ETV Bharat / bharat

छात्रों से बकाया राशि वसूलने के लिए कानून के मुताबिक कार्रवाई कर सकते हैं स्कूल : सुप्रीम कोर्ट

author img

By

Published : Oct 8, 2021, 4:39 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन को डिफॉल्ट घोषित किए गए छात्रों से बकाया शुल्क की वसूली के लिए कानून के अनुसार उचित कार्रवाई शुरू करने की अनुमति दे दी है.

schools
schools

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों को फीस का भुगतान न करने के कारण किसी भी छात्र को कक्षाओं में शामिल होने से रोकने के अपने आदेश के स्पष्टीकरण की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन को डिफॉल्ट घोषित किए गए छात्रों से बकाया शुल्क की वसूली के लिए कानून के अनुसार उचित कार्रवाई शुरू करने की अनुमति दी.

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने माता-पिता या आश्रित द्वारा किए गए अनुरोधों पर विचार करने को स्कूल प्रबंधन के लिए खुला छोड़ दिया है, जो उचित कारणों के लिए कुछ रियायत की मांग कर रहे हैं.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तीन मई 2021 को जारी किए गए निर्देशों में स्कूलों को उन छात्रों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से नहीं रोका दिया था, जो निर्धारित व्यवस्था के अनुसार किश्तों का भुगतान करने में विफल रहे.

वर्तमान आवेदन प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन द्वारा दायर किया गया है, जिसने सीबीएसई स्कूलों को केवल 70% और राज्य बोर्ड के स्कूलों को वार्षिक स्कूल शुल्क का केवल 60% एकत्र करने की अनुमति दी थी.

बता दें कि मई में न्यायमूर्ति खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच ने ओवरहेड्स और परिचालन लागत के कारण बचत के लिए 15% की कटौती के बाद स्कूलों को वार्षिक ट्यूशन फीस जमा करने की अनुमति दी थी. इस दौरान कोर्ट ने फीस के भुगतान के लिए छह मासिक किश्तों की अनुमति दी थी.

पढ़ें - SC ने NCB से पूछा- अगर आप लोगों को सालों तक जेल में डाल रहे हैं तो मुकदमे की क्या जरूरत?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के माध्यम से अब स्पष्ट किया है कि अपने पहले के फैसले में दिए गए निर्देश की भावना संबंधित माता-पिता / आश्रित को किश्तों के माध्यम से निर्दिष्ट शुल्क का भुगतान करने के लिए समय देना था, और उससे निर्णय में माता-पिता या आश्रित को निर्दिष्ट राशि का भुगतान करने के दायित्व से किसी भी तरह से बाहर नहीं किया है.

बेंच के मुताबिक पहले के फैसले में उल्लिखित किश्तों के भुगतान की अंतिम तिथि पहले ही समाप्त हो चुकी है और इसके बावजूद कुछ माता-पिता ऐसे हैं जिन पर अभी भी बकाया हैं और डिफॉल्ट कर चुके हैं.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों को फीस का भुगतान न करने के कारण किसी भी छात्र को कक्षाओं में शामिल होने से रोकने के अपने आदेश के स्पष्टीकरण की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन को डिफॉल्ट घोषित किए गए छात्रों से बकाया शुल्क की वसूली के लिए कानून के अनुसार उचित कार्रवाई शुरू करने की अनुमति दी.

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने माता-पिता या आश्रित द्वारा किए गए अनुरोधों पर विचार करने को स्कूल प्रबंधन के लिए खुला छोड़ दिया है, जो उचित कारणों के लिए कुछ रियायत की मांग कर रहे हैं.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तीन मई 2021 को जारी किए गए निर्देशों में स्कूलों को उन छात्रों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से नहीं रोका दिया था, जो निर्धारित व्यवस्था के अनुसार किश्तों का भुगतान करने में विफल रहे.

वर्तमान आवेदन प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन द्वारा दायर किया गया है, जिसने सीबीएसई स्कूलों को केवल 70% और राज्य बोर्ड के स्कूलों को वार्षिक स्कूल शुल्क का केवल 60% एकत्र करने की अनुमति दी थी.

बता दें कि मई में न्यायमूर्ति खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच ने ओवरहेड्स और परिचालन लागत के कारण बचत के लिए 15% की कटौती के बाद स्कूलों को वार्षिक ट्यूशन फीस जमा करने की अनुमति दी थी. इस दौरान कोर्ट ने फीस के भुगतान के लिए छह मासिक किश्तों की अनुमति दी थी.

पढ़ें - SC ने NCB से पूछा- अगर आप लोगों को सालों तक जेल में डाल रहे हैं तो मुकदमे की क्या जरूरत?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के माध्यम से अब स्पष्ट किया है कि अपने पहले के फैसले में दिए गए निर्देश की भावना संबंधित माता-पिता / आश्रित को किश्तों के माध्यम से निर्दिष्ट शुल्क का भुगतान करने के लिए समय देना था, और उससे निर्णय में माता-पिता या आश्रित को निर्दिष्ट राशि का भुगतान करने के दायित्व से किसी भी तरह से बाहर नहीं किया है.

बेंच के मुताबिक पहले के फैसले में उल्लिखित किश्तों के भुगतान की अंतिम तिथि पहले ही समाप्त हो चुकी है और इसके बावजूद कुछ माता-पिता ऐसे हैं जिन पर अभी भी बकाया हैं और डिफॉल्ट कर चुके हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.