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देवस्थानम बोर्ड और भू-कानून मुद्दा सुलझाने में जुटे CM धामी, जानें किस रणनीति पर चल रही सरकार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर समिति का गठन कर दिया है. जिसके बाद अब भू-कानून को लेकर भी समिति गठित करने की बात हो रही है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या धामी को भी पूर्व के मुख्यमंत्रियों द्वारा लिए गए फैसले गलत लगते हैं. समितियों का गठन तो इसी ओर इशारा कर रहा है.

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देनस्थानम बोर्ड और भू कानून के पेंच को सुलझाने में लगे धामी
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Published : Sep 5, 2021, 9:55 PM IST

Updated : Sep 5, 2021, 10:28 PM IST

देहरादून: राज्य सरकार ने देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड और भू-कानून पर कमेटी बनाने का निर्णय लिया था. जिसके तहत देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर राज्य सरकार ने तो कमेटी बना दी है, वहीं, भू-कानून पर कमेटी बनना बाकी है. ऐसे में अब एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा लिए गए निर्णय को खुद ही गलत ठहरा रहे हैं. यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा बनाए गए कानूनों में संशोधन के लिए कमेटी का गठन किया जा रहा है.

साल 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वैष्णो देवी में मौजूद श्राइन बोर्ड की तर्ज पर उत्तराखंड के चारधाम समेत 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने के लिए देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया. जब देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के प्रस्ताव पर त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल ने अपनी मुहर लगा दी, उसके बाद से ही चारों धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारियों का विरोध जारी है. बावजूद, इसके तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उस दौरान यह स्पष्ट कर दिया था कि यह बोर्ड किसी भी हाल में समाप्त नहीं किया जाएगा. ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल के दौरान ही पूर्ण रूप से देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में आ गया.

देनस्थानम बोर्ड और भू कानून के पेंच को सुलझाने में लगे धामी

पढ़ें-देवस्थानम बोर्ड के लिए गठित समिति के अध्यक्ष को मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन के समय से ही बोर्ड का विरोध हो रहा है. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में किसी की एक नहीं सुनी. जब मार्च 2021 में राज्य की कमान तीरथ सिंह रावत को सौंपी गई तो उन्होंने भी शुरुआत में इस ओर इशारा किया कि प्रबंधन बोर्ड पर विचार किए जाने की आवश्यकता है. मगर कुछ दिनों बाद ही तीरथ सिंह रावत भी बोर्ड को सही बताने लगे. उनके बाद राज्य की कमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी गई. उन्होंने देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है.

पढ़ें- जनता मिलन कार्यक्रम में उमड़ी फरियादियों की भीड़, CM ने सुनी समस्याएं

उन्होंने संदेश दिया कि व्यवस्था में प्रबंधन बोर्ड में संशोधन किए जाने की जरूरत है. इसके लिए मुख्यमंत्री धामी ने एक समिति की भी गठन किया है. इस समिति का अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी को बनाया गया. यही नहीं, मुख्यमंत्री ने देवस्थानम बोर्ड के सम्बन्ध में गठित समिति के अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने की भी स्वीकृति दी. आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री धामी ने हक-हकूकधारियों और तीर्थ पुरोहितों को मनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. अपने इस फैसले से मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री के फैसले पर भी कहीं ना कहीं सवाल खड़े कर दिए हैं.

पढ़ें- बदरीनाथ धाम में देवस्थानम बोर्ड को लेकर आंदोलन तेज, पुरोहितों ने कराया मुंडन

इसी तरह साल 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में होने वाले इन्वेस्टर्स समिट से पहले भू-कानून में बड़ा संशोधन किया. प्रदेश में भू-कानून को लेकर बीते दिनों शुरू हुई मुहिम के बाद वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-कानून को लेकर भी समिति बनाने का निर्णय लिया है. ऐसे में जल्द ही उम्मीद है कि देवस्थानम बोर्ड की तरह ही भू-कानून से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए समिति का गठन कर दिया जाएगा. ऐसे में मुख्यमंत्री धाम के इस फैसले से भी यही बात निकल कर सामने आ रही है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने जन आकांक्षाओं के अनुरूप भू-कानून को नहीं बना पाए.

पढ़ें- देवस्थानम बोर्ड बनाने की मंशा, तीर्थ पुरोहितों का विवाद, जानें क्या है कहानी

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जो भू-कानून और देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड बनाए थे, उससे पूरा तीर्थ पुरोहित समाज के साथ ही एक वर्ग त्रिवेंद्र सरकार से नाराज हो गया. ऐसे में धामी सरकार द्वारा कमेटी बनाने का मतलब यह है कि जो गलतियां त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में हुई हैं उन्हें सुधारा जाए. क्योंकि पुनर्विचार का मतलब ही सुधार करना होता है. समिति गठित करने का यही मतलब है कि सरकार ने अपनी गलतियां मान ली हैं. यही वजह है कि विपक्षी दल कांग्रेस भी लगातार राज्य सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है.

पढ़ें-रोटी की चाह में नहीं बिकने देंगे अपनी जमीन, उत्तराखंड में छिड़े भू-कानून आंदोलन की कहानी

वहीं, कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता डॉ प्रतिमा सिंह ने राज्य सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर धामी सरकार ने जो समिति गठित की है, यह समिति उस समय गठित की जानी चाहिए थी. जब देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया जा रहा था. उस दौरान चारों धामों समेत 51 मंदिरों से जुड़े सभी हक-हकूकधारियों और तीर्थ पुरोहितों से बातचीत करनी चाहिए थी. लेकिन, वर्तमान समय में धामी सरकार, देवस्थानम बोर्ड और भू- कानून पर कमेटी गठित कर रही है. जिससे साफ पता चलता है कि पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल में जो कार्य हुए हैं, वह सही नहीं थे. यही वजह है कि धामी सरकार पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल में किए गए कार्यों को सुधारने का काम कर रही है.

पढ़ें- कृषि भूमि बचाने को युवाओं ने छेड़ी मुहिम, #उत्तराखण्ड_मांगे_भू_कानून कर रहा ट्रेंड

इस मामले पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स का कहना है कि जब एक सरकार कोई निर्णय लेती है और कुछ लोग उस निर्णय का विरोध करते हैं. ऐसे में उन कमियों को दूर किया जाता है. लिहाजा अगर बोर्ड में कोई गलती होगी तो उसे सरकार सुधारने का काम करेगी. यही नहीं, भू- कानून में कोई चूक रह गई होगी तो उसे भी राज्य सरकार सुधारने का काम करेगी. यह भारतीय जनता की पार्टी यानी भाजपा है, जो जनता की सरकार है, उसकी जवाबदेही जनता के प्रति होती है. लिहाजा जनता की आवश्यकता के अनुसार जो-जो बदलाव करने पड़ेंगे, राज्य सरकार वो सभी बदलाव करेगी.

देहरादून: राज्य सरकार ने देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड और भू-कानून पर कमेटी बनाने का निर्णय लिया था. जिसके तहत देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर राज्य सरकार ने तो कमेटी बना दी है, वहीं, भू-कानून पर कमेटी बनना बाकी है. ऐसे में अब एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा लिए गए निर्णय को खुद ही गलत ठहरा रहे हैं. यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा बनाए गए कानूनों में संशोधन के लिए कमेटी का गठन किया जा रहा है.

साल 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वैष्णो देवी में मौजूद श्राइन बोर्ड की तर्ज पर उत्तराखंड के चारधाम समेत 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने के लिए देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया. जब देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के प्रस्ताव पर त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल ने अपनी मुहर लगा दी, उसके बाद से ही चारों धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारियों का विरोध जारी है. बावजूद, इसके तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उस दौरान यह स्पष्ट कर दिया था कि यह बोर्ड किसी भी हाल में समाप्त नहीं किया जाएगा. ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल के दौरान ही पूर्ण रूप से देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में आ गया.

देनस्थानम बोर्ड और भू कानून के पेंच को सुलझाने में लगे धामी

पढ़ें-देवस्थानम बोर्ड के लिए गठित समिति के अध्यक्ष को मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन के समय से ही बोर्ड का विरोध हो रहा है. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में किसी की एक नहीं सुनी. जब मार्च 2021 में राज्य की कमान तीरथ सिंह रावत को सौंपी गई तो उन्होंने भी शुरुआत में इस ओर इशारा किया कि प्रबंधन बोर्ड पर विचार किए जाने की आवश्यकता है. मगर कुछ दिनों बाद ही तीरथ सिंह रावत भी बोर्ड को सही बताने लगे. उनके बाद राज्य की कमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी गई. उन्होंने देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है.

पढ़ें- जनता मिलन कार्यक्रम में उमड़ी फरियादियों की भीड़, CM ने सुनी समस्याएं

उन्होंने संदेश दिया कि व्यवस्था में प्रबंधन बोर्ड में संशोधन किए जाने की जरूरत है. इसके लिए मुख्यमंत्री धामी ने एक समिति की भी गठन किया है. इस समिति का अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी को बनाया गया. यही नहीं, मुख्यमंत्री ने देवस्थानम बोर्ड के सम्बन्ध में गठित समिति के अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने की भी स्वीकृति दी. आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री धामी ने हक-हकूकधारियों और तीर्थ पुरोहितों को मनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. अपने इस फैसले से मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री के फैसले पर भी कहीं ना कहीं सवाल खड़े कर दिए हैं.

पढ़ें- बदरीनाथ धाम में देवस्थानम बोर्ड को लेकर आंदोलन तेज, पुरोहितों ने कराया मुंडन

इसी तरह साल 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में होने वाले इन्वेस्टर्स समिट से पहले भू-कानून में बड़ा संशोधन किया. प्रदेश में भू-कानून को लेकर बीते दिनों शुरू हुई मुहिम के बाद वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-कानून को लेकर भी समिति बनाने का निर्णय लिया है. ऐसे में जल्द ही उम्मीद है कि देवस्थानम बोर्ड की तरह ही भू-कानून से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए समिति का गठन कर दिया जाएगा. ऐसे में मुख्यमंत्री धाम के इस फैसले से भी यही बात निकल कर सामने आ रही है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने जन आकांक्षाओं के अनुरूप भू-कानून को नहीं बना पाए.

पढ़ें- देवस्थानम बोर्ड बनाने की मंशा, तीर्थ पुरोहितों का विवाद, जानें क्या है कहानी

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जो भू-कानून और देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड बनाए थे, उससे पूरा तीर्थ पुरोहित समाज के साथ ही एक वर्ग त्रिवेंद्र सरकार से नाराज हो गया. ऐसे में धामी सरकार द्वारा कमेटी बनाने का मतलब यह है कि जो गलतियां त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में हुई हैं उन्हें सुधारा जाए. क्योंकि पुनर्विचार का मतलब ही सुधार करना होता है. समिति गठित करने का यही मतलब है कि सरकार ने अपनी गलतियां मान ली हैं. यही वजह है कि विपक्षी दल कांग्रेस भी लगातार राज्य सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है.

पढ़ें-रोटी की चाह में नहीं बिकने देंगे अपनी जमीन, उत्तराखंड में छिड़े भू-कानून आंदोलन की कहानी

वहीं, कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता डॉ प्रतिमा सिंह ने राज्य सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर धामी सरकार ने जो समिति गठित की है, यह समिति उस समय गठित की जानी चाहिए थी. जब देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया जा रहा था. उस दौरान चारों धामों समेत 51 मंदिरों से जुड़े सभी हक-हकूकधारियों और तीर्थ पुरोहितों से बातचीत करनी चाहिए थी. लेकिन, वर्तमान समय में धामी सरकार, देवस्थानम बोर्ड और भू- कानून पर कमेटी गठित कर रही है. जिससे साफ पता चलता है कि पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल में जो कार्य हुए हैं, वह सही नहीं थे. यही वजह है कि धामी सरकार पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल में किए गए कार्यों को सुधारने का काम कर रही है.

पढ़ें- कृषि भूमि बचाने को युवाओं ने छेड़ी मुहिम, #उत्तराखण्ड_मांगे_भू_कानून कर रहा ट्रेंड

इस मामले पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स का कहना है कि जब एक सरकार कोई निर्णय लेती है और कुछ लोग उस निर्णय का विरोध करते हैं. ऐसे में उन कमियों को दूर किया जाता है. लिहाजा अगर बोर्ड में कोई गलती होगी तो उसे सरकार सुधारने का काम करेगी. यही नहीं, भू- कानून में कोई चूक रह गई होगी तो उसे भी राज्य सरकार सुधारने का काम करेगी. यह भारतीय जनता की पार्टी यानी भाजपा है, जो जनता की सरकार है, उसकी जवाबदेही जनता के प्रति होती है. लिहाजा जनता की आवश्यकता के अनुसार जो-जो बदलाव करने पड़ेंगे, राज्य सरकार वो सभी बदलाव करेगी.

Last Updated : Sep 5, 2021, 10:28 PM IST
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