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बच्ची को प्रताड़ित कर घर का काम कराती थी महिला डॉक्टर, आरोपी को बचाने में जुटी पुलिस

यह मामला भी तब सामने आया जब घर मे कैद बच्ची ने ही खुद ही डॉक्टर के चुंगल से भागने का प्रयास किया. वहीं मामले के सामने आने के बाद बाल आयोग द्वारा आरोपी महिला डॉक्टर के खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई.

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Published : Apr 9, 2019, 9:09 AM IST

Updated : Apr 9, 2019, 4:09 PM IST

पुलिस ने किया मुकदमा दर्ज.

देहरादून: देवभूमि में बाल मजदूरी और मानव तस्करी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. वहीं पुलिस-प्रशासन की सुस्ती के चलते इस अपराध पर अंकुश लगाना चुनौती बनता जा रहा है. वहीं ताजा मामला तब सुर्खियों में आया जब देहरादून के पॉश इलाके रेसकोर्स वैली से एक महिला डॉक्टर के घर से 10 साल की बच्ची को रेस्क्यू किया गया. वहीं ये मामला तंत्र की नाकामियों की तस्दीक करने के लिए काफी है.

पुलिस ने किया मुकदमा दर्ज.


गौर हो कि यह मामला भी तब सामने आया जब घर मे कैद बच्ची ने ही खुद ही डॉक्टर के चुंगल से भागने का प्रयास किया. वहीं मामले के सामने आने के बाद बाल आयोग द्वारा आरोपी महिला डॉक्टर के खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई. जिसके बाद महिला डॉक्टर के खिलाफ बाल मजदूरी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया. लेकिन अभी तक आरोपी महिला डॉक्टर पल्लवी सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो कई सवाल खड़े कर रही है. वहीं मामले में डीजी अशोक कुमार का कहना है कि प्रथम दृष्टया जांच में मामला बाल मजदूरी से जुड़ा पाया गया था.


जिसके संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच विवेचना जारी है. उन्होंने कहा कि एसपी सिटी श्वेता चौबे को इस मामले में निष्पक्ष रूप से विवेचना कर आगे की कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. उधर इस मामले के दो दिन गुजर जाने के बाद अब घटनाक्रम में नया मोड़ आया है. जिसमें पुलिस के मुताबिक आरोपी महिला डॉक्टर के बचाव में पीड़ित बालिका की मां ने सामने आकर कहा कि उनके द्वारा ही बच्ची को इलाज के लिए महिला डॉक्टर के घर छोड़ा गया था. हालांकि इस बात को पीड़ित बच्ची ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है, उसके बयान के मुताबिक उसको जबरन दो व्यक्तियों द्वारा आरोपी डॉक्टर के यहां छोड़ा गया था. जिसके बाद डॉक्टर उसे लगातार मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर घर का कामकाज कराती थी. बाल आयोग का कहना है कि उसे खाना भी कम दिया जाता था.


वहीं उत्तराखंड बाल आयोग रेस्क्यू के बाद पीड़िता को बालिका निकेतन में भर्ती कराने में जुटा हुआ है. उत्तराखंड बाल आयोग अध्यक्षा ऊषा नेगी के मुताबिक इस मामले पर भी पुलिस आरोपी महिला डॉक्टर को कही न कही बचाने का प्रयास कर रही है. जिसके बाद आरोपी महिला डॉक्टर पहले दिन से पीड़ित बालिका को लेकर लगातार बयान बदल रही है. वहीं पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का भी मानना है कि, राज्य में मानव तस्करी और बाल मजदूरी जैसे मामले का सामने आना अपने आप में गंभीर विषय है.

उन्होंने कहा कि इसे समाप्त करने के लिए पुलिस और संबंधित संस्थाओं के साथ मिलकर कार्रवाई की जा रही है. डीजी अशोक कुमार ने इस मामले पर नसीहत देते हुए कहा कि बाल मजदूरी और मानव तस्करी रोकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना जरूरी है और जागरूकता से ही इस अपराध को रोका जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड में अन्य राज्यों से लाए जाने वाले बच्चों का संबंधित विभाग क्यों लेखा-जोखा नहीं रख पा रहा है . बाहर से आने वाले बच्चों का रजिस्ट्रेशन ने होने से बाल बाल आयोग को भी इस की मॉनिटरिंग करने में कई तरह की समस्याएं सामने आ रही है।

देहरादून: देवभूमि में बाल मजदूरी और मानव तस्करी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. वहीं पुलिस-प्रशासन की सुस्ती के चलते इस अपराध पर अंकुश लगाना चुनौती बनता जा रहा है. वहीं ताजा मामला तब सुर्खियों में आया जब देहरादून के पॉश इलाके रेसकोर्स वैली से एक महिला डॉक्टर के घर से 10 साल की बच्ची को रेस्क्यू किया गया. वहीं ये मामला तंत्र की नाकामियों की तस्दीक करने के लिए काफी है.

पुलिस ने किया मुकदमा दर्ज.


गौर हो कि यह मामला भी तब सामने आया जब घर मे कैद बच्ची ने ही खुद ही डॉक्टर के चुंगल से भागने का प्रयास किया. वहीं मामले के सामने आने के बाद बाल आयोग द्वारा आरोपी महिला डॉक्टर के खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई. जिसके बाद महिला डॉक्टर के खिलाफ बाल मजदूरी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया. लेकिन अभी तक आरोपी महिला डॉक्टर पल्लवी सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो कई सवाल खड़े कर रही है. वहीं मामले में डीजी अशोक कुमार का कहना है कि प्रथम दृष्टया जांच में मामला बाल मजदूरी से जुड़ा पाया गया था.


जिसके संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच विवेचना जारी है. उन्होंने कहा कि एसपी सिटी श्वेता चौबे को इस मामले में निष्पक्ष रूप से विवेचना कर आगे की कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. उधर इस मामले के दो दिन गुजर जाने के बाद अब घटनाक्रम में नया मोड़ आया है. जिसमें पुलिस के मुताबिक आरोपी महिला डॉक्टर के बचाव में पीड़ित बालिका की मां ने सामने आकर कहा कि उनके द्वारा ही बच्ची को इलाज के लिए महिला डॉक्टर के घर छोड़ा गया था. हालांकि इस बात को पीड़ित बच्ची ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है, उसके बयान के मुताबिक उसको जबरन दो व्यक्तियों द्वारा आरोपी डॉक्टर के यहां छोड़ा गया था. जिसके बाद डॉक्टर उसे लगातार मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर घर का कामकाज कराती थी. बाल आयोग का कहना है कि उसे खाना भी कम दिया जाता था.


वहीं उत्तराखंड बाल आयोग रेस्क्यू के बाद पीड़िता को बालिका निकेतन में भर्ती कराने में जुटा हुआ है. उत्तराखंड बाल आयोग अध्यक्षा ऊषा नेगी के मुताबिक इस मामले पर भी पुलिस आरोपी महिला डॉक्टर को कही न कही बचाने का प्रयास कर रही है. जिसके बाद आरोपी महिला डॉक्टर पहले दिन से पीड़ित बालिका को लेकर लगातार बयान बदल रही है. वहीं पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का भी मानना है कि, राज्य में मानव तस्करी और बाल मजदूरी जैसे मामले का सामने आना अपने आप में गंभीर विषय है.

उन्होंने कहा कि इसे समाप्त करने के लिए पुलिस और संबंधित संस्थाओं के साथ मिलकर कार्रवाई की जा रही है. डीजी अशोक कुमार ने इस मामले पर नसीहत देते हुए कहा कि बाल मजदूरी और मानव तस्करी रोकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना जरूरी है और जागरूकता से ही इस अपराध को रोका जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड में अन्य राज्यों से लाए जाने वाले बच्चों का संबंधित विभाग क्यों लेखा-जोखा नहीं रख पा रहा है . बाहर से आने वाले बच्चों का रजिस्ट्रेशन ने होने से बाल बाल आयोग को भी इस की मॉनिटरिंग करने में कई तरह की समस्याएं सामने आ रही है।

Intro:देहरादून- उत्तराखंड में मानव तस्करी व बाल मजदूरी जैसे गंभीर समय-समय पर सामने आते रहे इसके बावजूद इस संवेदनशील मामले पुलिस तंत्र सहित संबंधित संस्थाओं की आपसी सामंजस्य कमी की वजह से अपराध लगातार अपनी जड़े फैलाता जा रहा है. ताजा मामला बीते शनिवार देहरादून की पॉश इलाके रेसकोर्स वैली का है जहां हाई-प्रोफाइल महिला डॉक्टर के घर से 10 साल की बच्ची को रेस्क्यू किया गया। हालांकि यह मामला भी तब सामने आया जब घर मे कैद बच्ची ने ही खुद ही डॉक्टर के चुंगल से भागने का प्रयास किया। उधर इस मामले के सार्वजनिक होने और बाल आयोग द्वारा हस्तक्षेप के बाद आरोपी महिला डॉक्टर के खिलाफ पुलिस ने बाल मजदूरी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज तो कर दिया है लेकिन इस पर अभी तक आरोपी महिला डॉक्टर पल्लवी सिंह के खिलाफ पूछताछ सहित अन्य तरह की कोई विशेष कार्रवाई देखने को नहीं मिली है।


वहीं दो दिन पहले मानव तस्करी और बाल मजदूरी के तहत आरोपी डॉक्टर पल्लवी सिंह के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे के संबंध में डीजी अशोक कुमार का कहना है कि प्रथम दृष्टया जांच में पड़ताल में मामला बाल मजदूरी से जुड़ा पाया गया था जिसके संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच विवेचना जारी है,उनके द्वारा एसपी सिटी श्वेता चौबे को इस मामले में निष्पक्ष रुप से जांच विवेचना कर आगे की कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।





Body:आरोपी डॉक्टर के बचाव में आई पीड़ित बच्चे की मां- लेकिन पीड़ित बालिका ने खोली महिला डॉक्टर की पोल !!

उधर इस मामले के दो दिन गुजर जाने के बाद अब इस घटनाक्रम में नई बात सामने आयी हैं जिसमें पुलिस के मुताबिक आरोपी महिला डॉक्टर के बचाव आते हुये पीड़ित बालिका के मां कहा कि उनके द्वारा ही बच्ची को इलाज के लिए महिला डॉक्टर के घर छोड़ा गया था। हालांकि इस बात को रेस्क्यू करवाई गई बच्ची ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है उसके बयान के मुताबिक उसको जबरन दो व्यक्तियों द्वारा आरोपी डॉक्टर के यहां छोड़ा गया जिसके बाद डॉक्टर उसे लगातार मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना देकर घर का कामकाज कर आती थी बाल आयोग के मुताबिक बच्ची ने यह भी कहा कि उसे खाना भी कम दिया जाता था।

मानव तस्करी वह बाल मजदूरी को लेकर डीजी की नसीहत-

उधर इस मामलें पर राज्य में अपराध व कानून व्यवस्था की कमान संभालने वाले महानिदेशक अशोक कुमार का भी मानना हैं कि, राज्य में मानव तस्करी वह बाल मजदूरी जैसे मामले सामने आना अपनेआप में बड़े गंभीर विषय है,ऐसे में इसको समाज से खत्म करना संबंधित विभागों की प्राथमिकता में आता है। पुलिस व संबंधित संस्थाओं के साथ मिलकर कार्रवाई की जा रही है। डीजी अशोक कुमार ने इस मामले पर नसीहत देते हुए कहा कि बाल मजदूरी और मानव तस्करी में समाज में जागरूकता फैलाना जरूरी है जनता की जागरूकता से ही इस अपराध को रोका जा सकता है।




Conclusion:आरोपी डॉक्टर के बदलते बयान मामले को गुमराह कर रहे हैं: बाल आयोग

बीते शनिवार रेसकोर्स वैली फ्लैट से महिला डॉक्टर के घर से रेस्क्यू करा पीड़ित बच्ची को बालिका निकेतन में भर्ती कराने के साथ आगे की कार्रवाई में जुटी उत्तराखंड बाल आयोग अध्यक्षा उषा नेगी के मुताबिक इस मामले पर भी पुलिस आरोपी महिला डॉक्टर को कहीं ना कहीं बचाने का प्रयास कर रही है। उसने की के मुताबिक आरोपी महिला डॉक्टर पहले दिन से पीड़ित बालिका को लेकर लगातार बयान बदल रही है अब महिला डॉक्टर और परिजनों द्वारा बच्ची के इलाज कराने की बात सामने आ रही है जो कहीं ना कहीं इस पूरे मामले को गुमराह करने का काम कर रही है।

बाल आयोग अध्यक्ष उसने की ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए बताया कि ताजा घटनाक्रम के साथ-साथ देहरादून में हाई प्रोफाइल लोगों के यहां समय-समय पर मानव तस्करी और बाल मजदूरी जैसे मामले लगातार सामने आते रहते हैं पुलिस और संबंधित संस्थाओं की आपसी सामंजस्य और इच्छाशक्ति की कमी के चलते हैं यह मामले रुकने की वजह लगातार बढ़ते जा रहे हैं हालांकि बाल आयोग द्वारा मशीनरी पर मॉनिटरिंग कर कार्रवाई का दबाव बनाया जा रहा है लेकिन उसके बावजूद भी यह मामले थमने का नाम नहीं ले रहे।

मानव तस्करी व बाल मजदूरी में अंकुश ना लगना पूरे सिस्टम का फेलियर- बाल आयोग

बाल आयोग अध्यक्षा आशा नेगी के मुताबिक राज्य में मानव तस्करी व बाल मजदूरी जैसे मामलों को अंकुश न लगा पाना हमारे पूरे सिस्टम में कई तरह के सवाल ये निशान पैदा करता है आखिर क्यों संबंधित विभाग इसमें कार्रवाई करने से पीछे हट रहे हैं। उषा नेगी की के मुताबिक उत्तराखंड में अन्य राज्यों लाए जाने वाले बालक बालिकाओं का संबंधित विभाग क्यों लेखा-जोखा नहीं रख पा रहा है बाहर से आने वाले बच्चों का रजिस्ट्रेशन और बुरा ना होने की वजह से बाल बाल आयोग को भी इस की मॉनिटरिंग करने में कई तरह की समस्याएं सामने आ रही है।
आशा नेगी ने साफ तौर पर कहा कि इससे पहले भी हाई प्रोफाइल लोगों के यहां मानव तस्करी बा बाल मजदूरी जैसे मामले लगातार सामने आते ही रहे हैं लेकिन उसके बावजूद पुलिस सहित अन्य संबंधित संस्थाएं फोर्स और प्रभावी ढंग से कार्रवाई करने में नाकाम साबित हुई है।

one to one-with usha negi
Last Updated : Apr 9, 2019, 4:09 PM IST
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