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10 साल पुराने कमर्शियल वाहनों पर लग सकता है प्रतिबंध, हजारों लोगों पर मंडराया बेरोजगारी का खतरा - Dehradun taxi-maxi driver

देहरादून आरटीओ ने 10 साल पुराने डीजल कमर्शियल वाहनों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव तैयार कर तमाम ट्रांसपोर्टर्स की चिंताएं बढ़ा दी हैं. देहरादून आरटीओ के इस प्रस्ताव से खास तौर से पहाड़ों में आवागमन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टैक्सी-मैक्सी चालकों पर प्रभाव पड़ेगा.

10 साल पुराने कमर्शियल डीजल वाहनों के प्रतिबंध से ट्रांसपोर्टरों की बढ़ी चिंताए
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Published : Oct 31, 2019, 8:48 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में देहरादून आरटीओ ने 10 साल पुराने कमर्शियल डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने की कवायद तेज कर दी है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में ट्रांसपोर्ट के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टैक्सी-मैक्सी चालकों ने भी इस फैसले के विरोध में रणनीति बनानी शुरू कर दी है. इसे लेकर शुक्रवार को ऋषिकेश में सभी यूनियन बैठकर रणनीति तय करेंगे. ईटीवी भारत सवंददाता ने तमाम टैक्सी-मैक्सी चालकों से इस फैसले को लेकर बात की. आइये जानते हैं कि इस फैसले का उन पर क्या असर होगा.

देहरादून आरटीओ ने 10 साल पुराने डीजल कमर्शियल वाहनों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव तैयार कर तमाम ट्रांसपोर्टर्स की चिंताएं बढ़ा दी हैं. देहरादून आरटीओ के इस प्रस्ताव से खास तौर से पहाड़ों में आवागमन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टैक्सी-मैक्सी चालकों पर प्रभाव पड़ रहा है. यूनियन संचालकों ने इस फैसले को भयावह बताया है. देहरादून रिस्पना पुल से संचालित दून-गढ़वाल जीप कमांडर मालिक कल्याण संचालन समिति के लोगों से इस बारे में जब हमने बात की तो वो काफी आक्रोशित नजर आये.

10 साल पुराने कमर्शियल डीजल वाहनों के प्रतिबंध से ट्रांसपोर्टरों की बढ़ी चिंताए

यूनियन के अध्यक्ष संजय चौधरी ने इस फैसले को गलत बताते हुए कहा कि इस फैसले से कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे. यूनियन के सचिव राजेश कुमार ने कहा कि सरकार जिस तरह से 10 साल पुराने वाहनों को प्रतिबंधित करने का फैसला लेने की सोच रही है इससे पूरे गढ़वाल में ट्रांसपोर्टर्स पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.

पढ़ें-पिथौरागढ़ ट्रिपल मर्डर केस: अवैध संबंधों को हत्या की वजह मान रही पुलिस, नेपाल से जुड़े हैं तार

संगठन के महासचिव सत्यदेव उनियाल ने कहा कि ये फैसला सरकार एनजीटी के दबाव में ले रही है. उन्होंने कहा कि वाहन चालकों पर डंडा चलाने से बेहतर है कि सरकार अपना पक्ष एनजीटी के सामने सही से रखे. उन्होंने कहा कि केवल 10 साल पुराने डीजल वाहन ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो संतुलित तरीके से सभी पहलुओं को सोच समझकर फैसले ले.

पढ़ें-सऊदी अरब का दो दिवसीय दौरा पूरा कर स्वदेश लौटे PM मोदी

सत्यदेव उनियाल ने बताया की अगर सरकार जबरदस्ती इस फैसले को थोपने की सोच रही है तो वो इस बात को समझ लें कि टैक्सी- मैक्सी यूनियन पूरे राज्य की लाइफ लाइन है. अगर यह रुक गयी तो पूरा प्रदेश रुक जाएगा. उन्होंने बताया कि राज्यभर के टैक्सी-मैक्सी संगठन शुक्रवार को इस विषय पर ऋषिकेश में महासंघ की बैठक करने जा रहे हैं, जिसमें इस फैसले को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी.

देहरादून: उत्तराखंड में देहरादून आरटीओ ने 10 साल पुराने कमर्शियल डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने की कवायद तेज कर दी है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में ट्रांसपोर्ट के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टैक्सी-मैक्सी चालकों ने भी इस फैसले के विरोध में रणनीति बनानी शुरू कर दी है. इसे लेकर शुक्रवार को ऋषिकेश में सभी यूनियन बैठकर रणनीति तय करेंगे. ईटीवी भारत सवंददाता ने तमाम टैक्सी-मैक्सी चालकों से इस फैसले को लेकर बात की. आइये जानते हैं कि इस फैसले का उन पर क्या असर होगा.

देहरादून आरटीओ ने 10 साल पुराने डीजल कमर्शियल वाहनों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव तैयार कर तमाम ट्रांसपोर्टर्स की चिंताएं बढ़ा दी हैं. देहरादून आरटीओ के इस प्रस्ताव से खास तौर से पहाड़ों में आवागमन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टैक्सी-मैक्सी चालकों पर प्रभाव पड़ रहा है. यूनियन संचालकों ने इस फैसले को भयावह बताया है. देहरादून रिस्पना पुल से संचालित दून-गढ़वाल जीप कमांडर मालिक कल्याण संचालन समिति के लोगों से इस बारे में जब हमने बात की तो वो काफी आक्रोशित नजर आये.

10 साल पुराने कमर्शियल डीजल वाहनों के प्रतिबंध से ट्रांसपोर्टरों की बढ़ी चिंताए

यूनियन के अध्यक्ष संजय चौधरी ने इस फैसले को गलत बताते हुए कहा कि इस फैसले से कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे. यूनियन के सचिव राजेश कुमार ने कहा कि सरकार जिस तरह से 10 साल पुराने वाहनों को प्रतिबंधित करने का फैसला लेने की सोच रही है इससे पूरे गढ़वाल में ट्रांसपोर्टर्स पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.

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संगठन के महासचिव सत्यदेव उनियाल ने कहा कि ये फैसला सरकार एनजीटी के दबाव में ले रही है. उन्होंने कहा कि वाहन चालकों पर डंडा चलाने से बेहतर है कि सरकार अपना पक्ष एनजीटी के सामने सही से रखे. उन्होंने कहा कि केवल 10 साल पुराने डीजल वाहन ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो संतुलित तरीके से सभी पहलुओं को सोच समझकर फैसले ले.

पढ़ें-सऊदी अरब का दो दिवसीय दौरा पूरा कर स्वदेश लौटे PM मोदी

सत्यदेव उनियाल ने बताया की अगर सरकार जबरदस्ती इस फैसले को थोपने की सोच रही है तो वो इस बात को समझ लें कि टैक्सी- मैक्सी यूनियन पूरे राज्य की लाइफ लाइन है. अगर यह रुक गयी तो पूरा प्रदेश रुक जाएगा. उन्होंने बताया कि राज्यभर के टैक्सी-मैक्सी संगठन शुक्रवार को इस विषय पर ऋषिकेश में महासंघ की बैठक करने जा रहे हैं, जिसमें इस फैसले को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी.

Intro:
एंकर- उत्तराखंड में देहरादून आरटीओ ने जहां 10 साल पुराने कमर्शल्स डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने की कवायत शुरू की है तो वहीं दूसरी और पूरे प्रदेश में ट्रांसपोर्ट के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली टेक्सी-मैक्सी चालकों ने भी इस फैसले के विरोध में रणनीति बनाने की तैयारी में हैं। जिसको लेकर कल ऋषिकेश में सभी यूनियन रणनीति तैयार करेगी। etv भारत सवंददाता ने बात की तमाम टेक्सी-मैक्सी चालकों से ओर जाना कि इस फैसले का उन पर क्या असर होगा।


Body:वीओ- उत्तराखंड के देहरादून आरटीओ ने 10 साल पुराने डीजल व्यवसायिक वाहनों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव तैयार कर तमाम ट्रान्सपोर्ट की चिंताएं बढ़ा दी है। देहरादून आरटीओ के इस प्रस्ताव से खास तौर से पहाड़ों पर रोजाना लोगों के आवागमन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली टेक्सी-मैक्सी यूनियन संचालको ने इस फैसले को भयावय बताया है। देहरादून रिस्पना पुल से संचालित दून-गढ़वाल जीप कमांडर मालिक कल्याण संचालन समिति के लोगों से हमने इस फैसले से उन पर पड़ने वाले असर के बारे में बात की तो उन्होंने कुछ तरह से प्रतिक्रिया दी।

यूनियन के अध्यक्ष संजय चौधरी ने इस फैसले को गलत बताते हुए कहा कि इस फैसले से कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे। तो वहीं यूनियन के सचिव राजेश कुमार ने कहा कि पूरे गढ़वाल क्षेत्र में इस यूनियन की मैक्सी गाड़िया सफर करती है जिससे रोजाना हजारों लोग सफर करते हैं और सरकार जिस तरह से ये 10 साल पुराने वाहनों को प्रतिबंधित करने का फैसला लेने की सोच रही है तो इस से पूरे गढ़वाल में ट्रांपोर्ट पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। संगठन के महासचिव सत्यदेव उनियाल ने कहा कि ये फैसला सरकार एनजीटी के दबाव में ले रहा है। उन्होंने कहा कि वाहन चालकों पर डंडा चलाने से बेहतर है कि सरकार अपना पक्ष एनजीटी के सामने सही से रखे। उन्होंने कहा कि केवल 10 साल पुराने डीजल वाहन ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार निहि है, सरकार को चाहिए कि वो संतुलित तरीके से सभी पहलुओं को सोच समझ के फैसले लें।

सत्यदेव उनियाल ने बताया की अगर सरकार जबरदस्ती इस फैसले को थोपने की सोच रही है तो वो इस बात को समझ लें कि टेक्सी- मैक्सी यूनियन पूरे राज्य की लाइफ लाइन है। अगर यह रुक गयी तो पूरा प्रदेश रुक जाएगा। उन्होंने बताया कि पूरे राज्य भर के टेक्सी-मैक्सी संगठन कल इस विषय पर ऋषिकेश में महासंघ की बैठक करने जा रहे हैं जिसमे इस फैसले को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी।

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