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केंद्र सरकार के नीतिगत फैसलों के विरुद्ध खड़े हुए लोग, 3,000 परिवारों ने CM को सौंपा ज्ञापन

ज्ञापन के माध्यम से उत्तराखंड के आम लोगों ने मांग रखी है कि राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार के जनविरोधी कदमों के खिलाफ आवाज उठाई जाई. खास तौर पर इन परिवारों ने मांग की है कि मजदूरों के अधिकार और आम लोगों के वन अधिकार को छीनने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं उनका विरोध किया जाए.

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केंद्र सरकार के नीतिगत फैसलों के विरुद्ध खड़े हुए लोग.
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Published : Dec 12, 2019, 9:47 PM IST

देहारादून: केंद्र सरकार के दो नीतिगत फैसलों के खिलाफ जन हस्तक्षेप संगठन की ओर से 3000 परिवारों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को ज्ञापन सौंपा है. गुरुवार को जन हस्तक्षेप से जुड़े प्रतिनिधियों ने परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर एसडीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान प्रतिनिधियों ने कहा कि वे सीएम से मिलकर इन परिवारों की बातें उनके सामने रखना चाहते हैं.

जन हस्तक्षेप संगठन के समन्वयक शंकर के अनुसार इस ज्ञापन के माध्यम से उत्तराखंड के आम लोगों ने मांग की है कि राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार के जनविरोधी कदमों के खिलाफ आवाज उठाई जाए. खास तौर पर इन परिवारों ने मांग की है कि मजदूरों के अधिकार और आम लोगों के वन अधिकार को छीनने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं उनका विरोध किया जाए. ज्ञापन के माध्यम से इन परिवारों ने कहा है कि अगर उत्तराखंड सरकार अपनी तरफ से इस मामले में पहल करेगी तो केंद्र सरकार इसे गंभीरता से लेगी.

केंद्र सरकार के नीतिगत फैसलों के विरुद्ध खड़े हुए लोग

पढ़ें-समाज कल्याण विभागम करोड़ों रुपया कु घोटाला

वहीं जन हस्तक्षेप से जुड़े डॉ सत्यनारायण सचान का कहना है कि केंद्र सरकार श्रम कानून को सरल करने के नाम पर सारे पुराने कानूनों को खत्म कर 4 नए कानून ला रही है. जिसके कारण काफी सारी कल्याणकारी योजनाएं बंद हो जाएंगी. इससे मजदूरों के कानूनी हक कमजोर हो जाएंगे. ये सभी कदम बड़े कॉरपोरेटर के हितों के लिए लिए जा रहे हैं.

पढ़ें-विधायक चैंपियन का खिलाफ मुकदमा दर्ज

सीएम को भेजे गये ज्ञापन लिखा गया है कि 10 मार्च 2019 को केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को एक पत्र से भारतीय वन कानून में संशोधन करने के लिए प्रस्ताव भेजा था. इस प्रस्ताव के अनुसार सरकार वन विभाग को अधिकार देने जा रही थी कि वह वन रक्षा के नाम पर गोली चला सकेंगे. इसके अलावा बिना वारंट गिरफ्तारी भी की जा सकेगी.

देहारादून: केंद्र सरकार के दो नीतिगत फैसलों के खिलाफ जन हस्तक्षेप संगठन की ओर से 3000 परिवारों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को ज्ञापन सौंपा है. गुरुवार को जन हस्तक्षेप से जुड़े प्रतिनिधियों ने परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर एसडीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान प्रतिनिधियों ने कहा कि वे सीएम से मिलकर इन परिवारों की बातें उनके सामने रखना चाहते हैं.

जन हस्तक्षेप संगठन के समन्वयक शंकर के अनुसार इस ज्ञापन के माध्यम से उत्तराखंड के आम लोगों ने मांग की है कि राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार के जनविरोधी कदमों के खिलाफ आवाज उठाई जाए. खास तौर पर इन परिवारों ने मांग की है कि मजदूरों के अधिकार और आम लोगों के वन अधिकार को छीनने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं उनका विरोध किया जाए. ज्ञापन के माध्यम से इन परिवारों ने कहा है कि अगर उत्तराखंड सरकार अपनी तरफ से इस मामले में पहल करेगी तो केंद्र सरकार इसे गंभीरता से लेगी.

केंद्र सरकार के नीतिगत फैसलों के विरुद्ध खड़े हुए लोग

पढ़ें-समाज कल्याण विभागम करोड़ों रुपया कु घोटाला

वहीं जन हस्तक्षेप से जुड़े डॉ सत्यनारायण सचान का कहना है कि केंद्र सरकार श्रम कानून को सरल करने के नाम पर सारे पुराने कानूनों को खत्म कर 4 नए कानून ला रही है. जिसके कारण काफी सारी कल्याणकारी योजनाएं बंद हो जाएंगी. इससे मजदूरों के कानूनी हक कमजोर हो जाएंगे. ये सभी कदम बड़े कॉरपोरेटर के हितों के लिए लिए जा रहे हैं.

पढ़ें-विधायक चैंपियन का खिलाफ मुकदमा दर्ज

सीएम को भेजे गये ज्ञापन लिखा गया है कि 10 मार्च 2019 को केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को एक पत्र से भारतीय वन कानून में संशोधन करने के लिए प्रस्ताव भेजा था. इस प्रस्ताव के अनुसार सरकार वन विभाग को अधिकार देने जा रही थी कि वह वन रक्षा के नाम पर गोली चला सकेंगे. इसके अलावा बिना वारंट गिरफ्तारी भी की जा सकेगी.

Intro:केंद्र सरकार के दो नीतिगत फैसलों के खिलाफ जन हस्तक्षेप की ओर से 3000 परिवारों ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को पत्र सौंपा है। जन हस्तक्षेप से जुड़े प्रतिनिधियों ने आज परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर एसडीएम के माध्यम से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधियों का कहना है कि वे उत्तराखंड के सीएम से मिलकर इन परिवारों की मांगे रखना चाह रहे हैं।


Body: जन हस्तक्षेप के समन्वयक शंकर के अनुसार इस ज्ञापन के माध्यम से उत्तराखंड के आम लोगों ने मांग रखी है कि राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार के जनविरोधी कदमों के खिलाफ आवाज उठाएं। खास तौर पर इन परिवारों ने मांग की है कि मजदूरों के अधिकार और आम लोगों के वन अधिकार को छीनने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं ,इन प्रयासों का विरोध किया जाए, ज्ञापन के माध्यम से इन परिवारों का कहना है कि यदि उत्तराखंड सरकार अपनी तरफ से पहल करे तो इन मुद्दों को केंद्र सरकार गंभीरता से लेगी।
बाइट -शंकर, समन्वयक जन हस्तक्षेप

वही जन हस्तक्षेप से जुड़े डॉ सत्यनारायण सचान का कहना है कि केंद्र सरकार श्रम कानून को सरल करने के नाम पर सारे पुराने कानूनों को खत्म करते हुए 4 नए कानून ला रही है जिस कारण काफी सारी कल्याणकारी योजनाएं बंद हो जाएंगी और मजदूरों के कानूनी हक कमजोर हो जाएंगे ।यह कदम बड़े कॉरपोरेटर के हितों के लिए लिए जा रहे हैं वैसे ही रोजगार और वेतन ठीक से नहीं मिल पा रहा और ऐसी परिस्थिति में ऐसा कदम उठाना बेहद जनविरोधी निर्णय है।
बाईट- डॉ सत्यनारायण सचान, प्रतिनिधि जन हस्तक्षेप और समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष(senior citizen)


Conclusion: ज्ञापन के माध्यम से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को भेजे पत्र में लिखा है कि 10 मार्च 2019 को केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को एक पत्र द्वारा भारतीय वन कानून में संशोधन करने के लिए प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव के अनुसार सरकार वन विभाग को अधिकार देने जा रही थी कि वह वन रक्षा के नाम पर गोली चला सकेंगे और गांव के किसी भी अधिकारी को पैसे देकर खत्म कर सकेंगे, इसके अलावा बिना वारंट गिरफ्तारी अच्छा परमार सकेंगे शताब्दियों से उत्तराखंड वासियों ने पहाड़ों और जंगलों का संरक्षण किया है। लेकिन सवाल यह है कि 6 महीने से इस प्रस्ताव को जारी रखने की बजाय सरकार को लोगों के वन अधिकारों को मान्यता देनी चाहिए थी इस काम के लिए भी सबसे पहले उत्तराखंड सरकार को आवाज उठानी चाहिए। ज्ञापन सौंपने के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बच्ची सिंह कंसवाल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से अशोक कुमार आदि शामिल थे
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