देहरादून: उत्तराखंड राज्य में 70 फीसदी से ज्यादा वन क्षेत्र है. इसके अलावा यहां बर्फ से ढका बड़ा हिमालयी क्षेत्र व ग्लेशियर मौजूद हैं. यही वजह है की प्रदेश उन हिमालयी क्षेत्रों में शुमार है जो देश को पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय संतुलन के लिए हर साल करीब तीन लाख करोड़ की सेवाएं मुहैया कराता है. इन्हीं पर्यावरणीय प्रतिबंधों के चलते राज्य को तमाम दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है. जिसे देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार को आगामी बजट से काफी उम्मीदें हैं. त्रिवेंद्र सरकार 5 जुलाई को पेश होने वाले आम बजट में हिमालयी राज्य को मिलने वाले ग्रीन बोनस पर नजर टिकाए बैठी है.
उत्तराखंड राज्य समेत अन्य हिमालयी राज्यों ने ग्रीन बोनस को लेकर कई बार केंद्र सरकार समेत विभिन्न मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है. लेकिन वित्त आयोग के पास अभी तक ग्रीन बोनस के आकलन का कोई फार्मूला ही नहीं है. यही वजह है कि हिमालयी राज्यों की लाख कोशिशों के बावजूद भी हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार नीति आयोग ने हिमालयी राज्यों के ग्रीन बोनस की डिमांड को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि नीति आयोग ने भी माना है कि जो पर्वतीय राज्य हैं उन्हे ग्रीन बोनस दिया जाना चाहिए. साथ ही उन्होनें बताया कि ये हिमालयी राज्यों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इसके लिए वे पिछले कई सालों से कोशिश कर रहे थे.