देहरादून: उत्तराखंड में देहरादून आरटीओ ने 10 साल पुराने कमर्शियल डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने की कवायद तेज कर दी है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में ट्रांसपोर्ट के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टैक्सी-मैक्सी चालकों ने भी इस फैसले के विरोध में रणनीति बनानी शुरू कर दी है. इसे लेकर शुक्रवार को ऋषिकेश में सभी यूनियन बैठकर रणनीति तय करेंगे. ईटीवी भारत सवंददाता ने तमाम टैक्सी-मैक्सी चालकों से इस फैसले को लेकर बात की. आइये जानते हैं कि इस फैसले का उन पर क्या असर होगा.
देहरादून आरटीओ ने 10 साल पुराने डीजल कमर्शियल वाहनों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव तैयार कर तमाम ट्रांसपोर्टर्स की चिंताएं बढ़ा दी हैं. देहरादून आरटीओ के इस प्रस्ताव से खास तौर से पहाड़ों में आवागमन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टैक्सी-मैक्सी चालकों पर प्रभाव पड़ रहा है. यूनियन संचालकों ने इस फैसले को भयावह बताया है. देहरादून रिस्पना पुल से संचालित दून-गढ़वाल जीप कमांडर मालिक कल्याण संचालन समिति के लोगों से इस बारे में जब हमने बात की तो वो काफी आक्रोशित नजर आये.
यूनियन के अध्यक्ष संजय चौधरी ने इस फैसले को गलत बताते हुए कहा कि इस फैसले से कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे. यूनियन के सचिव राजेश कुमार ने कहा कि सरकार जिस तरह से 10 साल पुराने वाहनों को प्रतिबंधित करने का फैसला लेने की सोच रही है इससे पूरे गढ़वाल में ट्रांसपोर्टर्स पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.
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संगठन के महासचिव सत्यदेव उनियाल ने कहा कि ये फैसला सरकार एनजीटी के दबाव में ले रही है. उन्होंने कहा कि वाहन चालकों पर डंडा चलाने से बेहतर है कि सरकार अपना पक्ष एनजीटी के सामने सही से रखे. उन्होंने कहा कि केवल 10 साल पुराने डीजल वाहन ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो संतुलित तरीके से सभी पहलुओं को सोच समझकर फैसले ले.
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सत्यदेव उनियाल ने बताया की अगर सरकार जबरदस्ती इस फैसले को थोपने की सोच रही है तो वो इस बात को समझ लें कि टैक्सी- मैक्सी यूनियन पूरे राज्य की लाइफ लाइन है. अगर यह रुक गयी तो पूरा प्रदेश रुक जाएगा. उन्होंने बताया कि राज्यभर के टैक्सी-मैक्सी संगठन शुक्रवार को इस विषय पर ऋषिकेश में महासंघ की बैठक करने जा रहे हैं, जिसमें इस फैसले को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी.