देहरादून : आध्यात्मिक सद्गुरु केदारनाथ यात्रा पर निकले हैं. थोड़ी देर के लिए उत्तराखंड के श्रीनगर में रुके और पत्रकारों से बातचीत के दौरान सद्गुरु ने कहा कि उत्तराखंड धरती ईश्वर की अनमोल धरोहर है. भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार उत्तराखंड जरूर आना चाहिए.
उत्तराखंड की यात्रा है जरूरी
सद्गुरु ने कहा कि जो व्यक्ति जीवन में एक बार भी उत्तराखंड नहीं आता है, समझो उसका जीवन व्यर्थ है. उन्होंने कहा कि वो देशवासियों को यही संदेश देने के लिए उत्तराखंड आए हुए हैं. सद्गुरु ने अपने भक्तों के साथ मुलाकात भी की. उन्हें अपना आशीर्वाद दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें उत्तराखंड का मौसम, यहां की प्रकृति बहुत अच्छी लग रही है. सद्गुरु ने बताया कि वे केदारनाथ की यात्रा पर जा रहे हैं. इसके पश्चात वे बदरीनाथ की यात्रा पर जाएंगे. इस दौरान सद्गुरु को पहले देवप्रयाग पुलिस द्वारा सुरक्षा प्रदान की गई.
उसके बाद कीर्तिनगर, श्रीनगर पुलिस ने भी उन्हें पूरी सुरक्षा दी. सद्गुरु जग्गी वासुदेव अपनी पसंदीदा बाइक पर ही राइड करते हुए नजर आए. इस दौरान उनके आराम के लिए करोड़ों रुपये की लागत की वैनिटी वैन भी उनके साथ चल रही थी. करीब तीन साल पहले बाबा रामदेव सद्गुरु से मिलने उनके ईशा फाउंडेशन कोयंबटूर गए थे.
कौन हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव
जग्गी वासुदेव का जन्म 5 सितम्बर 1957 को कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ. उनके पिता एक डॉक्टर थे. इन्हें 'सद्गुरु' भी कहा जाता है. ये ईशा फाउंडेशन नामक लाभ रहित मानव सेवी संस्थान के संस्थापक हैं. ईशा फाउंडेशन भारत सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग कार्यक्रम सिखाता है. साथ ही साथ कई सामाजिक और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी काम करता है.
जग्गी वासुदेव ने 8 भाषाओं में 100 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं. सद्गुरु का आश्रम कोयंबटूर शहर से करीब 40 किमी दूर एक पहाड़ी पर स्थित है. इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य योग का प्रचार-प्रसार कर उसे लोगों के लिए सुलभ बनाना है. सद्गुरु के अनुयायी उन्हें एक ऐसा व्यक्ति मानते हैं जो लोगों के जीवन में प्रकाश भरने का और उनको नई दिशा दिखाने का काम करता है.
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