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बाजार में बढ़ रही पीतल, कांसे से बने बर्तनों की डिमांड, प्लास्टिक से तौबा कर रहे लोग

पुराने समय के लोग खाना बनाने के लिए पीतल, तांबा और कांसे के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे. जिससे वे स्वस्थ रहते थे.आजकल के लोग भी धीरे-धीरे इन्हीं चीजों को अपना रहे हैं. बर्तन व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का भी मानना है कि तरह-तरह की बीमारियां व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के चलते अब लोग प्लास्टिक से तौबा करने लगे हैं.

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Published : Oct 24, 2019, 11:41 PM IST

बाजार में बढ़ रही पीतल, कांसे से बने बर्तनों की डिमांड

देहरादून: आज के दौर में लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता बढ़ी है. लोग दैनिक दिनचर्या से लेकर खानपान तक के मामले में बहुत ही जागरुक हो गये हैं. लोग खाने पीने से लेकर खाद्य समाग्री की वस्तुओं को काफी एहतियात बरतने लगे हैं. यही कारण है कि बाजार में आजकल ऐसे धातु के बर्तनों की मांग है जो स्वास्थ्य और सेहत में संतुलन बनाकर रखते हैं.

बाजार में बढ़ रही पीतल, कांसे से बने बर्तनों की डिमांड

आज तरह-तरह की बीमारियों और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के प्रति सतर्क होकर लोग खाने-पीने के बर्तनों से भी परहेज कर रहे हैं. एल्युमिनियम, स्टील व प्लास्टिक जैसे धातुओं से बने बर्तनों से कई तरह की समस्याएं आती हैं. जिससे अब लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होकर पुराने दौर में लौटते हुए तांबा, कांसा, पीतल और अष्ट धातु जैसे मेटल से बने बर्तनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. जिसके कारण बाजार में इनकी मांग बढ़ने लगी है. जानकारी के मुताबिक देशभर में प्लास्टिक क्रांति से हटकर लोग अब तांबा कांसा, पीतल जैसे धातु वाले बर्तनों को अपना रहे हैं. जानकारी के अनुसार इन धातुओं की डिमांड 2019 में 20 से 25% बढ़ी है.

पढ़ें-भाजपा ने कही निर्दलीयों का समर्थन लेने की बात, कांग्रेस ने लगाया खरीद-फरोख्त का आरोप

पुराने समय के लोग खाना बनाने के लिए पीतल, तांबा और कांसे के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे. जिससे वे स्वस्थ रहते थे. आजकल के लोग भी धीरे-धीरे इन्हीं चीजों को अपना रहे हैं. बर्तन व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का भी मानना है कि तरह-तरह की बीमारियां व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के चलते अब लोग प्लास्टिक से तौबा करने लगे हैं. तांबा, कांसा पीतल जैसी धातुओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है. जिसके कारण इन धातु के बर्तनों की डिमांड एकाएक बढ़ गई है. वर्तमान में तांबा, कांसा, पीतल अष्टधातु का बाजार इस साल 25 से 30% बढ़ा है. ऐसे में इसकी गति को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि 2020 तक इसका बाजार 50% प्रतिशत तक बढ़ सकता है.

पढ़ें-उत्तराखंड में जंगलों के बीच बसी है लक्ष्मण की तपोस्थली, मेघनाथ की हत्या के बाद यहां किया था तप

बर्तन व्यवसाय से जुड़े देवेंद्र सिंह की मानें तो आने वाले दिनों में प्लास्टिक और एल्युमिनियम का बाजार ना के बराबर रह जाएगा. ऐसे में जिस तरह से पुरानी धातुओं की डिमांड बढ़ रही है उससे बाजार का चेहरा बदलने के आसार हैं. कांसा, तांबा, पीतल और अष्टधातु जैसे पुराने मेटल का ग्राफ बाजार में बढ़ने लगा है.

देहरादून: आज के दौर में लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता बढ़ी है. लोग दैनिक दिनचर्या से लेकर खानपान तक के मामले में बहुत ही जागरुक हो गये हैं. लोग खाने पीने से लेकर खाद्य समाग्री की वस्तुओं को काफी एहतियात बरतने लगे हैं. यही कारण है कि बाजार में आजकल ऐसे धातु के बर्तनों की मांग है जो स्वास्थ्य और सेहत में संतुलन बनाकर रखते हैं.

बाजार में बढ़ रही पीतल, कांसे से बने बर्तनों की डिमांड

आज तरह-तरह की बीमारियों और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के प्रति सतर्क होकर लोग खाने-पीने के बर्तनों से भी परहेज कर रहे हैं. एल्युमिनियम, स्टील व प्लास्टिक जैसे धातुओं से बने बर्तनों से कई तरह की समस्याएं आती हैं. जिससे अब लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होकर पुराने दौर में लौटते हुए तांबा, कांसा, पीतल और अष्ट धातु जैसे मेटल से बने बर्तनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. जिसके कारण बाजार में इनकी मांग बढ़ने लगी है. जानकारी के मुताबिक देशभर में प्लास्टिक क्रांति से हटकर लोग अब तांबा कांसा, पीतल जैसे धातु वाले बर्तनों को अपना रहे हैं. जानकारी के अनुसार इन धातुओं की डिमांड 2019 में 20 से 25% बढ़ी है.

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पुराने समय के लोग खाना बनाने के लिए पीतल, तांबा और कांसे के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे. जिससे वे स्वस्थ रहते थे. आजकल के लोग भी धीरे-धीरे इन्हीं चीजों को अपना रहे हैं. बर्तन व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का भी मानना है कि तरह-तरह की बीमारियां व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के चलते अब लोग प्लास्टिक से तौबा करने लगे हैं. तांबा, कांसा पीतल जैसी धातुओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है. जिसके कारण इन धातु के बर्तनों की डिमांड एकाएक बढ़ गई है. वर्तमान में तांबा, कांसा, पीतल अष्टधातु का बाजार इस साल 25 से 30% बढ़ा है. ऐसे में इसकी गति को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि 2020 तक इसका बाजार 50% प्रतिशत तक बढ़ सकता है.

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बर्तन व्यवसाय से जुड़े देवेंद्र सिंह की मानें तो आने वाले दिनों में प्लास्टिक और एल्युमिनियम का बाजार ना के बराबर रह जाएगा. ऐसे में जिस तरह से पुरानी धातुओं की डिमांड बढ़ रही है उससे बाजार का चेहरा बदलने के आसार हैं. कांसा, तांबा, पीतल और अष्टधातु जैसे पुराने मेटल का ग्राफ बाजार में बढ़ने लगा है.

Intro:pls नोट महोदय, यह स्पेशल स्टोरी है, इसके कुछ विजुअल और one to one लाइव व्यू 08 से भेजे गए हैं. file name- "Metal"
नोट-2-इसके अलावा स्टोरी सम्बंधित कुछ विजुअल और व्यापारी की बाईट मोजो से भेजी गई।




summary-स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होकर इन धातुओं के बतर्न की बड़ी बाज़ार डिमांड, स्टील,अल्मुनियम व प्लास्टिक को छोड़ अब पुराने समय के मुताबिक तांबा,कासा पीतल व अष्ट धातु जैसे बर्तनों के बाजार में 20 से 30 प्रतिशत बढ़ोतरी।

वर्तमान समय में इस बात को लेकर एकाएक जागरूकता बढ़ी है कि, हम किसी भी तरह का खान पीन वाली खाद्य समाग्री को ऐसे धातु के बर्तन में खाएं जिससे ना सिर्फ शरीर स्वस्थ हों बल्कि, सेहत का संतुलन भी बेहतर का बना रहे।
आज तरह-तरह की गंभीर बीमारियों और स्वास्थ्य से जुड़े समस्याओं के प्रति सतर्क होकर लोग खाने-पीने के बर्तनों से भी परहेज कर रहे हैं...एलमुनियम, स्टील व प्लास्टिक जैसे धातुओं से बने बर्तनों से कई तरह की समस्याएं जैसी जानकारी सामने आने के बाद.... अब लोग स्वास्थ्य के प्रति सतर्क होकर पुराने दौर में लौटते हुए तांबा,कांसा,पीतल और अष्ट धातु जैसे मेटल से बने बर्तनों की ओर आकर्षित उन्हें खरीदना पसंद कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक देशभर में प्लास्टिक की क्रांति से हटकर लोग आज स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होकर जैसे-जैसे तांबा कांसा पीतल जैसे धातु वाले बर्तनों की तरफ बढ़ रहे हैं, उसके मुताबिक इस धातु का बाजार भी डिमांड अनुसार 2019 वर्ष में 20 से 25% बढ़ा है।




Body:बाजार में जहां प्लास्टिक के आइटम से लोग अब परहेज कर रहे हैं, तो वही एल्युमीनियम के बर्तनों से भी कई तरह की स्वास्थ्य को लेकर आ रही शिकायतों के मद्देनजर, अब लोग कासा के बर्तन में खाना पसंद कर रहे हैं... वहीं खाना बनाना के लिए पीतल के बर्तनों को पुराने समय की तरह ही सेहत व स्वास्थ्य के लिए अच्छा मान रहे हैं। पानी पीने के लिए प्लास्टिक एक से बढ़कर एक वैरायटी वाली बोतलों की जगह ...अब बाजार में तांबा धातु से बने बोतल नजर आ रहे हैं.. स्कूली बच्चों से लेकर ऑफिस जाने वाले लोग तांबे से बनी बोतलों में पानी पी रहे हैं और घर पर तांबे के बड़े जार में पानी स्टोर कर रहे हैं।


वही बर्तन व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का भी मानना है कि तरह-तरह की बीमारियां व स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के चलते अब प्लास्टिक से लोग तोबा कर रहे हैं और तांबा,कासा पीतल जैसे धातु से बनी बर्तनों को खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ऐसे में पुराने समय में इस्तेमाल होने वाली इन धातु के बर्तनों की डिमांड एकाएक बढ़ गई है। कभी प्लास्टिक और एलमुनियम की डिमांड अधिकांश कस्टमर की होती थी लेकिन वर्तमान समय में तांबा,कासा, पीतल अष्टधातु का बाजार इस वर्ष 25 से 30% बढ़ा है, ऐसे में इसकी गति को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 2020 तक इसका बाजार 50% प्रतिशत तक बढ़ सकता हैं।

बाईट- सुजीत जैन, बर्तन व्यापारी


Conclusion:वही बर्तन व्यवसाई से जुड़े देवेंद्र सिंह की माने तो स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से आने वाले दिनों में प्लास्टिक और एलमुनियम का बाजार ना के बराबर रह जाएगा। ऐसे में वर्तमान समय में जिस तरह से पुरानी धातुओं से बने बर्तनों की डिमांड बढ़ रही है। उससे बाजार का चेहरा ही बदलने के आसार है। कासा तांबा पीतल और अष्टधातु जैसे पुराने मेटल के बाजार में चलन का ग्राफ बढ़ने से हाथ से कामगार करने वालों के लिए भी रोजगार अवसर बढ़ रहे हैं जो अपने आप में खुशी की बात है।
वही वर्तमान में बर्तनों के बाजार में नई क्रांति आना व्यापारियों के लिए भी मंदी के दौर में उभरने का बड़ा सुनहरा अवसर है।

one to one
देवेंद्र सिंह बर्तन व्यापारी
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