ETV Bharat / bharat

समलैंगिक विवाह से संबंधी समीक्षा याचिकाओं पर SC 28 नवंबर को करेगा विचार - समीक्षा याचिका पर एससी

समलैंगिक जोड़ों को कानूनी मान्यता से संविधान पीठ के इनकार के बाद सुुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिकाएं दायर की गई थीं. शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर 28 नवंबर को विचार करेगा. same sex marriage, SC Consider review petitions, SC News

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 23, 2023, 12:21 PM IST

Updated : Nov 23, 2023, 12:35 PM IST

नई दिल्ली : समलैंगिक जोड़ों को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने वाली संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 28 नवंबर को विचार करेगा. याचिकाकर्ताओं के वकील ने शीर्ष अदालत से ओपन कोर्ट में सुनवाई की अनुमति देने का आग्रह किया है. एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया.

जानकारी के मुताबिक, समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने वाले फैसले की समीक्षा का अनुरोध करने संबंधी याचिका का ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए गुरुवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष उल्लेख किया गया. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के इन अभ्यावेदनों का संज्ञान लिया कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध कर रहे लोगों की समस्याओं के निपटारे के लिए खुली अदालत में सुनवाई की आवश्यकता है.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "मैंने (पुनरीक्षण) याचिका की अभी समीक्षा नहीं की है. मुझे इसे (उस संविधान पीठ के न्यायाधीशों में) वितरित करने दीजिए." रोहतगी ने कहा कि संविधान पीठ के सभी न्यायाधीशों का विचार है कि समलैंगिक व्यक्तियों के साथ भेदभाव होता है और इसलिए उन्हें भी राहत की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के पंजीयन के अनुसार, पुनरीक्षण याचिका 28 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.

बता दें कि एक याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत के 17 अक्टूबर के फैसले की समीक्षा का अनुरोध करते हुए नवंबर के पहले सप्ताह में याचिका दायर की थी. प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर चार अलग-अलग फैसले सुनाए थे. सभी पांचों न्यायाधीशों ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से सर्वसम्मति से इनकार कर दिया था और कहा था कि इस बारे में कानून बनाने का काम संसद का है. शीर्ष अदालत ने दो के मुकाबले तीन के बहुमत से यह फैसला दिया था कि समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने का अधिकार नहीं है.

पढ़ें : समलैंगिक विवाह पर 17 अक्टूबर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नई दिल्ली : समलैंगिक जोड़ों को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने वाली संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 28 नवंबर को विचार करेगा. याचिकाकर्ताओं के वकील ने शीर्ष अदालत से ओपन कोर्ट में सुनवाई की अनुमति देने का आग्रह किया है. एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया.

जानकारी के मुताबिक, समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने वाले फैसले की समीक्षा का अनुरोध करने संबंधी याचिका का ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए गुरुवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष उल्लेख किया गया. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के इन अभ्यावेदनों का संज्ञान लिया कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध कर रहे लोगों की समस्याओं के निपटारे के लिए खुली अदालत में सुनवाई की आवश्यकता है.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "मैंने (पुनरीक्षण) याचिका की अभी समीक्षा नहीं की है. मुझे इसे (उस संविधान पीठ के न्यायाधीशों में) वितरित करने दीजिए." रोहतगी ने कहा कि संविधान पीठ के सभी न्यायाधीशों का विचार है कि समलैंगिक व्यक्तियों के साथ भेदभाव होता है और इसलिए उन्हें भी राहत की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के पंजीयन के अनुसार, पुनरीक्षण याचिका 28 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.

बता दें कि एक याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत के 17 अक्टूबर के फैसले की समीक्षा का अनुरोध करते हुए नवंबर के पहले सप्ताह में याचिका दायर की थी. प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर चार अलग-अलग फैसले सुनाए थे. सभी पांचों न्यायाधीशों ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से सर्वसम्मति से इनकार कर दिया था और कहा था कि इस बारे में कानून बनाने का काम संसद का है. शीर्ष अदालत ने दो के मुकाबले तीन के बहुमत से यह फैसला दिया था कि समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने का अधिकार नहीं है.

पढ़ें : समलैंगिक विवाह पर 17 अक्टूबर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Last Updated : Nov 23, 2023, 12:35 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.