुओं की डिमांड बढ़ रही है उससे बाजार का चेहरा बदलने के आसार हैं. कांसा, तांबा, पीतल और अष्टधातु जैसे पुराने मेटल का ग्राफ बाजार में बढ़ने लगा है.