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Garhwal University के वैज्ञानिकों के हाथ लगी बड़ी सफलता, खोज निकाला 5 करोड़ 20 लाख साल पुराना चींटी का जीवाश्म

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Published : Feb 25, 2023, 5:26 PM IST

Updated : Feb 25, 2023, 6:36 PM IST

राजस्थान में बीकानेर के खादान से गढ़वाल केन्द्रीय विवि के वैज्ञानिकों ने 5 करोड़ 20 लाख साल पुराना चींटी का जीवाश्म खोज निकाला है. वैज्ञानिकों को यह जीवाश्म लार्वा के रूप में मिला है. अब वैज्ञानिक इस चींटी के लार्वा का अध्ययन करेंगे. जिससे वैज्ञानिकों को भविष्य में नई खोज करने में कामयाबी मिलेगी.

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5 करोड़ 20 लाख साल पुराना चींटी का जीवाश्म
5 करोड़ 20 लाख साल पुराना चींटी का जीवाश्म

उत्तराखंड/श्रीनगर: हेमवती नंदन गढ़वाल केन्द्रीय विवि के वैज्ञानिकों के हाथ बड़ी सफलता हाथ लगी है. गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने दुनिया मे पहली बार चींटी का 5 करोड़ 20 लाख वर्ष पुराना जीवाश्म खोज निकाला है. वैज्ञानिकों को ये जीवाश्म राजस्थान के बीकानेर की खदानों से प्राप्त हुआ है. ये जीवाश्म वैज्ञानिकों को लार्वा के रूप में मिला है. ये पहली बार हुआ है कि किसी चींटी का इतना पुराना लार्वा वैज्ञानिक के हाथ लगा हो. अब वैज्ञानिक इस लार्वा का अध्ययन अब मिलने वाली चीटियों से करेंगे और उनके क्रमिक विकास के बारे में डीप स्टडी करेंगे. जिससे भविष्य की नई खोजों को करने में भी वैज्ञानिकों को सफलता मिल सकेगी.

गढ़वाल विवि के पीएचडी स्कॉलर डॉक्टर रमन पटेल, विवि में प्रोफेसर डॉक्टर राजेन्द्र राणा की निगरानी में जीवाश्मों अध्ययन कर रहे थे. तभी उन्हें ये चींटी का लार्वा बीकानेर की भूरा की खदानों में मिला. जिसके अध्ययन के लिए रूस के वैज्ञानिकों की भी सहायता ली गयी. मिले लार्वा का साइज 2 एमएम के बराबर है, जो फ्रेश वाटर में खोजा गया, पहला जीवाश्म बताया जा रहा है. इससे पहले ताजा पानी में कभी भी लार्वा नहीं मिले हैं.

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चींटी के लार्वा का जीवाश्म

विश्व भर में भी चींटी के फोसिल जर्मनी और म्यांमार में मिले है, लेकिन चींटी के क्रमिक विकास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला लार्वा पहली बार डिटेक्ट किया गया है. वैज्ञानिकों ने बताया कि ये इल्मीडी फैमिली का चींटी है. जिसकी दो फेमिली ही पृथ्वी में निवास करती है.

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5 करोड़ 20 लाख साल पुराना चींटी का जीवाश्म
ये भी पढ़ें: Uttarakhand Forest Fire: मौसम की बेरुखी से उत्तराखंड पर मंडरा रहा वनाग्नि का खतरा, केंद्र सरकार से मिलेगी विशेष राहत

गढ़वाल विश्वविद्यालय के जियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर राजेन्द्र राणा ने बताया ये पहली बार हुआ है कि चींटी का लार्वा मिला हो, जो 5 करोड़ 20 लाख वर्ष पुराना है. ये लार्वा चट्टान के ऊपर मिला, जिसे सुरक्षित कर दिया गया है. उन्होंने बताया इसका अध्ययन किया जा रहा है. जीवाश्म की लंबाई 2 mm की हैं. ये जीवाश्म चींटी के क्रमिक विकास के चक्र को समझने में मददगार साबित होगा. लंबाई की दृष्टि से चींटी ओर मिले जीवाश्म के लार्वा में कोई अंतर अंतर नही है, लेकिन पैरों की बनावट में अंतर देखा गया है. मिले लार्वा के पैर बड़े दिखाई पड़ रहे है, जो रोचक है.

5 करोड़ 20 लाख साल पुराना चींटी का जीवाश्म

उत्तराखंड/श्रीनगर: हेमवती नंदन गढ़वाल केन्द्रीय विवि के वैज्ञानिकों के हाथ बड़ी सफलता हाथ लगी है. गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने दुनिया मे पहली बार चींटी का 5 करोड़ 20 लाख वर्ष पुराना जीवाश्म खोज निकाला है. वैज्ञानिकों को ये जीवाश्म राजस्थान के बीकानेर की खदानों से प्राप्त हुआ है. ये जीवाश्म वैज्ञानिकों को लार्वा के रूप में मिला है. ये पहली बार हुआ है कि किसी चींटी का इतना पुराना लार्वा वैज्ञानिक के हाथ लगा हो. अब वैज्ञानिक इस लार्वा का अध्ययन अब मिलने वाली चीटियों से करेंगे और उनके क्रमिक विकास के बारे में डीप स्टडी करेंगे. जिससे भविष्य की नई खोजों को करने में भी वैज्ञानिकों को सफलता मिल सकेगी.

गढ़वाल विवि के पीएचडी स्कॉलर डॉक्टर रमन पटेल, विवि में प्रोफेसर डॉक्टर राजेन्द्र राणा की निगरानी में जीवाश्मों अध्ययन कर रहे थे. तभी उन्हें ये चींटी का लार्वा बीकानेर की भूरा की खदानों में मिला. जिसके अध्ययन के लिए रूस के वैज्ञानिकों की भी सहायता ली गयी. मिले लार्वा का साइज 2 एमएम के बराबर है, जो फ्रेश वाटर में खोजा गया, पहला जीवाश्म बताया जा रहा है. इससे पहले ताजा पानी में कभी भी लार्वा नहीं मिले हैं.

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चींटी के लार्वा का जीवाश्म

विश्व भर में भी चींटी के फोसिल जर्मनी और म्यांमार में मिले है, लेकिन चींटी के क्रमिक विकास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला लार्वा पहली बार डिटेक्ट किया गया है. वैज्ञानिकों ने बताया कि ये इल्मीडी फैमिली का चींटी है. जिसकी दो फेमिली ही पृथ्वी में निवास करती है.

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ये भी पढ़ें: Uttarakhand Forest Fire: मौसम की बेरुखी से उत्तराखंड पर मंडरा रहा वनाग्नि का खतरा, केंद्र सरकार से मिलेगी विशेष राहत

गढ़वाल विश्वविद्यालय के जियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर राजेन्द्र राणा ने बताया ये पहली बार हुआ है कि चींटी का लार्वा मिला हो, जो 5 करोड़ 20 लाख वर्ष पुराना है. ये लार्वा चट्टान के ऊपर मिला, जिसे सुरक्षित कर दिया गया है. उन्होंने बताया इसका अध्ययन किया जा रहा है. जीवाश्म की लंबाई 2 mm की हैं. ये जीवाश्म चींटी के क्रमिक विकास के चक्र को समझने में मददगार साबित होगा. लंबाई की दृष्टि से चींटी ओर मिले जीवाश्म के लार्वा में कोई अंतर अंतर नही है, लेकिन पैरों की बनावट में अंतर देखा गया है. मिले लार्वा के पैर बड़े दिखाई पड़ रहे है, जो रोचक है.

Last Updated : Feb 25, 2023, 6:36 PM IST
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