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सड़क हादसों पर लगाम लगाने की कवायद, अब यातायात निदेशालय करेगा जिलेवार सर्वे - सड़क हादसों का सर्वे

ट्रैफिक निदेशक केवल खुराना के मुताबिक इस तरह के सर्वे से सड़क हादसों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाई जा सकती है. पुलिस के अलावा सभी संबंधित विभाग सड़क सुरक्षा को लेकर अपना-अपनी काम कर रहे हैं

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Published : Feb 12, 2019, 3:17 PM IST

देहरादून: प्रदेश में साल दर साल सड़क हादसों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है. इन हादसों पर अंकुश लगाने और जवाबदेही तय करने के लिए ट्रैफिक निदेशालय ने एक प्रोफार्मा तैयार किया है. निदेशालय ने ये प्रोफार्मा गढ़वाल व कुमाऊं रेंज आईजी सहित राज्य के सभी जिलों के कप्तानों को भेजा है. चारधाम यात्रा से पहले की इसे तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है.

पढे़ं- पिथौरागढ़ में यूनिवर्सिटी खोलने की फिर उठी मांग, सीमांत जिले के छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पा रही उच्च शिक्षा

ट्रैफिक निदेशालय ने 47 बिंदुओं का एक प्रोफोर्मा तैयार किया है. इस प्रोफार्मा में सड़क किसी भी हादसे के बाद मौके पर कौन-कौन गया ? घटनास्थल पर जांच पड़ताल कर क्या-क्या नोट किया गया? क्या घटना स्थल पर सीसीटीवी कैमरे में घटना का कोई मंजर कैद हुआ ? क्या वीडियो को चेक कर जांच की गई?, जैसे सवालों को शामिल किया गया है.

ट्रैफिक निदेशक केवल खुराना के मुताबिक इस तरह के सर्वे से सड़क हादसों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाई जा सकती है. पुलिस के अलावा सभी संबंधित विभाग सड़क सुरक्षा को लेकर अपना-अपनी काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के मद्देनजर मिलने वाले फंड की सुचारु व्यवस्था भी चेक की जाएगी. ताकि आने वाले समय में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी कार्रवाई तय की जा सके.

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सड़क हादसों पर लगाम लगाने की कवायद शुरू
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केवल खुराना के मुताबिक साल 2018 व 17 में सड़क दुर्घटना में मरने वाले की संख्या बीते कुछ सालों के मुकाबले बढ़ी है. इसमें सबसे ज्यादा मृतकों की संख्या युवाओं की है. इसको लेकर ट्रैफिक निदेशालय ने 2019 में होने वाली दुर्घटनाओं का विवरण सभी जिलों की पुलिस ने मांगा है.

ट्रैफिक निदेशालय द्वारा मांगे गये मुख्य बिंदु

  • घटनास्थल, घटना का दिनांक और समय
  • दुर्घटना वाहन के गलत दिशा में आने के कारण तो नहीं हुई है?
  • घटनास्थल से स्कूल की दूरी (यदि स्कूली वाहन/छात्र/छात्रा की हुई हो)
  • मृतकों की संख्या और मृतकों की उम्र
  • वाहन में सवार व्यक्तियों की संख्या.
  • घटनास्थल पर पुलिस ड्यूटी थी या नहीं.
  • घटनास्थल के आसपास सीसीटीवी कैमरे थे या नहीं?
  • सीसीटीवी कैमरे थे तो रिकॉर्डिंग चेक की गई या नहीं.
  • दुर्घटना होने पर संबंधित थाना क्षेत्र द्वारा क्या कार्रवाई की गई?
  • घटना-स्थल पर पहले पहुंचने वाले पुलिसकर्मी पुलिस अधिकारी पहुंचने वालों का समय.
  • घटनास्थल के आसपास चेतावनी बोर्ड है या नहीं, अगर है तो बोर्ड का फोटो.
  • दुर्घटना अगर ड्रंक एंड ड्राइव से हुई है तो पुलिस टीम कहां पर चेकिंग कर रही थी.
  • ओवरस्पीडिंग में दुर्घटना होने पर इंटरसेप्टर/रडार गन द्वारा पुलिस कहां चेकिंग कर रही थी. चेकिंग स्थल से घटनास्थल की दूरी.
  • यदि दुर्घटना और स्पीड में हुई है तो क्या पूर्व में भी उस वाहन का चालान हुआ था. यदि हुआ था तो उसका डीएल निरस्तीकरण के लिए भेजा गया या नहीं ?
  • दुर्घटना के समय संबंधित थाना/चौकियों का चेकिंग का स्थान, समय और चेकिंग अधिकारी का नाम.
  • घटनास्थल से चेकिंग प्वाइंट की दूरी और चेकिंग अधिकारी ने उस दिन कितने चालान किए?
  • यदि दुर्घटना स्कूली छात्र/छात्रा के साथ हुई है तो संबंधित स्कूल में यातायात जागरुकता कार्यक्रम चलाया गया था या नहीं ?
  • ओवर टेकिंग से यदि किसी स्थान पर पुन: दुर्घटना हुई है तो क्या उस स्थान पर डिवाइडर लगाए थे या नहीं ?
  • घटनास्थल राजपत्रित अधिकारी के पहुंचने का समय, उचित कार्रवाई का लेखा जोखा.
  • दोपहिया/चौपहिया वाहन में मरने वालों की संख्या (आगे वाला और पीछे वाला)
  • आरटीओ द्वारा दुर्घटना ग्रस्त वाहन का तकनीकी परीक्षण कब किया गया और परीक्षण का दिनांक.
  • पुलिस आरटीओ के द्वारा दुर्घटना स्थल पर पूर्व में चेकिंग की गई या नहीं.
  • दुर्घटना स्थल पर अगर पहले भी कोई दुर्घटना हुई है तो दुर्घटना रोकने के लिए पुलिस द्वारा क्या-क्या कार्रवाई की गई ?
  • दुर्घटना की रिपोर्ट claim tribunal को भेजी गई या नहीं ?
  • यदि दुर्घटना रोड खराब होने की वजह से हुई है तो जनपद प्रभारी/थाना प्रभारी द्वारा रोड सेफ्टी कमिटी को सूचित किया था या नहीं, अगर किया था तो कौन से दिन?
  • अगर एक ही स्थान पर पुनः दुर्घटना हुई है तो जनपद प्रभारी द्वारा थाना प्रभारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
  • जनपद में कुल सीसीटीवी कैमरा की संख्या?
  • कैमरों की मॉनिटरिंग कौन करता है ?
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देहरादून: प्रदेश में साल दर साल सड़क हादसों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है. इन हादसों पर अंकुश लगाने और जवाबदेही तय करने के लिए ट्रैफिक निदेशालय ने एक प्रोफार्मा तैयार किया है. निदेशालय ने ये प्रोफार्मा गढ़वाल व कुमाऊं रेंज आईजी सहित राज्य के सभी जिलों के कप्तानों को भेजा है. चारधाम यात्रा से पहले की इसे तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है.

पढे़ं- पिथौरागढ़ में यूनिवर्सिटी खोलने की फिर उठी मांग, सीमांत जिले के छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पा रही उच्च शिक्षा

ट्रैफिक निदेशालय ने 47 बिंदुओं का एक प्रोफोर्मा तैयार किया है. इस प्रोफार्मा में सड़क किसी भी हादसे के बाद मौके पर कौन-कौन गया ? घटनास्थल पर जांच पड़ताल कर क्या-क्या नोट किया गया? क्या घटना स्थल पर सीसीटीवी कैमरे में घटना का कोई मंजर कैद हुआ ? क्या वीडियो को चेक कर जांच की गई?, जैसे सवालों को शामिल किया गया है.

ट्रैफिक निदेशक केवल खुराना के मुताबिक इस तरह के सर्वे से सड़क हादसों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाई जा सकती है. पुलिस के अलावा सभी संबंधित विभाग सड़क सुरक्षा को लेकर अपना-अपनी काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के मद्देनजर मिलने वाले फंड की सुचारु व्यवस्था भी चेक की जाएगी. ताकि आने वाले समय में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी कार्रवाई तय की जा सके.

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सड़क हादसों पर लगाम लगाने की कवायद शुरू
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केवल खुराना के मुताबिक साल 2018 व 17 में सड़क दुर्घटना में मरने वाले की संख्या बीते कुछ सालों के मुकाबले बढ़ी है. इसमें सबसे ज्यादा मृतकों की संख्या युवाओं की है. इसको लेकर ट्रैफिक निदेशालय ने 2019 में होने वाली दुर्घटनाओं का विवरण सभी जिलों की पुलिस ने मांगा है.

ट्रैफिक निदेशालय द्वारा मांगे गये मुख्य बिंदु

  • घटनास्थल, घटना का दिनांक और समय
  • दुर्घटना वाहन के गलत दिशा में आने के कारण तो नहीं हुई है?
  • घटनास्थल से स्कूल की दूरी (यदि स्कूली वाहन/छात्र/छात्रा की हुई हो)
  • मृतकों की संख्या और मृतकों की उम्र
  • वाहन में सवार व्यक्तियों की संख्या.
  • घटनास्थल पर पुलिस ड्यूटी थी या नहीं.
  • घटनास्थल के आसपास सीसीटीवी कैमरे थे या नहीं?
  • सीसीटीवी कैमरे थे तो रिकॉर्डिंग चेक की गई या नहीं.
  • दुर्घटना होने पर संबंधित थाना क्षेत्र द्वारा क्या कार्रवाई की गई?
  • घटना-स्थल पर पहले पहुंचने वाले पुलिसकर्मी पुलिस अधिकारी पहुंचने वालों का समय.
  • घटनास्थल के आसपास चेतावनी बोर्ड है या नहीं, अगर है तो बोर्ड का फोटो.
  • दुर्घटना अगर ड्रंक एंड ड्राइव से हुई है तो पुलिस टीम कहां पर चेकिंग कर रही थी.
  • ओवरस्पीडिंग में दुर्घटना होने पर इंटरसेप्टर/रडार गन द्वारा पुलिस कहां चेकिंग कर रही थी. चेकिंग स्थल से घटनास्थल की दूरी.
  • यदि दुर्घटना और स्पीड में हुई है तो क्या पूर्व में भी उस वाहन का चालान हुआ था. यदि हुआ था तो उसका डीएल निरस्तीकरण के लिए भेजा गया या नहीं ?
  • दुर्घटना के समय संबंधित थाना/चौकियों का चेकिंग का स्थान, समय और चेकिंग अधिकारी का नाम.
  • घटनास्थल से चेकिंग प्वाइंट की दूरी और चेकिंग अधिकारी ने उस दिन कितने चालान किए?
  • यदि दुर्घटना स्कूली छात्र/छात्रा के साथ हुई है तो संबंधित स्कूल में यातायात जागरुकता कार्यक्रम चलाया गया था या नहीं ?
  • ओवर टेकिंग से यदि किसी स्थान पर पुन: दुर्घटना हुई है तो क्या उस स्थान पर डिवाइडर लगाए थे या नहीं ?
  • घटनास्थल राजपत्रित अधिकारी के पहुंचने का समय, उचित कार्रवाई का लेखा जोखा.
  • दोपहिया/चौपहिया वाहन में मरने वालों की संख्या (आगे वाला और पीछे वाला)
  • आरटीओ द्वारा दुर्घटना ग्रस्त वाहन का तकनीकी परीक्षण कब किया गया और परीक्षण का दिनांक.
  • पुलिस आरटीओ के द्वारा दुर्घटना स्थल पर पूर्व में चेकिंग की गई या नहीं.
  • दुर्घटना स्थल पर अगर पहले भी कोई दुर्घटना हुई है तो दुर्घटना रोकने के लिए पुलिस द्वारा क्या-क्या कार्रवाई की गई ?
  • दुर्घटना की रिपोर्ट claim tribunal को भेजी गई या नहीं ?
  • यदि दुर्घटना रोड खराब होने की वजह से हुई है तो जनपद प्रभारी/थाना प्रभारी द्वारा रोड सेफ्टी कमिटी को सूचित किया था या नहीं, अगर किया था तो कौन से दिन?
  • अगर एक ही स्थान पर पुनः दुर्घटना हुई है तो जनपद प्रभारी द्वारा थाना प्रभारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
  • जनपद में कुल सीसीटीवी कैमरा की संख्या?
  • कैमरों की मॉनिटरिंग कौन करता है ?
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सड़क हादसों पर लगाम लगाने की कवायद, अब यातायात निदेशालय करेगा जिलेवार सर्वे



देहरादून: प्रदेश में साल दर साल सड़क हादसों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है. इन हादसों पर अंकुश लगाने और जवाबदेही तय करने के लिए ट्रैफिक निदेशालय ने एक प्रोफार्मा तैयार किया है. निदेशालय ने ये प्रोफार्मा गढ़वाल व कुमाऊं रेंज आईजी सहित राज्य के सभी जिलों के कप्तानों को भेजा है. चारधाम यात्रा से पहले की इसे तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है.



ट्रैफिक निदेशालय ने 47 बिंदुओं का एक प्रोफोर्मा तैयार किया है. इस प्रोफार्मा में सड़क किसी भी हादसे के बाद मौके पर कौन-कौन गया ?  घटनास्थल पर जांच पड़ताल कर क्या-क्या नोट किया गया?  क्या घटना स्थल पर सीसीटीवी कैमरे में घटना का कोई मंजर कैद हुआ ? क्या वीडियो को चेक कर जांच की गई?, जैसे सवालों को शामिल किया गया है.  



ट्रैफिक निदेशक केवल खुराना के मुताबिक इस तरह के सर्वे से सड़क हादसों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाई जा सकती है. पुलिस के अलावा सभी संबंधित विभाग सड़क सुरक्षा को लेकर अपना-अपनी काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के मद्देनजर मिलने वाले  फंड की सुचारु व्यवस्था भी चेक की जाएगी. ताकि आने वाले समय में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी कार्रवाई तय की जा सके.



केवल खुराना के मुताबिक साल 2018 व 17 में सड़क दुर्घटना में मरने वाले की संख्या बीते कुछ सालों के मुकाबले बढ़ी है. इसमें सबसे ज्यादा मृतकों की संख्या युवाओं की है. इसको लेकर ट्रैफिक निदेशालय ने 2019 में होने वाली दुर्घटनाओं का विवरण सभी जिलों की पुलिस ने मांगा है. 



ट्रैफिक निदेशालय द्वारा मांगे गये बिंदुओं का विवरण



वाहन का प्रकार

घटना दिनांक और समय

घटनास्थल

दुर्घटना वाहन के गलत दिशा में आने के कारण तो नहीं हुई है?

घटनास्थल से स्कूल की दूरी (यदि स्कूली वाहन/छात्र/छात्रा की हुई हो)

वाहन की उम्र पंजीकरण दिनांक 

सड़क का प्रकार

मृतकों की संख्या 

मृतकों की उम्र 

वाहन चलाने वाला (चालक/परिचालक)

वाहन में सवार व्यक्तियों की संख्या.

घटनास्थल पर पुलिस ड्यूटी थी या नहीं.

घटनास्थल के आसपास सीसीटीवी कैमरे थे या नहीं?

सीसीटीवी कैमरे थे तो रिकॉर्डिंग चेक की गई या नहीं.

दुर्घटना होने पर संबंधित थाना क्षेत्र द्वारा क्या कार्रवाई की गई?

घटना-स्थल की फोटोग्राफी की गई अथवा नहीं .

घटना-स्थल पर पहले पहुंचने वाले पुलिसकर्मी पुलिस अधिकारी पहुंचने वालों का समय.

घटना-स्थल से भीड़-भाड़ वाले स्थान की दूरी.

घटना-स्थल के आसपास स्पीड ब्रेकर था या नहीं.

दुर्घटना ग्रस्त वाहन का बीमा था या नहीं.

घटनास्थल के आसपास चेतावनी बोर्ड है या नहीं, अगर है तो बोर्ड का फोटो.

दुर्घटना अगर ड्रंक एंड ड्राइव से हुई है तो पुलिस टीम कहां पर चेकिंग कर रही थी.

ओवरस्पीडिंग में दुर्घटना होने पर इंटरसेप्टर/रडार गन द्वारा पुलिस कहां चेकिंग कर रही थी. चेकिंग स्थल से घटनास्थल की दूरी.

जिस गाड़ी से दुर्घटना हुई क्या उस गाड़ी का पूर्व में भी चालान हुआ है ?

यदि दुर्घटना और स्पीड में हुई है तो क्या पूर्व में भी उस वाहन का चालान हुआ था. यदि हुआ था तो उसका डीएल निरस्तीकरण के लिए भेजा गया या नहीं ?

दुर्घटना स्थल से रेड लाइट कितनी दूरी पर है. वह रेड लाइट काम कर रही है या नहीं ?

दुर्घटना के समय संबंधित थाना/चौकियों का चेकिंग का स्थान, समय और चेकिंग अधिकारी का नाम.

घटनास्थल से चेकिंग प्वाइंट की दूरी और चेकिंग अधिकारी ने उस दिन कितने चालान किए?

यदि दुर्घटना स्कूली छात्र/छात्रा के साथ हुई है तो संबंधित स्कूल में यातायात जागरुकता कार्यक्रम चलाया गया था या नहीं ?

ओवर टेकिंग से यदि किसी स्थान पर पुन: दुर्घटना हुई है तो क्या उस स्थान पर डिवाइडर लगाए थे या नहीं ?

घटनास्थल राजपत्रित अधिकारी के पहुंचने का समय, उचित कार्रवाई का लेखा जोखा.

थानाध्यक्ष/चौकी इंचार्ज के घटनास्थल पर पहुंचने का समय.

घटनास्थल पर रवानगी का समय में जीडी नंबर.

घायल को अस्पताल ले जाने का समय.

दोपहिया/चौपहिया  वाहन में मरने वालों की संख्या (आगे वाला और पीछे वाला)

पैदल मृतक की दुर्घटना फुटपाथ पर हुई या सड़क पर.

आरटीओ कितने समय पर पहुंचा?

आरटीओ द्वारा दुर्घटना ग्रस्त वाहन का तकनीकी परीक्षण कब किया गया और परीक्षण का दिनांक.

पुलिस आरटीओ के द्वारा दुर्घटना स्थल पर पूर्व में चेकिंग की गई या नहीं.

दुर्घटना स्थल पर अगर पहले भी कोई दुर्घटना हुई है तो दुर्घटना रोकने के लिए पुलिस द्वारा क्या-क्या कार्रवाई की गई ?

दुर्घटना की रिपोर्ट claim tribunal को भेजी गई या नहीं ?

आरटीओ द्वारा दुर्घटना वाहन का तकनीकी परीक्षण कौन से दिनांक में किया गया?

यदि दुर्घटना रोड खराब होने की वजह से हुई है तो जनपद प्रभारी/थाना प्रभारी द्वारा रोड सेफ्टी कमिटी को सूचित किया था या नहीं, अगर किया था तो कौन से दिन?

अगर एक ही स्थान पर पुनः दुर्घटना हुई है तो जनपद प्रभारी द्वारा थाना प्रभारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?

दुर्घटना की पुनरावृत्ति होने का कारण? 

रोड के किनारे पैराफिट थे या नहीं ?

जनपद में कुल सीसीटीवी कैमरा की संख्या?

कैमरों की मॉनिटरिंग कौन करता है ?

 


Conclusion:
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