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संत समागम में नाराज दिखे शंकराचार्य राजराजेश्वर, बाबा रामदेव ने मनाया

संत समागम कार्यक्रम में शंकराचार्य को मंच पर वक्तव्य देने के लिए समय निर्धारित किया गया. जिसे लेकर शंकराचार्य नाराज हो गए और बिना अपना वक्तव्य दिए मंच को छोड़कर जाने लगे. तभी बाबा रामदेव में मोर्चा संभाला और शंकराचार्य राजराजेश्वर को मना लिया.

संत समागम में नाराज दिखे शंकराचार्य राजराजेश्वर
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Published : May 10, 2019, 10:56 PM IST

हरिद्वारः धर्मनगरी में संत समागम कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में देश-विदेश से कई श्रद्धालु और साधु-संतों ने शिरकत किया. इस दौरान शंकराचार्य भरी सभा में आपा खो बैठे और क्रोधित होकर मंच छोड़ कर जाने लगे. मौके पर मौजूद बाबा रामदेव समेत अन्य संतों ने बमुश्किल उन्हें शांत कराया. हालांकि, बाद में शंकराचार्य अपनी बात पर सफाई देते नजर आए.

संत समागम में नाराज दिखे शंकराचार्य राजराजेश्वर.


अकसर साधु संत दयालु और क्षमादान देने वाले माने जाते हैं, जो लोगों के जीवन में अध्यात्म का ज्ञान और अच्छा आचरण की सीख देते हैं, लेकिन आजकल संत की परिभाषा बदलती दिखाई दे रही है. दरअसल, हरिद्वार में आयोजित संत समागम में देश-विदेश के जाने-माने संत समेत कई श्रद्धालु पहुंचे थे. इस दौरान शंकराचार्य को अपना वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित किया गया. शंकराचार्य को मंच पर आमंत्रित किया गया और वक्तव्य देने के लिए समय निर्धारित किया गया. जिसे लेकर शंकराचार्य नाराज हो गए और बिना अपना वक्तव्य दिए मंच को छोड़कर जाने लगे.

ये भी पढ़ेंः राम मंदिर पर बाबा रामदेव का बड़ा बयान, कहा- मध्यस्थों को ज्यादा समय देने का कोई औचित्य नहीं

इस दौरान वो भूल गए कि वे एक संत हैं. शंकराचार्य को जाता देख कई संत उन्हें मनाने पहुंचे, लेकिन रुकने को तैयार नहीं हुए. इसी बीच बाबा रामदेव उठे और काफी जद्दोजहद के बाद उन्हें मनाया. जिसके बाद शंकराचार्य ने अपना वक्तव्य दिया.

वहीं, शंकराचार्य ने सफाई देते कहा कि 'जो नाराज है वो महाराज नहीं और जो महाराज है वो नाराज नहीं' है. साथ ही कहा कि उनकी नाराजगी दूर हो गई है. साथ ही पांच मिनट के विवाद पर कहा कि वो सिर्फ तीन मिनट ही बोलते हैं.

हरिद्वारः धर्मनगरी में संत समागम कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में देश-विदेश से कई श्रद्धालु और साधु-संतों ने शिरकत किया. इस दौरान शंकराचार्य भरी सभा में आपा खो बैठे और क्रोधित होकर मंच छोड़ कर जाने लगे. मौके पर मौजूद बाबा रामदेव समेत अन्य संतों ने बमुश्किल उन्हें शांत कराया. हालांकि, बाद में शंकराचार्य अपनी बात पर सफाई देते नजर आए.

संत समागम में नाराज दिखे शंकराचार्य राजराजेश्वर.


अकसर साधु संत दयालु और क्षमादान देने वाले माने जाते हैं, जो लोगों के जीवन में अध्यात्म का ज्ञान और अच्छा आचरण की सीख देते हैं, लेकिन आजकल संत की परिभाषा बदलती दिखाई दे रही है. दरअसल, हरिद्वार में आयोजित संत समागम में देश-विदेश के जाने-माने संत समेत कई श्रद्धालु पहुंचे थे. इस दौरान शंकराचार्य को अपना वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित किया गया. शंकराचार्य को मंच पर आमंत्रित किया गया और वक्तव्य देने के लिए समय निर्धारित किया गया. जिसे लेकर शंकराचार्य नाराज हो गए और बिना अपना वक्तव्य दिए मंच को छोड़कर जाने लगे.

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इस दौरान वो भूल गए कि वे एक संत हैं. शंकराचार्य को जाता देख कई संत उन्हें मनाने पहुंचे, लेकिन रुकने को तैयार नहीं हुए. इसी बीच बाबा रामदेव उठे और काफी जद्दोजहद के बाद उन्हें मनाया. जिसके बाद शंकराचार्य ने अपना वक्तव्य दिया.

वहीं, शंकराचार्य ने सफाई देते कहा कि 'जो नाराज है वो महाराज नहीं और जो महाराज है वो नाराज नहीं' है. साथ ही कहा कि उनकी नाराजगी दूर हो गई है. साथ ही पांच मिनट के विवाद पर कहा कि वो सिर्फ तीन मिनट ही बोलते हैं.

Intro:साधु संत का नाम आते ही मन में एक ही बात आती है कि संत दयालु और क्षमादान देने वाले होते हैं और संत हमे हमारे जीवन मे आचरण से रहना सिखाते है मगर आजकल शायद संत की परिभाषा ही बदल गई है संत अब इन बातों का ख्याल ही नहीं रखते और यह बात आज उस समय देखने को मिली जब हरिद्वार मैं संत समागम चल रहा था इस समागम में देश के जाने-माने संतो सहित देश और विदेश से श्रद्धालु आए हुए थे और मंच से साधु संत श्रद्धालुओं को अपना वक्तव्य दे रहे थे तभी शंकराचार्य राजराजेश्वर इस कदर नाराज हुए कि वह बिना अपना वक्तव्य दिए मंच को छोड़ जाने लगे वह यह भी भूल गए कि वह एक संत है शंकराचार्य को जाता देख कई संत उन्हें मनाने पहुंचे मगर वह रुकने को तैयार नहीं थे और बहुत क्रोधित थे किसी की बात मानने को तैयार ही नहीं थे काफी मशक्कत के बाद शंकराचार्य को मनाया गया।




Body:आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि शंकराचार्य राजराजेश्वर मंच पर इतने क्रोधित हो गए और वह मंच छोड़ जाने लगे मामला यह था कि साधु संत मंच से अपना वक्तव्य श्रद्धालुओं को दे रहे थे तभी शंकराचार्य को अपना वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित किया गया और शंकराचार्य द्वारा मंच पर दिए जाने वाले वक्तव्य का समय निर्धारित करने पर शंकराचार्य नाराज़ हो गए विस्तार से समझिए कि सबसे पहले कई साधु संतों का वक्तव्य हो चुका था और सिर्फ बाबा रामदेव और शंकराचार्य राजराजेश्वर के बाद संत समागम की अध्यक्षता कर रहे संत का वक्तव्य बाकी था मंच का संचालन कर रहे संत ने पहले तो बाबा रामदेव के वक्तव्य से पहले शंकराचार्य का वक्तव्य कराने की बात बोल दी और सीधा सीधा उनको मंच से बोला गया कि 5 मिनट से ऊपर ना बोलिए इसी बात को लेकर  शंकराचार्य राजराजेश्वर क्रोधित हो उठे और सामगान के मंच से जाने लगे कई संतों द्वारा उन्हें मनाया गया मगर वह मानने को तैयार ही नहीं हुए तब जाकर बाबा रामदेव उठे और काफी जद्दोजहद के बाद मनाया और मंच पर वापस लाएं


स्पीच--बाबा रामदेव----योगगुरु 

स्पीच--हरिचेतनानंद----कथा वाचक वरिष्ठ संत 

जो नाराज है वो महाराज नहीं और जो महाराज है वो नाराज नहीं इस वक्तव्य से यह नज़र आ रहा है की शंकराचार्य की नाराजगी दूर हो गई है और अब शंकार्याचार्य जो भरी सभा में आपा खो बैठे थे और क्रोधित होकर मंच छोड़ कर जा रहे थे श्रद्धालुओं को अपना नरम स्वरुप दिखा रहे है धर्म और अध्यात्म की बात करते नज़र आ रहे है पांच मिनट के विवाद पर शंकराचार्य सफाई देते नज़र आ रहे है इनके अनुसार यह सिर्फ तीन मिनट ही बोलते है 


स्पीच--राजराजेश्वर महाराज----शंकराचार्य 


Conclusion:संत लोगो को अध्यात्म का ज्ञान और जीवन मे जीने का आचरण सिखाते है मगर सामूहिक मच से शंकराचार्य की गद्दी पर बैठे संत का यह आचरण निंदनीय है मंच पर राजरेश्वर महाराज क्रोधित होते हुए यह भी भूल गए कि वह शंकराचार्य है एक सामूहिक मंच पर बैठे है और संत का अनुसरण ही एक आम आदमी अपने जीवन को सफल बनाने के लिए करता है संत के इस तरह के आचरण से इनके अनुयायीयो को ठेस पहुचती है
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