देहरादून: राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमएसी) देहरादून के शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ राज्यपाल गुरमीत सिंह ने किया. आरआईएमसी के छात्रों ने इस मौके पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये. एकेडमिक ईयर में अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को राज्यपाल ने सम्मानित भी किया. राज्यपाल ने इस अवसर पर आरआईएमसी की स्मारिका का विमोचन भी किया गया. कार्यक्रम में आरआईएमएसी से जुड़े कई पुराने छात्र भी मौजूद रहे. मौके पर पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएफ धनवा, आरआईएमसी के कमांडर अजय कुमार मौजूद रहे.
बता दें, देहरादून स्थित राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (आरआईएमसी) ने रविवार को अपने गौरवशाली 100 वर्ष पूरे किए. आरआईएमसी भारतीय उपमहाद्वीप का पहला सैन्य प्रशिक्षण संस्थान है, जिसका उद्घाटन 13 मार्च 1922 को तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स (किंग एडवर्ड अष्टम) ने किया था. आरआईएमसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी एझिमाला के लिए प्रमुख फीडर संस्थान है. संस्थान देश को अब तक छह सेना प्रमुख, 41 सेना कमांडर और समकक्ष समेत 163 लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के सैन्य अधिकारी दे चुका है.
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सबसे खास बात ये है कि अपने 100 साल के इतिहास में राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज पहली बार लड़कियों के लिए अपने दरवाजे खोल रहा है. इस साल जुलाई में शुरू होने वाले नए सत्र से ये सैन्य कॉलेज लड़कियों को प्रवेश देगा. समारोह में आरआईएमसी कमांडेंट कर्नल अजय कुमार ने यह घोषणा की. कर्नल कुमार ने शताब्दी समारोह में कहा कि जुलाई में पांच छात्राओं को प्रवेश दिया जाएगा.
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वहीं, स्थापना दिवस समारोह के पहले दिन डाक टिकट और कवर का विमोचन किया गया. कैडेटों की ओर से लिखित ‘बल-विवेक नामक पुस्तक का अनावरण भी किया गया. वहीं, पूर्व सीआईएससी एयर मार्शल पीपी रेड्डी (रिटायर) प्रोफेसर सिद्धार्थ मिश्रा के ऐतिहासिक संग्रह 'वेलर एंड विजडम है', भी जारी किया जाएगा. अतिथि समारोह के दौरान आरआईएमसी के मैदान में कैडेटों और शिक्षकों के साथ संवाद स्थापित होगा.
बड़े सैन्य अभियानों में कुशल नेतृत्व किया: आरआईएमएसी के पूर्व छात्र भारतीय सेना में कई अहम दायित्व संभाल रहे हैं. द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर बालाकोट सैन्य अभियानों में यहां से निकले सैन्य अधिकारियों की नेतृत्व की भूमिका को सराहना मिली. शतक पूरा करने का स्मरणोत्सव संस्थान के सभी बाधाओं को झेलने का एक प्रमाण है.