हरिद्वार: धर्म संसद हेट स्पीच विवाद मामला (Dharma Sansad Hate Speech Case) थमने का नाम नहीं ले रहा है. एसआईटी जांच के आदेश दिए गए हैं जिससे संत समाज आक्रोशित है. हरिद्वार धर्म संसद के संयोजक स्वामी यति नरसिंहानंद गिरी ने उत्तराखंड सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा सरकार मुस्लिम समाज के दबाव में संतों पर मुकदमें दर्ज कर रही है.
स्वामी यती नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि 'सरकार इस समय मुसलमानों के दबाव में है, जिसके कारण वह संतों पर मुकदमे करा रही है. इस दुख से बड़ी बात क्या हो सकती है कि हिंदूवादी सरकार कहने वाली सरकार ही संतों पर मुकदमे कर रही है.' स्वामी यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा हम इन मुकदमों से डरने वाले नहीं हैं. संतों का कार्य ही धर्म की रक्षा करना है. जिस पर हम डटे रहेंगे.
पढ़ें-Haridwar Hate Speech: सागर सिंधु महाराज और यति नरसिंहानंद गिरि के नाम भी FIR में शामिल
वहीं, मामले में वसीम रिजवी (जितेंद्र त्यागी) ने भी संतों पर दर्ज किए गए मुकदमों पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा मुसलमानों के दबाव में लगातार उत्तराखंड सरकार, पुलिस पर प्रेशर बनाकर मुकदमे दर्ज करा रही है. जितेंद्र त्यागी ने कहा 'जब वसीम रिजवी हुआ करता था तब भी इसी तरह के वक्तव्य दिया करता था, लेकिन तब मेरे पर कोई मुकदमा नहीं हुआ. जब से मैं जितेंद्र सिंह त्यागी हुआ हूं पता नहीं क्यों सरकार मुझसे इतना प्रेम करने लगी है कि आए दिन कोई ना कोई मुकदमा लगा रही है. मेरे साथ पूजनीय संतों को भी नहीं बख्शा जा रहा है.'
पढ़ें- 'धर्म संसद' भड़काऊ भाषण मामले में दो और संतों के नाम FIR में शामिल, साधुओं में रोष
गौरतलब है कि हरिद्वार धर्म संसद में कथित भड़काऊ भाषण (Dharma Sansad Hate Speech Case) मामले में जांच के लिए एसपी स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया था. इस मामले में कुल 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर किया गया है. उनमें वसीम रिजवी, यति नरसिंहानंद और अन्नपूर्णा शामिल हैं.
ये है पूरा मामला
सनातन धर्म की रक्षा और संवर्धन के लिए धर्मनगरी हरिद्वार के वेद निकेतन धाम में 17 से 19 दिसंबर तक तीन दिवसीय धर्म संसद हुई थी. हरिद्वार धर्म संसद (Haridwar dharma sansad) के 4 दिन बाद सोशल मीडिया पर साधु-संतों द्वारा दिए गए बयानों से बवाल मचा गया था. सोशल मीडिया पर इन बयानों की निंदा की गई. धर्म संसद में वक्ताओं पर कथित तौर पर एक विशेष समुदाय के खिलाफ हिंसा की पैरवी की और 'हिंदू राष्ट्र' के लिए संघर्ष के आह्वान का आरोप लगा था. धर्म संसद में 500 के आसपास महामंडलेश्वर महंत थे और 700-800 अन्य संत थे.धर्म संसद में जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि, रुड़की के सागर सिंधुराज महाराज, संभवी धाम के आनंद स्वरूप महाराज, जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी, निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा मां, पटना के धर्मदास महाराज शामिल थे. इन सभी ने धर्म संसद में अपने विचारों को रखा था.
पढ़ें- haridwar dharma sansad hate speech : जांच के लिए पांच सदस्यीय SIT का गठन