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भारत-चीन बॉर्डर के गांवों में महंगाई की मार, ₹130 किलो बिक रहा नमक

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इन दिनों जरूरी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के सीमांत गांवों जो चीन सीमा से लगे हैं वहां महंगाई बहुत बढ़ गई है. इसका कारण इन इलाकों को जोड़ने वाली सड़कों का क्षतिग्रस्त होने से बंद होना है. इन इलाकों के लोग महंगाई से त्रस्त हैं. महंगाई के हालात यह हैं कि नमक 130 रुपये किलो तो आटा 150 रुपये किलो बिक रहा है.

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Published : Oct 1, 2021, 8:24 PM IST

भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार
भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार

पिथौरागढ़ : भारत-चीन सीमा पर मौजूद माइग्रेशन वाले गांवों में महंगाई ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. हालात यह हैं कि लोगों को रोजमर्रा का जरूरी सामान लेने के लिए कई गुना कीमत चुकानी पड़ रही है. दरअसल, इन इलाकों को जोड़ने वाली सड़क और पैदल रास्ते बंद हैं. इस कारण ढुलान का खर्च अधिक आ रहा है, जो यहां महंगाई बढ़ने की प्रमुख वजह है. ऐसे में अगर सरकार और प्रशासन द्वारा सीमांत के इन गांवों में जल्द ही जरूरी सामान मुहैया नहीं कराया गया तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं.

भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार

130 रुपये किलो नमक
पिथौरागढ़ जिले के चीन सीमा पर बसे गांव में महंगाई ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. जिले के बुर्फु, लास्पा, रालम और लीलम सहित उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बसे दर्जनों गांवों में जरूरी सामान के दाम आठ गुना तक बढ़ गये हैं. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बसे इन गांवों में 20 रुपये किलो मिलने वाला नमक 130 तक मिल रहा है.

भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार
भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार

150 रुपये किलो बिक रहा आटा
यही हाल रोजमर्रा के अन्य जरूरी सामान का भी है. यहां चीनी और आटा 150 रुपये किलो बिक रहा है, तो सरसों का तेल 275 से 300 रुपये किलो तक मिल रहा है. मलका दाल 200 रुपये किलो है. मोटा चावल भी 150 रुपये किलो बिक रहा है. वहीं प्याज भी 125 रुपये किलो है. मुनस्यारी के उच्च हिमालयी इलाकों के साथ ही धारचूला की दारमा और व्यास घाटी में भी सड़कें बंद होने से जरूरी चीजों के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं.

यह भी पढ़ें- वैधानिक पद पर 20 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर बाबा केदारनाथ का आशीर्वाद लेने उत्तराखंड जाएंगे पीएम मोदी

स्थानीय विधायक हरीश धामी ने प्रशासन से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बसे इन गांवों के सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों में जरूरी सामान भेजने की मांग की है. विधायक धामी का कहना है कि अगर प्रशासन द्वारा सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों के जरिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों के गांवों में नमक और तेल जैसी रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान मुहैया करा दिया जाये तो इससे ग्रामीणों को राहत मिलेगी.

भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार
भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार

वहीं, जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने जिला पूर्ति अधिकारी और इन इलाकों के उप जिलाधिकारियों को उच्च हिमालयी इलाकों में जरूरी सामान की पूर्ति सुनिश्चित करवाने के साथ ही कालाबाजारी करने वालों पर कड़ा एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं.

सीमांत इलाकों में रहने वाले लोग सीमा के पहले प्रहरी भी कहलाते हैं. यह लोग 6 महीने तक उच्च हिमालयी इलाकों में खेती और पशुपालन के लिए जाते हैं, जबकि सर्दियों में बर्फबारी से बचने के लिए निचले इलाकों में आते हैं. मगर इस बार उच्च हिमालयी इलाकों को जोड़ने वाले मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हैं, यही नहीं पैदल रास्ते भी जमींदोज हैं. इस कारण इन इलाकों तक जरूरी सामान पहुंचाने में ढुलाई का खूब खर्च आ रहा है. इस कारण रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. ऐसे में महंगाई से त्रस्त सीमांत के लोगों को सरकार और जिला प्रशासन ने अगर जल्द ही राहत नहीं पहुंचाई तो इनके लिए यहां रहकर जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा.

पिथौरागढ़ : भारत-चीन सीमा पर मौजूद माइग्रेशन वाले गांवों में महंगाई ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. हालात यह हैं कि लोगों को रोजमर्रा का जरूरी सामान लेने के लिए कई गुना कीमत चुकानी पड़ रही है. दरअसल, इन इलाकों को जोड़ने वाली सड़क और पैदल रास्ते बंद हैं. इस कारण ढुलान का खर्च अधिक आ रहा है, जो यहां महंगाई बढ़ने की प्रमुख वजह है. ऐसे में अगर सरकार और प्रशासन द्वारा सीमांत के इन गांवों में जल्द ही जरूरी सामान मुहैया नहीं कराया गया तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं.

भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार

130 रुपये किलो नमक
पिथौरागढ़ जिले के चीन सीमा पर बसे गांव में महंगाई ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. जिले के बुर्फु, लास्पा, रालम और लीलम सहित उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बसे दर्जनों गांवों में जरूरी सामान के दाम आठ गुना तक बढ़ गये हैं. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बसे इन गांवों में 20 रुपये किलो मिलने वाला नमक 130 तक मिल रहा है.

भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार
भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार

150 रुपये किलो बिक रहा आटा
यही हाल रोजमर्रा के अन्य जरूरी सामान का भी है. यहां चीनी और आटा 150 रुपये किलो बिक रहा है, तो सरसों का तेल 275 से 300 रुपये किलो तक मिल रहा है. मलका दाल 200 रुपये किलो है. मोटा चावल भी 150 रुपये किलो बिक रहा है. वहीं प्याज भी 125 रुपये किलो है. मुनस्यारी के उच्च हिमालयी इलाकों के साथ ही धारचूला की दारमा और व्यास घाटी में भी सड़कें बंद होने से जरूरी चीजों के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं.

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स्थानीय विधायक हरीश धामी ने प्रशासन से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बसे इन गांवों के सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों में जरूरी सामान भेजने की मांग की है. विधायक धामी का कहना है कि अगर प्रशासन द्वारा सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों के जरिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों के गांवों में नमक और तेल जैसी रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान मुहैया करा दिया जाये तो इससे ग्रामीणों को राहत मिलेगी.

भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार
भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार

वहीं, जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने जिला पूर्ति अधिकारी और इन इलाकों के उप जिलाधिकारियों को उच्च हिमालयी इलाकों में जरूरी सामान की पूर्ति सुनिश्चित करवाने के साथ ही कालाबाजारी करने वालों पर कड़ा एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं.

सीमांत इलाकों में रहने वाले लोग सीमा के पहले प्रहरी भी कहलाते हैं. यह लोग 6 महीने तक उच्च हिमालयी इलाकों में खेती और पशुपालन के लिए जाते हैं, जबकि सर्दियों में बर्फबारी से बचने के लिए निचले इलाकों में आते हैं. मगर इस बार उच्च हिमालयी इलाकों को जोड़ने वाले मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हैं, यही नहीं पैदल रास्ते भी जमींदोज हैं. इस कारण इन इलाकों तक जरूरी सामान पहुंचाने में ढुलाई का खूब खर्च आ रहा है. इस कारण रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. ऐसे में महंगाई से त्रस्त सीमांत के लोगों को सरकार और जिला प्रशासन ने अगर जल्द ही राहत नहीं पहुंचाई तो इनके लिए यहां रहकर जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा.

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