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कैलाश मानसरोवर यात्रा रद्द रहने से मायूस न हों भक्त, कैलाश पर्वत दर्शन के लिए हो रही वैकल्पिक मार्ग की तलाश

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Published : Jun 27, 2023, 6:45 PM IST

कैलाश मानसरोवर यात्रा लगातार 4 साल से स्थगित होने के कारण उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अधिकारी तीर्थयात्रियों को कैलाश पर्वत के दर्शन कराने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाश रहे हैं. इसके लिए पुराने लिपुलेख शिखर से यात्रियों को कैलाश पर्वत के दर्शन कराने पर विचार किया जा रहा है.

kailash parvat
कैलाश पर्वत

पिथौरागढ़ (उत्तराखंड): कैलाश मानसरोवर यात्रा लगातार चार सालों से स्थगित होने के कारण उत्तराखंड पर्यटन विभाग यहां पुराने लिपुलेख शिखर से तीर्थयात्रियों को भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत की एक झलक दिखाने की संभावना तलाश रहा है. मंगलवार को उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने कहा, पुराना लिपुलेख शिखर तिब्बत के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रे के पश्चिमी किनारे पर स्थित है. लिपुलेख दर्रे के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा आखिरी बार 2019 में आयोजित की गई थी. इसे 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण निलंबित कर दिया गया था और तब से लगातार स्थगित है.

धारचूला उप-विभागीय मजिस्ट्रेट देवेश शाशनी ने पीटीआई को बताया कि हाल ही में पर्यटन विभाग के अधिकारियों, जिला अधिकारियों, साहसिक पर्यटन विशेषज्ञों और सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों की एक टीम ने पुरानी लिपुलेख चोटी का दौरा किया, जहां से भव्य कैलाश पर्वत का स्पष्ट दृश्य दिखाई देता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस स्थान को धार्मिक पर्यटन के रूप में कैसे विकसित किया जा सकता है. देवेश शाशनी भी उस टीम का हिस्सा थे. अधिकारियों ने कहा कि पुरानी लिपुलेख चोटी से 'कैलाश दर्शन' कैलाश-मानसरोवर यात्रा का एक विकल्प हो सकता है.

स्नो स्कूटर का लिया जा सकता है सहारा: जिला पर्यटन अधिकारी कृति चंद का कहना है, 'हमारी टीम को व्यास घाटी में धार्मिक पर्यटन की संभावना पर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था, जिसके लिए हमने पुरानी लिपुलेख चोटी, नाभीढांग और आदि कैलाश क्षेत्र का दौरा किया.' कृति चंद ने कहा, 'एक स्नो स्कूटर तीर्थयात्रियों को उस चोटी तक ले जा सकता है जो समुद्र तल से 19 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और लिपुलेख दर्रे से 1800 मीटर की दूरी पर है. बीआरओ ने चोटी के आधार तक सड़क का निर्माण किया है'.
ये भी पढ़ेंः मौसम ने डाली बाधा: आदि कैलाश यात्रा रोकी गई, बीच रास्ते में फंसे तीर्थयात्री, 30 जून तक नहीं बनेंगे इनर लाइन परमिट

पुरानी लिपुलेख चोटी से कैलाश पर्वत के दर्शन: वहीं, व्यास घाटी के निवासियों का कहना है कि पहले भी, जो तीर्थयात्री वृद्धावस्था या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण मानसरोवर नहीं जा पाते थे, उन्हें पुरानी लिपुलेख चोटी से पवित्र कैलाश पर्वत के 'दर्शन' मिलते थे. चोटी का दौरा करने वाले व्यास घाटी के रोंगकोंग गांव के निवासी भूपाल सिंह रोंकाली का कहना है कि चोटी से कैलाश पर्वत का एक सुंदर और रोमांचकारी दृश्य देखने को मिलता है. चोटी तक पहुंचने के रास्ते में एकमात्र चुनौती तेज हवाएं और चार महत्वपूर्ण मोड़ हैं. कई बार वहां से कैलाश पर्वत का वीडियो शूट किया.
(इनपुट-पीटीआई)

पिथौरागढ़ (उत्तराखंड): कैलाश मानसरोवर यात्रा लगातार चार सालों से स्थगित होने के कारण उत्तराखंड पर्यटन विभाग यहां पुराने लिपुलेख शिखर से तीर्थयात्रियों को भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत की एक झलक दिखाने की संभावना तलाश रहा है. मंगलवार को उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने कहा, पुराना लिपुलेख शिखर तिब्बत के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रे के पश्चिमी किनारे पर स्थित है. लिपुलेख दर्रे के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा आखिरी बार 2019 में आयोजित की गई थी. इसे 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण निलंबित कर दिया गया था और तब से लगातार स्थगित है.

धारचूला उप-विभागीय मजिस्ट्रेट देवेश शाशनी ने पीटीआई को बताया कि हाल ही में पर्यटन विभाग के अधिकारियों, जिला अधिकारियों, साहसिक पर्यटन विशेषज्ञों और सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों की एक टीम ने पुरानी लिपुलेख चोटी का दौरा किया, जहां से भव्य कैलाश पर्वत का स्पष्ट दृश्य दिखाई देता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस स्थान को धार्मिक पर्यटन के रूप में कैसे विकसित किया जा सकता है. देवेश शाशनी भी उस टीम का हिस्सा थे. अधिकारियों ने कहा कि पुरानी लिपुलेख चोटी से 'कैलाश दर्शन' कैलाश-मानसरोवर यात्रा का एक विकल्प हो सकता है.

स्नो स्कूटर का लिया जा सकता है सहारा: जिला पर्यटन अधिकारी कृति चंद का कहना है, 'हमारी टीम को व्यास घाटी में धार्मिक पर्यटन की संभावना पर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था, जिसके लिए हमने पुरानी लिपुलेख चोटी, नाभीढांग और आदि कैलाश क्षेत्र का दौरा किया.' कृति चंद ने कहा, 'एक स्नो स्कूटर तीर्थयात्रियों को उस चोटी तक ले जा सकता है जो समुद्र तल से 19 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और लिपुलेख दर्रे से 1800 मीटर की दूरी पर है. बीआरओ ने चोटी के आधार तक सड़क का निर्माण किया है'.
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पुरानी लिपुलेख चोटी से कैलाश पर्वत के दर्शन: वहीं, व्यास घाटी के निवासियों का कहना है कि पहले भी, जो तीर्थयात्री वृद्धावस्था या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण मानसरोवर नहीं जा पाते थे, उन्हें पुरानी लिपुलेख चोटी से पवित्र कैलाश पर्वत के 'दर्शन' मिलते थे. चोटी का दौरा करने वाले व्यास घाटी के रोंगकोंग गांव के निवासी भूपाल सिंह रोंकाली का कहना है कि चोटी से कैलाश पर्वत का एक सुंदर और रोमांचकारी दृश्य देखने को मिलता है. चोटी तक पहुंचने के रास्ते में एकमात्र चुनौती तेज हवाएं और चार महत्वपूर्ण मोड़ हैं. कई बार वहां से कैलाश पर्वत का वीडियो शूट किया.
(इनपुट-पीटीआई)

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