देहरादून: 108 आपातकालीन सेवा के पूर्व कर्मी पिछले 57 दिन से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं. नई कंपनी में समायोजित और समान वेतनमान की मांग को लेकर 108 कर्मियों ने मंगलवार को सत्र के दौरान विधानसभा कूच किया. लेकिन पुलिस बल ने बैरिकेट्स लगाकर प्रदर्शनकारियों को विधानसभा पहुंचने से पहले ही रोक दिया. रोके जाने से आक्रोशित प्रदर्शनकारी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर ही धरने पर बैठ गए.
बता दें कि साल 2008 में स्वास्थ्य मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल के दौरान 108 जीवीके ईएमआरआई उत्तराखंड में लॉन्च की गई थी. जिसे शुरू में ईएमआरआई यानी इमरजेंसी मैनेजमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता था. बाद में जीवीके ईएमआरआई ने इस सेवा को टेकओवर किया था. 11 साल सफलतापूर्वक संचालन के बाद बीते 1 मई 2019 को टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से 108 सेवा को कैंप कंपनी को संचालन के लिए दे दिया गया है.
वहीं सेवा नई कंपनी को टेकओवर हो जाने से 11 साल से 108 आपातकालीन सेवा में नौकरी कर रहे 717 कर्मचारियों के सामने रोजगार के साथ ही आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
जिसके चलते 108 सेवा के पूर्व कर्मचारी समान वेतन मान और नई कंपनी में समायोजन को लेकर बीते 57 दिनों से परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल में डटे हैं. वहीं 108 कर्मी बीतें 44 दिनों से क्रमिक अनशन पर है.
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ममाले को लेकर कर्मचारी यूनियन के प्रदेश सचिव विपिन जमलोकी ने बताय कि 11 सालों से राज्य की आपातकाल सेवा में कार्यरत थे. लेकिन सरकार द्वारा 30 मई को हम लोगों को रोजगार से वंचित कर दिया गया है. जिसके चलते हम लोग पिछले 57 दिनों से परेड ग्राउंड में शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान कोई ना कोई निर्णय जरूर सरकार लेगी. जिससे सभी पूर्व कर्मियों को रोजगार मिल सकेगा और अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो हम उग्र आंदोलन करते हुए दिल्ली कूच करेंगे.