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सिस्टम की हकीकत बयां करती तस्वीर, बंद सड़क के चलते कंधे पर लादकर शव को पहुंचाया श्मशान घाट

Pauri Road Blocked पौड़ी जिले में विभाग जहां बाधित मार्गों को खोलने का दावा कर रहा है. वहीं हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. मानसून सीजन में भारी बारिश से कई संपर्क मार्ग मलबे से पट गए, कुछ को विभाग द्वारा खोले जा चुके हैं, तो कई मार्ग अभी भी बाधित चल रहे हैं. जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 4, 2023, 2:09 PM IST

Updated : Sep 4, 2023, 4:42 PM IST

बंद सड़क के चलते कंधे पर लादकर शव को पहुंचाया श्मशान घाट

पौड़ी (उत्तराखंड): यह मानसून सीजन भी उत्तराखंड में आफत बनकर टूटा है. वहीं अभी भी रुक-रुक कर लगातार बारिश हो रही है. पहाड़ों में बंद सड़कें जहां एक ओर जनजीवन के लिए मुसीबत का सबब बनी हैं. वहीं बंद सड़कों का खामियाजा अब अंतिम संस्कार जैसे जरूरी कामों पर भी भारी पड़ रहा है. बारिश के बाद सड़कें खुलवाने के दावे प्रशासन तो बहुत करता है, लेकिन हकीकत ठीक उलट है. जो सिस्टम को आइना दिखा रही है.

भारी बारिश से मलबे से पटा मार्ग: बरसात समाप्त होने के बाद भी पौड़ी जिले में ग्रामीण सड़कों की स्थिति बद से बदत्तर है. पहले तो उपचार के लिए मरीज को लोग डंडी कंडी के सहारे लाते थे. लेकिन अब बंद सड़कों के चलते लोगों को अंतिम संस्कार के लिए भी पैदल ही शव कंधे पर लादकर चलना मजबूरी बन गया है. दरअसल, रविवार को पौड़ी निवासी बुजुर्ग मुकंदी लाल का निधन हो गया. परिजन उन्हें पौड़ी-कोटद्वार हाईवे पर स्थित अपने पैतृक घाट ज्वाल्पादेवी पर अंतिम संस्कार के लिए ले गए.
पढ़ें-मरीज को डंडी-कंडी पर लाद 7 किमी पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल, देखिए पहाड़ में रहने का दर्द!

पैदल चलकर शव को अंत्येष्टि घाट तक पहुंचाया: जहां उन्होंने परंपरा के अनुसार रिंगवाड़स्यूं पट्टी का संतुधार मोटर मार्ग पर चलना प्रारंभ किया. इस मोटर मार्ग पर करीब 5 से 7 किमी बस से चलने के बाद जैसे ही ज्वाल्पा देवी घाट के लिए सड़क पकड़ी, तो पता चला कि ढ़ाई से 3 किमी यह मोटर मार्ग कई जगहों पर मलबे से पटा हुआ है. जब परिजनों को कोई विकल्प नहीं सूझा तो उन्होंने शव को कंधे पर लेकर घाट तक पहुंचना ही मुनासिब समझा. सभी लोगों के सामूहिक प्रयास व कड़ी मशक्कत के बाद लकड़ियों और शव को अंत्येष्टि घाट पर पहुंचाया गया.
पढ़ें-उत्तरकाशी में डंडी कंडी के सहारे 'जिंदगी', न जाने कब खत्म होगा पहाड़ का 'दर्द'

मार्ग बाधित होने से लोगों में रोष: इस घाट पर रिंगवाड़स्यूं पट्टी के चमाली, रिंगवाड, तछवाड़, दियू समेत दर्जनों गांव अंत्येष्टि को पहुंचते हैं. वहीं स्थानीय निवासी डीएन शाह ने बताया कि यह क्षेत्र प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज का है. लेकिन वरिष्ठ काबीना मंत्री महाराज के क्षेत्र में सड़क की इस प्रकार की दयनीय स्थिति बनी हुई है. कहा कि इससे सभी लोगों में आक्रोश है. अंत्येष्टि घाट पहुंचने वाली सड़क को तो समय पर खुलवाया जाना चाहिए. कहा कि लोनिवि के अफसरों को फोन कर बताया गया तो सभी ने अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे के कंधे पर डाल दी. ऐसे में शव को कंधे पर रखकर लोग कहां जाएं.

पीडब्ल्यूडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने क्या कहा? पीडब्ल्यूडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर केएस नेगी ने कहा कि बरसात से यह मार्ग बाधित हो गया था. बीच में विभाग की ओर से इसे खुलवा दिया गया था. लेकिन फिर बारिश होने से इसमें मलबा आ गया. अब जल्द ही इसी खुलवाने की कार्रवाई की जाएगी- केएस नेगी, अधिशाषी अभियंता, लोनिवि पाबौ, पौड़ी.

बंद सड़क के चलते कंधे पर लादकर शव को पहुंचाया श्मशान घाट

पौड़ी (उत्तराखंड): यह मानसून सीजन भी उत्तराखंड में आफत बनकर टूटा है. वहीं अभी भी रुक-रुक कर लगातार बारिश हो रही है. पहाड़ों में बंद सड़कें जहां एक ओर जनजीवन के लिए मुसीबत का सबब बनी हैं. वहीं बंद सड़कों का खामियाजा अब अंतिम संस्कार जैसे जरूरी कामों पर भी भारी पड़ रहा है. बारिश के बाद सड़कें खुलवाने के दावे प्रशासन तो बहुत करता है, लेकिन हकीकत ठीक उलट है. जो सिस्टम को आइना दिखा रही है.

भारी बारिश से मलबे से पटा मार्ग: बरसात समाप्त होने के बाद भी पौड़ी जिले में ग्रामीण सड़कों की स्थिति बद से बदत्तर है. पहले तो उपचार के लिए मरीज को लोग डंडी कंडी के सहारे लाते थे. लेकिन अब बंद सड़कों के चलते लोगों को अंतिम संस्कार के लिए भी पैदल ही शव कंधे पर लादकर चलना मजबूरी बन गया है. दरअसल, रविवार को पौड़ी निवासी बुजुर्ग मुकंदी लाल का निधन हो गया. परिजन उन्हें पौड़ी-कोटद्वार हाईवे पर स्थित अपने पैतृक घाट ज्वाल्पादेवी पर अंतिम संस्कार के लिए ले गए.
पढ़ें-मरीज को डंडी-कंडी पर लाद 7 किमी पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल, देखिए पहाड़ में रहने का दर्द!

पैदल चलकर शव को अंत्येष्टि घाट तक पहुंचाया: जहां उन्होंने परंपरा के अनुसार रिंगवाड़स्यूं पट्टी का संतुधार मोटर मार्ग पर चलना प्रारंभ किया. इस मोटर मार्ग पर करीब 5 से 7 किमी बस से चलने के बाद जैसे ही ज्वाल्पा देवी घाट के लिए सड़क पकड़ी, तो पता चला कि ढ़ाई से 3 किमी यह मोटर मार्ग कई जगहों पर मलबे से पटा हुआ है. जब परिजनों को कोई विकल्प नहीं सूझा तो उन्होंने शव को कंधे पर लेकर घाट तक पहुंचना ही मुनासिब समझा. सभी लोगों के सामूहिक प्रयास व कड़ी मशक्कत के बाद लकड़ियों और शव को अंत्येष्टि घाट पर पहुंचाया गया.
पढ़ें-उत्तरकाशी में डंडी कंडी के सहारे 'जिंदगी', न जाने कब खत्म होगा पहाड़ का 'दर्द'

मार्ग बाधित होने से लोगों में रोष: इस घाट पर रिंगवाड़स्यूं पट्टी के चमाली, रिंगवाड, तछवाड़, दियू समेत दर्जनों गांव अंत्येष्टि को पहुंचते हैं. वहीं स्थानीय निवासी डीएन शाह ने बताया कि यह क्षेत्र प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज का है. लेकिन वरिष्ठ काबीना मंत्री महाराज के क्षेत्र में सड़क की इस प्रकार की दयनीय स्थिति बनी हुई है. कहा कि इससे सभी लोगों में आक्रोश है. अंत्येष्टि घाट पहुंचने वाली सड़क को तो समय पर खुलवाया जाना चाहिए. कहा कि लोनिवि के अफसरों को फोन कर बताया गया तो सभी ने अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे के कंधे पर डाल दी. ऐसे में शव को कंधे पर रखकर लोग कहां जाएं.

पीडब्ल्यूडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने क्या कहा? पीडब्ल्यूडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर केएस नेगी ने कहा कि बरसात से यह मार्ग बाधित हो गया था. बीच में विभाग की ओर से इसे खुलवा दिया गया था. लेकिन फिर बारिश होने से इसमें मलबा आ गया. अब जल्द ही इसी खुलवाने की कार्रवाई की जाएगी- केएस नेगी, अधिशाषी अभियंता, लोनिवि पाबौ, पौड़ी.

Last Updated : Sep 4, 2023, 4:42 PM IST
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