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सिपाही बेटा बना सेना का 'अफसर', 500 के नोट और पिता के तंज ने बदली 'तकदीर', सुनिये मजेदार किस्सा - Vikash rawat Army Officer

भारतीय सैन्य अकादमी में आज अफसर बने विजय रावत की कहानी किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं है. उनका वो पल जिसे वे खुद भी कभी नहीं भुला पाते, आज अकादमी में भी खूब चर्चाओं में रहा. बात उस ₹500 के नोट और पापा के ताने की है, जिसने विजय रावत की जिंदगी ही बदल दी. यूं कहें कि अपने पिता की बातों को विजय ने इतनी गंभीरता से लिया कि उसने 4 साल के अंदर भारतीय सेना में अफसर बनने का सफर पूरा कर लिया. पढ़िए विजय रावत के आर्मी अफसर बनने की पूरी स्टोरी...

Army Officer Vijay Rawat
सैन्य अफसर विजय रावत
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Published : Jun 10, 2023, 7:15 PM IST

Updated : Jun 10, 2023, 10:52 PM IST

500 के नोट ने विजय रावत को बनाया अफसर.

देहरादूनः भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में आज पीओपी यानी पासिंग आउट परेड आयोजित हुई. जिसमें देश और विदेश के कुल 374 कैडेट पास आउट हुए. जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से 332 कैडेट पास आउट होकर सेना के अंग बन गए हैं. उत्तराखंड की बात करें तो 24 कैडेट बतौर सैन्य अधिकारी भारतीय सेना में शामिल हुए हैं. जिसमें रुद्रप्रयाग के विजय रावत भी शामिल हैं. आज ईटीवी भारत ने विजय रावत से खास बातचीत की. इस दौरान विजय रावत ने कुछ अनछुए पहलुओं को साझा किया है, जो अपने आप में फिल्मी है.

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भारतीय सैन्य अकादमी में पासिंग आउट परेड

दरअसल, बात उत्तराखंड के लैंसडाउन की है, जहां सैकड़ों और हजारों युवा सेना में सिपाही के पद पर भर्ती होने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. विजय रावत भी उन्हीं युवाओं में शामिल थे, जिसने सेना में सिपाही बनने का मन बना लिया था. देहरादून में अपने परिवार के साथ रहने वाले विजय रावत मूल रूप से रुद्रप्रयाग के रहने वाले हैं. पढ़ाई में सामान्य विजय के परिवार ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनका बेटा सेना में अफसर तक बन जाएगा.

ये भी पढ़ेंः लेफ्टिनेंट अभिमन्यु बोले- दुश्मन को देंगे मुंहतोड़ जवाब, दादा-नाना भी रहे सैन्य अफसर

लैंसडाउन ही पहुंच गए थे विजय के पिताजीः बेरोजगारी के इस दौर में विजय रावत भी दूसरे युवाओं की तरह सरकारी नौकरी के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे. इस दौरान उन्हें पता चला कि लैंसडाउन में सिपाही की भर्ती होने जा रही है. इसका पता चलते ही विजय भी सिपाही की भर्ती के लिए लैंसडाउन पहुंच गए. अभी विजय फिजिकल परीक्षा पास करने के बाद मेडिकल करवा ही रहे थे कि उनके पिता को किसी ने उनके बेटे यानी विजय रावत के सेना में भर्ती होने का प्रयास करने की जानकारी दे दी.

Vijay Rawat Army Journey
विजय रावत बने सैन्य अफसर

विजय के पिताजी ने हाथ में थमा दिया था 500 रुपए का नोटः यह बात सुनकर विजय रावत के पिता भी लैंसडाउन पहुंच गए और मेडिकल करवाने की तैयारी कर रहे विजय के पास पहुंच कर चुपचाप कुछ ऐसी बात कह दी. जिसे विजय ने दिल पर लगा लिया. दरअसल, विजय के पिता को यह विश्वास ही नहीं था कि विजय सेना की नौकरी भी कर सकता है. इसीलिए विजय के पिता ने भर्ती प्रक्रिया के बीच में ही चुपचाप विजय को बुलाकर उसके हाथ में 500 का नोट पकड़ा दिया. 500 का नोट देख कर विजय भी हक्का-बक्का रह गया.

Vijay Rawat Army Journey
विजय रावत का बयान

तुझसे से नहीं हो पाएगा, 500 के नोट लेकर घर वापस चला जाः इस बीच विजय के पिता ने कहा कि अब भी वक्त है, इस 500 के नोट को लेकर वापस घर चला जा. क्योंकि, यह तुझ से नहीं हो पाएगा. सेना में फिजिकल पास करने के बाद मेडिकल करवा रहे विजय रावत ने जब अपने पिता की बात सुनी तो उसने सेना में ही जाने का पक्का मन बना दिया. इस तरह विजय रावत सेना में सिपाही के तौर पर भर्ती हो गया, लेकिन विजय ने अपने इस सफर को यहीं पर नहीं रोका, उसने ठान लिया कि अब वो सिपाही नहीं, बल्कि सेना में अफसर ही बनेगा.

Vijay Rawat Army Journey
परिजनों के साथ विजय रावत

अब बने सेना के अफसरः इसके बाद विजय अफसर बनने की तैयारी करने लगा और सेना में एसीसी के जरिए अफसर के लिए मिलने वाले मौके का इंतजार भी उसने करना शुरू कर दिया. अपनी तैयारी पूरी कर विजय रावत ने एसीसी में परीक्षा देकर ऑल इंडिया में पहली रैंक हासिल कर दी. इस तरह एसीसी (आर्मी कैडेट कॉलेज) में 3 साल के प्रशिक्षण और 1 साल भारतीय सेना अकादमी में कठिन ट्रेनिंग के बाद आज विजय रावत सेना का अफसर बन गया.
ये भी पढ़ेंः IMA POP में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर मिहिर बनर्जी का इंटरव्यू, पापा ब्रिगेडियर, बेटा बना लेफ्टिनेंट

क्या बोले विजय रावतः सैन्य अफसर बने विजय रावत ने बताया कि एक वक्त तो पिता ने उनके हाथ में 500 रुपए थमाकर घर जाने की सलाह दी थी, लेकिन आज उन्होंने वो कर दिखाया है, जिस पर अब उनके पिता और परिजनों को गर्व हो रहा है. आज वो बहुत खुश हैं कि उसने अपने पिता की कही हुई बात के बाद खुद को साबित कर दिया है. वो पूरी कोशिश करेगा कि देश सेवा के लिए उसके सामने जो भी चुनौती आएगी, उसे वो पार करेंगे.

500 के नोट ने विजय रावत को बनाया अफसर.

देहरादूनः भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में आज पीओपी यानी पासिंग आउट परेड आयोजित हुई. जिसमें देश और विदेश के कुल 374 कैडेट पास आउट हुए. जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से 332 कैडेट पास आउट होकर सेना के अंग बन गए हैं. उत्तराखंड की बात करें तो 24 कैडेट बतौर सैन्य अधिकारी भारतीय सेना में शामिल हुए हैं. जिसमें रुद्रप्रयाग के विजय रावत भी शामिल हैं. आज ईटीवी भारत ने विजय रावत से खास बातचीत की. इस दौरान विजय रावत ने कुछ अनछुए पहलुओं को साझा किया है, जो अपने आप में फिल्मी है.

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भारतीय सैन्य अकादमी में पासिंग आउट परेड

दरअसल, बात उत्तराखंड के लैंसडाउन की है, जहां सैकड़ों और हजारों युवा सेना में सिपाही के पद पर भर्ती होने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. विजय रावत भी उन्हीं युवाओं में शामिल थे, जिसने सेना में सिपाही बनने का मन बना लिया था. देहरादून में अपने परिवार के साथ रहने वाले विजय रावत मूल रूप से रुद्रप्रयाग के रहने वाले हैं. पढ़ाई में सामान्य विजय के परिवार ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनका बेटा सेना में अफसर तक बन जाएगा.

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लैंसडाउन ही पहुंच गए थे विजय के पिताजीः बेरोजगारी के इस दौर में विजय रावत भी दूसरे युवाओं की तरह सरकारी नौकरी के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे. इस दौरान उन्हें पता चला कि लैंसडाउन में सिपाही की भर्ती होने जा रही है. इसका पता चलते ही विजय भी सिपाही की भर्ती के लिए लैंसडाउन पहुंच गए. अभी विजय फिजिकल परीक्षा पास करने के बाद मेडिकल करवा ही रहे थे कि उनके पिता को किसी ने उनके बेटे यानी विजय रावत के सेना में भर्ती होने का प्रयास करने की जानकारी दे दी.

Vijay Rawat Army Journey
विजय रावत बने सैन्य अफसर

विजय के पिताजी ने हाथ में थमा दिया था 500 रुपए का नोटः यह बात सुनकर विजय रावत के पिता भी लैंसडाउन पहुंच गए और मेडिकल करवाने की तैयारी कर रहे विजय के पास पहुंच कर चुपचाप कुछ ऐसी बात कह दी. जिसे विजय ने दिल पर लगा लिया. दरअसल, विजय के पिता को यह विश्वास ही नहीं था कि विजय सेना की नौकरी भी कर सकता है. इसीलिए विजय के पिता ने भर्ती प्रक्रिया के बीच में ही चुपचाप विजय को बुलाकर उसके हाथ में 500 का नोट पकड़ा दिया. 500 का नोट देख कर विजय भी हक्का-बक्का रह गया.

Vijay Rawat Army Journey
विजय रावत का बयान

तुझसे से नहीं हो पाएगा, 500 के नोट लेकर घर वापस चला जाः इस बीच विजय के पिता ने कहा कि अब भी वक्त है, इस 500 के नोट को लेकर वापस घर चला जा. क्योंकि, यह तुझ से नहीं हो पाएगा. सेना में फिजिकल पास करने के बाद मेडिकल करवा रहे विजय रावत ने जब अपने पिता की बात सुनी तो उसने सेना में ही जाने का पक्का मन बना दिया. इस तरह विजय रावत सेना में सिपाही के तौर पर भर्ती हो गया, लेकिन विजय ने अपने इस सफर को यहीं पर नहीं रोका, उसने ठान लिया कि अब वो सिपाही नहीं, बल्कि सेना में अफसर ही बनेगा.

Vijay Rawat Army Journey
परिजनों के साथ विजय रावत

अब बने सेना के अफसरः इसके बाद विजय अफसर बनने की तैयारी करने लगा और सेना में एसीसी के जरिए अफसर के लिए मिलने वाले मौके का इंतजार भी उसने करना शुरू कर दिया. अपनी तैयारी पूरी कर विजय रावत ने एसीसी में परीक्षा देकर ऑल इंडिया में पहली रैंक हासिल कर दी. इस तरह एसीसी (आर्मी कैडेट कॉलेज) में 3 साल के प्रशिक्षण और 1 साल भारतीय सेना अकादमी में कठिन ट्रेनिंग के बाद आज विजय रावत सेना का अफसर बन गया.
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क्या बोले विजय रावतः सैन्य अफसर बने विजय रावत ने बताया कि एक वक्त तो पिता ने उनके हाथ में 500 रुपए थमाकर घर जाने की सलाह दी थी, लेकिन आज उन्होंने वो कर दिखाया है, जिस पर अब उनके पिता और परिजनों को गर्व हो रहा है. आज वो बहुत खुश हैं कि उसने अपने पिता की कही हुई बात के बाद खुद को साबित कर दिया है. वो पूरी कोशिश करेगा कि देश सेवा के लिए उसके सामने जो भी चुनौती आएगी, उसे वो पार करेंगे.

Last Updated : Jun 10, 2023, 10:52 PM IST
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