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देवभूमि में यहां होते हैं बाबा बर्फानी के दर्शन, भक्तों का लगा रहता है तांता - चमोली मंदिर

इस गुफा को टिम्मरसैंण महादेव गुफा के नाम से भी जाना जाता है. यहां हर वर्ष शीतकाल में बर्फ का 10 फीट ऊंचा शिवलिंग बनता है.

चमोली टिम्मरसैंण महादेव गुफा.
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Published : Mar 20, 2019, 6:05 AM IST

Updated : Mar 21, 2019, 9:44 AM IST

चमोली: देवों के देव कहे जाने वाले महादेव की महिमा अपरंपार है. जो भक्तों की थोड़ी ही भक्ति से खुश हो जाते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं. इसलिए तो उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है. कहीं वे पत्थर के शिवलिंग तो कहीं बर्फानी बाबा के रूप में पूजे जाते हैं. देवभूमि के चमोली जिले के नीती घाटी में भी अमरनाथ गुफा की तरह भगवान शिव, हिम शिवलिंग के रूप में प्रकट होते हैं. जैसे ही बाबा का शिवलिंग बनता है वैसे ही गुफा में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगजाता है.

चमोली टिम्मरसैंण महादेव गुफा.

इस बारे में कम लोगों को ही मालूम है, लेकिन हम आज आपको विस्तार से बताएंगे. इस शिवलिंग के बनने की जानकारी इस इलाके के लोगों के अलावा किसी को नहीं थी. जहां अमरनाथ गुफा की तरह बर्फ का शिवलिंग बनता है. जी हां वह जगह चमोली जिले की सीमावर्ती गांव नीती है, जहां बाबा बर्फानी का शिवलिंग बनता है. बताया जाता है कि ऐसा वर्षों से होता आ रहा है, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्र होने के चलते लोगों को यहां जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है. जिससे ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी नहीं लग सकी. शिवलिंग के दर्शन का सिलसिला फरवरी से मार्च तक चलता है.

इस गुफा को टिम्मरसैंण महादेव गुफा के नाम से भी जाना जाता है. यहां हर वर्ष शीतकाल में बर्फ का 10 फीट ऊंचा शिवलिंग बनता है. गुफा के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव नीति घाटी में विश्राम के लिए इसी गुफा के अंदर रुके थे. माना जाता है कि तब से अब तक भगवान बर्फ के शिवलिंग के रूप में दर्शन देते हैं. लेकिन अफसोस की बात है ये कि शासन-प्रशासन द्वारा इस गुफा को बढ़ावा देने की खास पहल नहीं की गई, जिससे इसका प्रचार-प्रसार नहीं हो सका.

चमोली: देवों के देव कहे जाने वाले महादेव की महिमा अपरंपार है. जो भक्तों की थोड़ी ही भक्ति से खुश हो जाते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं. इसलिए तो उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है. कहीं वे पत्थर के शिवलिंग तो कहीं बर्फानी बाबा के रूप में पूजे जाते हैं. देवभूमि के चमोली जिले के नीती घाटी में भी अमरनाथ गुफा की तरह भगवान शिव, हिम शिवलिंग के रूप में प्रकट होते हैं. जैसे ही बाबा का शिवलिंग बनता है वैसे ही गुफा में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगजाता है.

चमोली टिम्मरसैंण महादेव गुफा.

इस बारे में कम लोगों को ही मालूम है, लेकिन हम आज आपको विस्तार से बताएंगे. इस शिवलिंग के बनने की जानकारी इस इलाके के लोगों के अलावा किसी को नहीं थी. जहां अमरनाथ गुफा की तरह बर्फ का शिवलिंग बनता है. जी हां वह जगह चमोली जिले की सीमावर्ती गांव नीती है, जहां बाबा बर्फानी का शिवलिंग बनता है. बताया जाता है कि ऐसा वर्षों से होता आ रहा है, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्र होने के चलते लोगों को यहां जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है. जिससे ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी नहीं लग सकी. शिवलिंग के दर्शन का सिलसिला फरवरी से मार्च तक चलता है.

इस गुफा को टिम्मरसैंण महादेव गुफा के नाम से भी जाना जाता है. यहां हर वर्ष शीतकाल में बर्फ का 10 फीट ऊंचा शिवलिंग बनता है. गुफा के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव नीति घाटी में विश्राम के लिए इसी गुफा के अंदर रुके थे. माना जाता है कि तब से अब तक भगवान बर्फ के शिवलिंग के रूप में दर्शन देते हैं. लेकिन अफसोस की बात है ये कि शासन-प्रशासन द्वारा इस गुफा को बढ़ावा देने की खास पहल नहीं की गई, जिससे इसका प्रचार-प्रसार नहीं हो सका.

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देवभूमि में भी देते हैं बाबा बर्फानी दर्शन, भक्तों का लगा रहता है तांता

Timmersain Mahadev Cave in Chamoli

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चमोली: देवों के देव कहे जाने वाले महादेव की महिमा अपरंपार है. जो भक्तों की थोड़ी ही भक्ति से खुश हो जाते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं. इसलिए तो उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है. कहीं वे पत्थर के शिवलंग तो कहीं बर्फानी बाबा के रूप में पूजे जाते हैं. देवभूमि के चमोली जिले के नीती घाटी में भी अमरनाथ गुफा की तरह भगवान शिव, हिम शिव लिंग के रूप में प्रकट होते हैं.जैसे ही बाबा का शिवलिंग बनता है वैसे ही गुफा में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा जाता है.



इस बारे में कम लोगों को ही मालूम है, लेकिन इस बारे में हम आज आपको विस्तार से बताएंगे. इस शिवलिंग के बनने की जानकारी इस इलाके के लोगों के अलावा किसी को नहीं थी.जहां अमरनाथ गुफा की तरह बर्फ का शिव लिंग बनता है. जी हां वह जगह चमोली जिले की सीमावर्ती गांव नीती है, जहां बाबा बर्फानी का शिवलिंग बनता है.बताया जाता है कि ऐसा वर्षों से होता आ रहा है, लेकिन  सीमावर्ती क्षेत्र होने के चलते लोगों को यहां जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है. जिससे ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी नहीं लग सकी. शिवलिंग के दर्शन का सिलसिला फरवरी से मार्च तक चलता है.



इस गुफा को टिम्मरसैंण महादेव गुफा के नाम से भी जाना जाता है. यहां हर वर्ष शीतकाल में बर्फ का 10 फीट ऊंचा शिवलिंग बनता है. गुफा के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव नीति घाटी में विश्राम के लिए इसी गुफा के अंदर रुके थे. माना जाता है कि तब से अब तक भगवान बर्फ के शिवलिंग के रूप में दर्शन देते हैं. लेकिन अफसोस की बात है ये कि शासन-प्रशासन द्वारा इस गुफा को बढ़ावा देने की खास पहल नहीं की गई, जिससे इसका प्रचार-प्रसार नहीं हो सका.

ईटीवी भारत के लिए चमोली से लक्ष्मण राणा की रिपोर्ट


Conclusion:
Last Updated : Mar 21, 2019, 9:44 AM IST
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