हरिद्वारः धर्मनगरी में संत समागम कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में देश-विदेश से कई श्रद्धालु और साधु-संतों ने शिरकत किया. इस दौरान शंकराचार्य भरी सभा में आपा खो बैठे और क्रोधित होकर मंच छोड़ कर जाने लगे. मौके पर मौजूद बाबा रामदेव समेत अन्य संतों ने बमुश्किल उन्हें शांत कराया. हालांकि, बाद में शंकराचार्य अपनी बात पर सफाई देते नजर आए.
अकसर साधु संत दयालु और क्षमादान देने वाले माने जाते हैं, जो लोगों के जीवन में अध्यात्म का ज्ञान और अच्छा आचरण की सीख देते हैं, लेकिन आजकल संत की परिभाषा बदलती दिखाई दे रही है. दरअसल, हरिद्वार में आयोजित संत समागम में देश-विदेश के जाने-माने संत समेत कई श्रद्धालु पहुंचे थे. इस दौरान शंकराचार्य को अपना वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित किया गया. शंकराचार्य को मंच पर आमंत्रित किया गया और वक्तव्य देने के लिए समय निर्धारित किया गया. जिसे लेकर शंकराचार्य नाराज हो गए और बिना अपना वक्तव्य दिए मंच को छोड़कर जाने लगे.
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इस दौरान वो भूल गए कि वे एक संत हैं. शंकराचार्य को जाता देख कई संत उन्हें मनाने पहुंचे, लेकिन रुकने को तैयार नहीं हुए. इसी बीच बाबा रामदेव उठे और काफी जद्दोजहद के बाद उन्हें मनाया. जिसके बाद शंकराचार्य ने अपना वक्तव्य दिया.
वहीं, शंकराचार्य ने सफाई देते कहा कि 'जो नाराज है वो महाराज नहीं और जो महाराज है वो नाराज नहीं' है. साथ ही कहा कि उनकी नाराजगी दूर हो गई है. साथ ही पांच मिनट के विवाद पर कहा कि वो सिर्फ तीन मिनट ही बोलते हैं.