नई दिल्ली: किसानों के मुद्दे पर बना 350 से ज्यादा किसान संगठनों का साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा में अंतर्कलह के कारण कई मुद्दों पर काम होने में देरी हो रही है. 8 जून को संयुक्त किसान मोर्चा की एक बड़ी बैठक दिल्ली में होनी थी. लेकिन इसे एक बार फिर से स्थगित कर दिया गया है. इस बात करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े एक वरिष्ठ किसान नेता ने बताया कि बाकी सभी राज्य के किसान संगठन निर्विवाद रूप से संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व के साथ खड़े हैं लेकिन पंजाब के कुछ किसान संगठनों ने आगे के कार्यक्रम के सामने अवरोध खड़ा कर दिया है. ये वही किसान संगठन है जिन्होंने किसान आंदोलन के स्थगित होने के बाद राजनीतिक पार्टी बना कर पंजाब विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई थी. चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद अब एक बार वह संगठन फिर संयुक्त किसान मोर्चा में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहते हैं.
संयुक्त समाज मोर्चा के नाम से राजनीतिक पार्टी बनाने वाले पंजाब के ऐसे 16 किसान संगठनों को संयुक्त किसान मोर्चा ने राजनीतिक होने के कारण अलग कर दिया था. लेकिन चुनाव बाद इन सभी किसान संगठनों ने फिर से मोर्चा में शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी. इसके बाद मार्च में संयुक्त किसान मोर्चा ने इन 16 संगठनों को नजरअंदाज करते हुए दिल्ली में एक बैठक भी बुलाई थी. लेकिन इन्हीं 16 संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने वहां पहुँच कर न केवल बैठक स्थल पर कब्जा जमा कर अपनी बैठक शुरू की, बल्कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को साफ चेतावनी दे कर उन्हें मोर्चा में शामिल करने को भी कहा. बाद में संयुक्त किसान मोर्चा ने विवादों को सुलझा कर प्रतिबंधित संगठनों को वापस लेने पर चर्चा की बात भी कही थी. हालांकि इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल दो बार पंजाब गया और किसान संगठनों के साथ लंबी चर्चा की. लेकिन सूत्रों के अनुसार कुछ किसान संगठन अपनी शर्तों पर अड़े रहे और इस तरह बड़े किसान नेताओं के बीच सहमति नहीं बन सकी.
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अब संयुक्त किसान मोर्चा असमंजस की स्थिति में है. पहले पंजाब के किसान संगठनों को साथ मिला कर साझा बैठक मई के आखिरी सप्ताह में तय की गई थी जिसे बाद में 8 अगस्त कर दिया गया था. लेकिन कोई आम सहमति नहीं बन पाने के कारण अब इसे भी स्थगित कर दिया है. वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि पंजाब के कुछ किसान संगठन केवल अपनी शर्तों पर ही आंदोलन चलाना चाहते हैं जो कि संभव नहीं है. सरकार की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा से संपर्क किया गया था और मोर्चा की तरफ से एमएसपी पर कमेटी के गठन के लिए तीन प्रतिनिधियों के नाम भेजने को कहा गया था. लेकिन इसी अंतर्कलह के कारण न तो संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हो पा रही है और न ही तीन नाम तय कर सरकार को भेजा जा पा रहा है. ऐसे में सरकार को भी एक बहाना मिल गया है कि वह एमएसपी गारंटी के मुद्दे को और टालती रहे.