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हेमकुंड साहिब का आध्यात्मिक महत्व है बेहद खास, नजारों को देख आप भी कहेंगे वाह

उत्तराखंड के चमोली जिले के दुर्गम क्षेत्र में सिखों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब है. जिसके कपाट शबद कीर्तन और पहली अरदास के साथ खोल दिए गए. इसके साथ ही लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी पूजा अर्चना के साथ खुल गए हैं. हेमकुंड साहिब की यात्रा में आपको आध्यात्मिक के साथ रोमांच का एहसास होगा. यहां बर्फीली पहाड़ियों और खूबसूरत नजारओं को देख आपकी नजरें नहीं हटेंगी.

Spiritual Significance of Hemkund Sahib
उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब का आध्यात्मिक महत्व
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Published : May 21, 2023, 12:51 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): सिखों के पवित्र तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं. हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में करीब 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. मान्यता है कि यहां पर गुरु गोविंद सिंह ने दशम ग्रंथ लिखा था. जो सिखों के दसवें गुरु थे. यहां हर साल लाखों की संख्या में सिख तीर्थ यात्री दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

Hemkund Sahib
सिखों का पवित्र तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब

कैसे पड़ा हेमकुंड नाम? हिमालय की गोद में हेमकुंड साहिब बसा है. इसके चारों ओर पत्थरीले पहाड़ और बर्फ से ढकी चोटियों देखने को मिलती है. अब जानते हैं कि हेमकुंड साहिब का नाम कैसे पड़ा? दरअसल, हेमकुंड संस्कृत शब्द है. जिसका मतलब होता बर्फ का कुंड होता है. यही वजह है कि इस पवित्र स्थान का नाम हेमकुंड पड़ा. हेमकुंड साहिब में झील के किनारे सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है. यहां साल में 7 से 8 महीने बर्फ की परत जमी रहती है.

Hemkund Sahib
हेमकुंड साहिब का खूबसूरत नजारा

बर्फीली चोटियों से घिरे होने की वजह से हेमकुंड का वातावरण बेहद शांत होता है. हेमकुंड का सफर काफी मुश्किल है. यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को बर्फीले रास्तों को पार करना होता है. हेमकुंड साहिब धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के अलावा प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ स्थल है. यहां आपको हिम श्रृखलाओं, वन्यजीव, जलप्रपात समेत अन्य नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं.

Hemkund Sahib
हेमकुंड साहिब में बर्फबारी के बाद का नजारा
ये भी पढ़ेंः श्रद्धालुओं के लिए खुले हेमकुंड साहिब-लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट, पहले दिन 2000 यात्री बने पावन पल के साक्षी

लोकपाल लक्ष्मण का मंदिर भी मौजूदः हेमकुंड साहिब में रोजाना आराधना, कीर्तन और धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. गुरु पर्व, बैसाखी और दिवाली के मौके पर यहां पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है. हेमकुंड साहिब न केवल सिखों के लिए महत्त्वपूर्ण है, बल्कि हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए भी आध्यात्मिकता स्थल है. क्योंकि, गुरुद्वारे के पास ही लोकपाल लक्ष्मण जी का मंदिर भी है.

Hemkund Sahib
यात्रा के लिए श्रद्धालुओं में दिखा खासा उत्साह

कैसे पहुंचे हेमकुंड साहिबः हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए हरिद्वार से ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे से गोविंदघाट जाना होगा. यहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को पांडुकेश्वर से दो किलोमीटर पहले गोविंदघाट में उतरना पड़ेगा. गोविंदघाट से हेमकुंड के लिए करीब 20 किलोमीटर से ज्यादा पैदल यात्रा करनी पड़ती है.

गोविंदघाट अलकनंदा नदी के किनारे मौजूद है. गोविंदघाट से खड़ी चढ़ाई पड़ती है. गोविंदघाट पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को झूलते पुल के जरिए अलकनंदा नदी को पार करनी होगी. यहां से आगे पुलना गांव आता है. इसके बाद की चढ़ाई और कठिन हो जाती है. क्योंकि, रास्ता काफी पथरीला है. इसके बाद घांघरिया बेस कैंप आता है. यहां से हेमकुंड साहिब की दूरी करीब 7 किलोमीटर रह जाती है.

देहरादून (उत्तराखंड): सिखों के पवित्र तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं. हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में करीब 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. मान्यता है कि यहां पर गुरु गोविंद सिंह ने दशम ग्रंथ लिखा था. जो सिखों के दसवें गुरु थे. यहां हर साल लाखों की संख्या में सिख तीर्थ यात्री दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

Hemkund Sahib
सिखों का पवित्र तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब

कैसे पड़ा हेमकुंड नाम? हिमालय की गोद में हेमकुंड साहिब बसा है. इसके चारों ओर पत्थरीले पहाड़ और बर्फ से ढकी चोटियों देखने को मिलती है. अब जानते हैं कि हेमकुंड साहिब का नाम कैसे पड़ा? दरअसल, हेमकुंड संस्कृत शब्द है. जिसका मतलब होता बर्फ का कुंड होता है. यही वजह है कि इस पवित्र स्थान का नाम हेमकुंड पड़ा. हेमकुंड साहिब में झील के किनारे सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है. यहां साल में 7 से 8 महीने बर्फ की परत जमी रहती है.

Hemkund Sahib
हेमकुंड साहिब का खूबसूरत नजारा

बर्फीली चोटियों से घिरे होने की वजह से हेमकुंड का वातावरण बेहद शांत होता है. हेमकुंड का सफर काफी मुश्किल है. यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को बर्फीले रास्तों को पार करना होता है. हेमकुंड साहिब धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के अलावा प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ स्थल है. यहां आपको हिम श्रृखलाओं, वन्यजीव, जलप्रपात समेत अन्य नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं.

Hemkund Sahib
हेमकुंड साहिब में बर्फबारी के बाद का नजारा
ये भी पढ़ेंः श्रद्धालुओं के लिए खुले हेमकुंड साहिब-लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट, पहले दिन 2000 यात्री बने पावन पल के साक्षी

लोकपाल लक्ष्मण का मंदिर भी मौजूदः हेमकुंड साहिब में रोजाना आराधना, कीर्तन और धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. गुरु पर्व, बैसाखी और दिवाली के मौके पर यहां पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है. हेमकुंड साहिब न केवल सिखों के लिए महत्त्वपूर्ण है, बल्कि हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए भी आध्यात्मिकता स्थल है. क्योंकि, गुरुद्वारे के पास ही लोकपाल लक्ष्मण जी का मंदिर भी है.

Hemkund Sahib
यात्रा के लिए श्रद्धालुओं में दिखा खासा उत्साह

कैसे पहुंचे हेमकुंड साहिबः हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए हरिद्वार से ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे से गोविंदघाट जाना होगा. यहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को पांडुकेश्वर से दो किलोमीटर पहले गोविंदघाट में उतरना पड़ेगा. गोविंदघाट से हेमकुंड के लिए करीब 20 किलोमीटर से ज्यादा पैदल यात्रा करनी पड़ती है.

गोविंदघाट अलकनंदा नदी के किनारे मौजूद है. गोविंदघाट से खड़ी चढ़ाई पड़ती है. गोविंदघाट पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को झूलते पुल के जरिए अलकनंदा नदी को पार करनी होगी. यहां से आगे पुलना गांव आता है. इसके बाद की चढ़ाई और कठिन हो जाती है. क्योंकि, रास्ता काफी पथरीला है. इसके बाद घांघरिया बेस कैंप आता है. यहां से हेमकुंड साहिब की दूरी करीब 7 किलोमीटर रह जाती है.

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