देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड सहित देश के हिमालयी राज्यों में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं को लेकर पूरी दुनिया भर के शोधकर्ता एक मंच पर आएंगे. दुनिया भर की तकनीक और शोध से मिलकर कैसे इन आपदाओं का न्यूनीकरण किया, जाए इस पर विचार विमर्श करेंगे. 4 अगस्त को देहरादून में पहली कॉन्फ्रेंस होगी.
उत्तराखंड में जुटेंगे 100 देशों के वैज्ञानिक: जल्द ही उत्तराखंड में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा देशों के शोधकर्ता वैज्ञानिक और प्रतिनिधि जुटेंगे. ये विशेषज्ञ हिमालयन क्लाइमेट के साथ-साथ विश्व में मौजूद ऐसे और इकोसिस्टम वाले ज्योग्राफिकल बसावट वाली जगहों पर कैसे आपदाओं के प्रभाव को कम किया जाए, इस पर चर्चा करेंगे. कैसे तकनीक और शोध के जरिए नुकसान कम से कम किया जा सकता है, इस पर मंथन करेंगे. प्राकृतिक आपदाओं से मिलकर लड़ने के लिए टेक्नोलॉजी को शेयर किया जा सकता है. एक दूसरे के तरीकों को साझा किया जा सकता है. क्योंकि यह मानव जीवन को बचाने का एक सामूहिक प्रयास है.
4 अगस्त को होगी पहली कॉन्फ्रेंस: इंटरनेशनल डिजास्टर सोसायटी (International Disaster Society), यूएसडीएमए (Uttarakhand State Disaster Management Authority) और यूकोस्ट (Uttarakhand State Council for Science And Technology) मिलकर उत्तराखंड में इस कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहे हैं. इस कार्यक्रम कोऑर्डिनेट कर रहे उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद यूकोस्ट के DG डॉ दुर्गेश पंत ने बताया कि इस कार्यक्रम की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा इस कार्यक्रम का पोस्टर लॉन्च किया गया है. वहीं इस कार्यक्रम से पहले देश भर के राज्यों में इस कार्यक्रम से संबंधित कॉन्फ्रेंसेस आयोजित की जाएंगी, जिसके लिए उत्तराखंड में पहली कॉन्फ्रेंस 4 अगस्त को आयोजित की जानी है.
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जापान सहित डिजास्टर मैनेजमेंट में माहिर देशों की तकनीक होगी साझा: यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश कुमार पंत ने बताया कि 28 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच होने वाले इस बड़े आयोजन में दुनिया भर के उन देशों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है, जिन देशों ने पिछले लंबे समय में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में महारत हासिल की है. प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने और आपदाओं के बीच सुरक्षित रहने में पूरी दुनिया में जापान की अपनी एक अलग मिसाल है. वहीं इस कार्यक्रम में जापान की तमाम तकनीक के अलावा दुनिया भर के ऐसे देश जो कि खासतौर से हिमालयन क्लाइमेट से मैच खाते हैं, जहां पर इस तरह की आपदाएं आती हैं और इन आपदाओं से लड़ने और नुकसान को कम करने के लिए तकनीकी के साथ-साथ तमाम प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जाता है, उन सभी विषयों पर इस कॉन्फ्रेंस में चर्चा होगी.
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