देहरादून: अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद वहां के हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान में कई सिक्योरिटी कंपनियों ने भी तालिबानियों के डर से कंपनी बंदकर अपने कर्मचारियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. इन कंपनियों में कई लोग 2 दशकों से ज्यादा समय से काम कर रहे हैं. ऐसी ही एक कंपनी है सलाउद्दीन, जिसने काबुल में अपने यहां नौकरी करने वाले लोगों को मुसीबत में छोड़ दिया है. काबुल में फंसे 114 भारतीय लोगों ने एक वीडियो जारी कर अपने हालातों को जुबानी बयां करते हुए भारत सरकार से मदद की अपील की है.
काबुल में अपनी जिंदगी बचाने के लिए जूझ रहे उत्तराखंड के लोगों ने अपने साथियों के साथ एक वीडियो जारी कर भारत सरकार से मदद मांगी है और कहा है कि वह पिछले 4 दिन से एक छोटे से कमरे में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं, उनके लिए खाना नहीं है, और न ही वो सो नहीं पा रहे हैं. ईटीवी भारत से जानकारी साझा करते हुए काबुल में फंसे लोगों ने कहा कि 114 लोगों में 97 लोग उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों से ताल्लुक रखते हैं.
पिछले 4 दिनों से काबुल में फंसे भारतीयों का दर्द: ईटीवी भारत को गढ़ी कैंट निवासी इसी सलाउद्दीन सिक्योरिटी कंपनी में काम करने वाले एक शख्स ने बताया कि काबुल से उनके साथी ने उनको ये वीडियो भेजा है. मुसीबत में फंसे इन लोगों ने ये वीडियो मंगलवार (17 अगस्त) सुबह 11:30 बजे देहरादून गढ़ी कैंट निवासी अपने साथियों को भेजा, ताकि उनकी मदद की बात भारत सरकार तक पहुंच सके.
इस वीडियो में बताया जा रहा है कि 114 लोग काबुल में जिंदगी बचाने के लिए बुरी तरह से फंसे हैं. कंपनी ने इन्हें मरने के लिए इनके हाल पर छोड़ दिया है. ऐसे में ये लोग भारत सरकार से वीडियो के जरिए अपील कर रहे हैं कि उनकी मदद की जाए और उन्हें अपने वतन वापस लाने के प्रयास किए जाएं. काबुल में इन 114 भारतीयों ने अपने वीडियो में बताया कि उनकी मुसीबत के कारण देहरादून में उनके परिजन भी पिछले तीन-चार दिनों से बिना खाए, पिये व सोए भारी मानसिक तनाव और सदमे से गुजर रहे हैं.
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बताया जा रहा है कि काबुल में फंसे यह लोग पिछले एक दशक से सलाउद्दीन कंपनी में सिक्योरिटी की नौकरी कर रहे थे. हालांकि, काफी लोग अफगानिस्तान और तालीबान के युद्ध जैसे गंभीर हालात को देखते हुए पहले ही भारत वापस आ चुके थे. लेकिन अब भी देहरादून के अलग-अलग क्षेत्रों के कई लोग सलाउद्दीन कंपनी में काम कर रहे थे. तालिबान का कब्जा होते ही कंपनी छोड़कर भाग गई और अब यह तमाम लोग जिंदगी बचाने के लिए एक छोटे से कमरे में छुपकर बैठे हैं.
दिल्ली एंबेसी से संपर्क कर मदद की गुहार: खबर लिखे जाने तक वीडियो जारी करने वाले ग्रुप के लोगों से ये सूचना मिली है वो लोग भारत सरकार दिल्ली एंबेसी से लगातार संपर्क कर मदद की गुहार लगा रहे हैं.
क्या है पूरा घटनाक्रम: अफगानिस्तान में लंबे समय से चले आ रहे युद्ध में रविवार 15 अगस्त को तालिबान के चरमपंथियों ने राजधानी काबुल में प्रवेश कर राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति अशरफ गनी को देशी-विदेशी नागरिकों के साथ देश छोड़कर जाना पड़ा. इसके बाद अफगानिस्तान में हालात बदतर हो रहे हैं. तालिबान का 1990 के दशक के अंत में देश पर कब्जा था और अब एक बार फिर उसका कब्जा हो गया है.
अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए भीषण आतंकी हमलों के बाद वाशिंगटन ने ओसामा बिन लादेन और उसे शरण देने वाले तालिबान को सबक सिखाने के लिए धावा बोला तथा विद्रोहियों को सत्ता से अपदस्थ कर दिया. बाद में, अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को भी मार गिराया था. अमेरिकी सैनिकों की अब वापसी शुरू होने के बाद तालिबान ने देश में फिर से अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में पूरे देश पर कब्जा कर पश्चिम समर्थित अफगान सरकार को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया.
इसी बीच काबुल एयरपोर्ट को सुबह अमेरिकी एजेंसियों ने दोबारा खुलवाया है. भारत अपने लोगों की सुरक्षा को लेकर सजग है. इसके मद्देनजर आज भारतीय वायुसेना का C-17 ने सुबह 7.30 बजे काबुल से उड़ान भरी. इस विमान में करीब 120 भारतीय अधिकारियों को वापस लाया गया है.