मुंबई : शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' (Saamana Editorial) में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (union minister Amit shah) को आड़े हाथों लिया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने पुणे के दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं को बूस्टर डोज दिया था, जिसके बाद महाराष्ट्र के नेताओं में जैसे जोश भर गया. सामना के संपादकीय में शिवसेना (Shivsena) ने कहा कि महाराष्ट्र के नेता अब राष्ट्रपति शासन लागू करने की भाषा बोलने लगे हैं. यहा पर शिवसेना को चेतावनी और चुनौतियां देने से बेहतर है कि पूर्वोत्तर राज्यों में गृहमंत्री विशेष ध्यान दें.
उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र में शिवसेना (ShivSena in Maharashtra) को चुनौती देने का बयान देने वाले केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में भी बड़ी-बड़ी बातें कहीं थीं. लेकिन कल के कोलकाता नगर निगम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा.
सामना के संपादकीय में शिवसेना ने दावा किया है कि भाजपा चाहे फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की सोचे, लेकिन अगले 25 साल तक सूबे में भाजपा की सरकार नहीं बनेगी.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं की हताशा समझी जा सकती है, लेकिन हैरानी तब होती है जब देश के गृहमंत्री उसी निराशा में आकर बोलने लगते हैं. महाराष्ट्र सरकार को संकट में डालने का केंद्रीय गृह मंत्रालय एक भी मौका नहीं छोड़ता है. महाराष्ट्र में 170 विधायकों वाली सरकार की सिफारिशों को राज्यपाल स्वीकार नहीं कर रहे हैं. राज्यपाल केवल गृहमंत्री के आदेश पर काम करते हैं.
शिवसेना ने कहा, ''शिवसेना चुनौतियों से खेलते हुए और उनको मात देकर बड़ी हुई है. जब कोई भारतीय जनता पार्टी की उंगली पकड़ने को तैयार नहीं था, तब शिवसेना ही थी, जिसने उन्हें उस अकेलेपन से बाहर निकाला था. लेकिन लगता है शाह हाल के घटनाक्रम को भूल गए हैं. वर्ष 2014 में जब वे खुद अध्यक्ष थे, तब उन्होंने हिंदुत्ववादी शिवसेना से नाता तोड़ लिया था. उस वक्त, शिवसेना अकेले ही लड़ी थी. शिवसेना की आदत है कि वह जान-बूझकर भिड़नेवालों को छोड़ती नहीं है और लड़ने के लिए शिवसेना को जांच एजेंसियों का सहारा नहीं लेना पड़ता है. शिवसेना के हाथ में सत्य का बघनख है. इसका अनुभव समय-समय पर देश के कई लोगों ने लिया है.''