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साइकिल सवारों को फ्री में रिफ्लेक्टर बांटकर खुश होती है खुशी, जानिए क्या है वजह - लखनऊ में फ्री रिफ्लेक्टर

राजधानी लखनऊ की युवा सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडेय साइकिल सवार लोगों को सड़क पर रोकती है. इसके बाद उनकी साइकिल में 450 रुपये की कीमत का एक रिफ्लेक्टर फ्री में लगाती है.

युवा सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडेय
युवा सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडेय
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Published : Mar 30, 2023, 1:16 PM IST

युवा सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडेय की खुशी

लखनऊ: राजधानी में 25 दिसंबर 2022 की रात एक सामाजिक कार्यकर्ता के साइकिल सवार नाना घर जा रहे थे. इसी दौरान शहर में घने कोहरे की वजह एक कार ने उनकी साइकिल में टक्कर मार दी. इस हादसे में सामाजिक कार्यकर्ता के नाना की मौके पर मौत हो गई थी. अपने नाना की मौत के बाद सामाजिक कार्यकर्ता शहर में साइकिल सवार लोगों को रोककर उनकी साइकिल में निशुल्क रिफ्लेक्टर लगा रही हैं. उनका कहना है कि इस रेड लाइट की वजस से उनके नाना की तरह कोई अपनी जान न गंवाए.

राजधानी के राजनीखंड की रहने वाली खुशी पांडे एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उम्र भले ही 22 साल की हो. लेकिन, लोगों की मदद करने का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ है. सोशल मीडिया में खुशी का लोगों की साइकिल में रिफ्लेक्टर लगाते वीडियो वायरल हुआ. ईटीवी भारत की टीम तेलीबाग चौराहे के पास से गुजरने वाली इस सड़क पर पहुंची, जहां खुशी उसी पोस्टर को लिए खड़ी थी.

चौराहे पर पोस्टर व लाइट लेकर खड़ी होती है सामाजिक कार्यकर्ता खुशी

22 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडे कभी आशियाना तो कभी जीपीओ चौराहे पर हर रोज राजधानी के अलग-अलग चौराहे पर शाम 7 बजते ही एक पोस्टर और कुछ रिफ्लेक्टर लेकर खड़ी हो जाती हैं. खुशी पाडे यहां आते-जाते हर साइकिल सवार को रोककर उसमें एक रिफ्लेक्टर लगा देती हैं. वह सभी लोगों की साइकिलों पर यह रिफ्लेक्टर फ्री में ही लगाती हैं. जब रिफ्लेक्टर लोगों की साइकिल में लगता है, तब उसके चेहरे पर स्माइल आती है. यह रिफ्लेक्टर उसके चेहरे को सुकून देता है.

नाना की मौत ने खुशी को दिखाई नई राह

सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडे ने बताया कि वैसे तो वो बीते 6 वर्षों से सामाजिक कार्य कर रही हैं. लेकिन, जब से उनके नाना की सड़क हादसे में मौत हुई, उसके बाद से ही उन्हें साइकिल में लाइट लगाने का विचार आया. उन्होंने बताया कि बीते साल 25 दिसंबर को उनके नाना अमीनाबाद में कपड़े की दुकान बंदकर साइकिल से घर आ रहे थे. पूरे उस दिन सड़क पर घना कोहरा छाया हुआ था. इसी दौरान पीछे से किसी कार ने उनकी साइकिल में टक्कर मार दी. उस हादसे में उनके नाना की मौके पर ही मौत हो गई. बस इसी हादसे ने उन्हें एक नई राह दी. तभी से उन्होंने साइकिल में रिफ्लेक्टर लगाने की ठान ली. इस वजह से वह हर आने-जाने वाले साइकिल सवार को रोकती हैं. अगर नहीं रुकते तो जबरन रोकती हैं. इसके बाद उनकी साइकिल में वह रिफ्लेक्टर लगाती हैं.

कभी प्यार से तो कभी जबरन रोकती हैं साइकिलें

युवा सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडे ने बताया कि जब वो पोस्टर लेकर सड़क पर खड़ी होती हैं तो लोग उन्हें सेल्स गर्ल और प्रोडक्ट का प्रचार करने वाली लड़की समझते हैं. ऐसे में कई लोग तो रुकते ही नहीं हैं. इसलिए वो जबरन सामने आ जाती हैं. इसके बाद वह लोगों की साइकिल में रेड लाइट लगाती हैं. खुशी पांडे ने बताया कि लोग भरोसा ही नहीं करते हैं कि वह इस रिफ्लेक्टर को फ्री में लगाती हैं. उन्होंने बताया कि अब तक वह 1500 लोगों की साइकिल में लाइट लगा चुकी हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हर लाइट 450 रुपये की आती है. इसे खरीदने के लिए वो पीआर एजेंसी में नौकरी करने के साथ-साथ ऑनलाइन ट्यूशन भी देती हैं. खुशी ने बताया कि वो चाहती हैं कि एक दिन हर एक साइकिल में लाइट लगी हो, जिससे कोई भी अंधेरे की वजह से हादसे का शिकार न हो.

यह भी पढ़ें- Siddhidatri Devi Temple: माता सिद्धिदात्री देवी के दर्शन करने से ही नवरात्रि के व्रत को माना जाता है पूर्ण

युवा सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडेय की खुशी

लखनऊ: राजधानी में 25 दिसंबर 2022 की रात एक सामाजिक कार्यकर्ता के साइकिल सवार नाना घर जा रहे थे. इसी दौरान शहर में घने कोहरे की वजह एक कार ने उनकी साइकिल में टक्कर मार दी. इस हादसे में सामाजिक कार्यकर्ता के नाना की मौके पर मौत हो गई थी. अपने नाना की मौत के बाद सामाजिक कार्यकर्ता शहर में साइकिल सवार लोगों को रोककर उनकी साइकिल में निशुल्क रिफ्लेक्टर लगा रही हैं. उनका कहना है कि इस रेड लाइट की वजस से उनके नाना की तरह कोई अपनी जान न गंवाए.

राजधानी के राजनीखंड की रहने वाली खुशी पांडे एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उम्र भले ही 22 साल की हो. लेकिन, लोगों की मदद करने का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ है. सोशल मीडिया में खुशी का लोगों की साइकिल में रिफ्लेक्टर लगाते वीडियो वायरल हुआ. ईटीवी भारत की टीम तेलीबाग चौराहे के पास से गुजरने वाली इस सड़क पर पहुंची, जहां खुशी उसी पोस्टर को लिए खड़ी थी.

चौराहे पर पोस्टर व लाइट लेकर खड़ी होती है सामाजिक कार्यकर्ता खुशी

22 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडे कभी आशियाना तो कभी जीपीओ चौराहे पर हर रोज राजधानी के अलग-अलग चौराहे पर शाम 7 बजते ही एक पोस्टर और कुछ रिफ्लेक्टर लेकर खड़ी हो जाती हैं. खुशी पाडे यहां आते-जाते हर साइकिल सवार को रोककर उसमें एक रिफ्लेक्टर लगा देती हैं. वह सभी लोगों की साइकिलों पर यह रिफ्लेक्टर फ्री में ही लगाती हैं. जब रिफ्लेक्टर लोगों की साइकिल में लगता है, तब उसके चेहरे पर स्माइल आती है. यह रिफ्लेक्टर उसके चेहरे को सुकून देता है.

नाना की मौत ने खुशी को दिखाई नई राह

सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडे ने बताया कि वैसे तो वो बीते 6 वर्षों से सामाजिक कार्य कर रही हैं. लेकिन, जब से उनके नाना की सड़क हादसे में मौत हुई, उसके बाद से ही उन्हें साइकिल में लाइट लगाने का विचार आया. उन्होंने बताया कि बीते साल 25 दिसंबर को उनके नाना अमीनाबाद में कपड़े की दुकान बंदकर साइकिल से घर आ रहे थे. पूरे उस दिन सड़क पर घना कोहरा छाया हुआ था. इसी दौरान पीछे से किसी कार ने उनकी साइकिल में टक्कर मार दी. उस हादसे में उनके नाना की मौके पर ही मौत हो गई. बस इसी हादसे ने उन्हें एक नई राह दी. तभी से उन्होंने साइकिल में रिफ्लेक्टर लगाने की ठान ली. इस वजह से वह हर आने-जाने वाले साइकिल सवार को रोकती हैं. अगर नहीं रुकते तो जबरन रोकती हैं. इसके बाद उनकी साइकिल में वह रिफ्लेक्टर लगाती हैं.

कभी प्यार से तो कभी जबरन रोकती हैं साइकिलें

युवा सामाजिक कार्यकर्ता खुशी पांडे ने बताया कि जब वो पोस्टर लेकर सड़क पर खड़ी होती हैं तो लोग उन्हें सेल्स गर्ल और प्रोडक्ट का प्रचार करने वाली लड़की समझते हैं. ऐसे में कई लोग तो रुकते ही नहीं हैं. इसलिए वो जबरन सामने आ जाती हैं. इसके बाद वह लोगों की साइकिल में रेड लाइट लगाती हैं. खुशी पांडे ने बताया कि लोग भरोसा ही नहीं करते हैं कि वह इस रिफ्लेक्टर को फ्री में लगाती हैं. उन्होंने बताया कि अब तक वह 1500 लोगों की साइकिल में लाइट लगा चुकी हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हर लाइट 450 रुपये की आती है. इसे खरीदने के लिए वो पीआर एजेंसी में नौकरी करने के साथ-साथ ऑनलाइन ट्यूशन भी देती हैं. खुशी ने बताया कि वो चाहती हैं कि एक दिन हर एक साइकिल में लाइट लगी हो, जिससे कोई भी अंधेरे की वजह से हादसे का शिकार न हो.

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