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Joshimath Sinking: रैणी आपदा हो सकता है जोशीमठ भू-धंसाव का बड़ा कारण? - Raini disaster

साल 2021 में जोशीमठ क्षेत्र में आई रैंणी आपदा (chamoli rani disaster) भी इस इलाके में भू-धंसाव (Joshimath landslide due to Raini disaster) की बड़ी वजह है. रैणी आपदा के बाद इस इलाके की प्रेशर झेलने की क्षमता भी कम हो गई है. 2021 में ऋषिगंगा की बाढ़ ने जोशीमठ शहर की नीचे से काफी अधिक हिट किया था. जिसके कारण इसके दोनों छोरों पर कटान हुआ. जिसके कारण ये शहर धीरे-धीरे नीचे खिसकने लगा है.

Joshimath Sinking
रैणी आपदा हो सकता है जोशीमठ भू-धंसाव का बड़ा कारण
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Published : Jan 18, 2023, 8:59 PM IST

रैणी आपदा हो सकता है जोशीमठ भू-धंसाव का बड़ा कारण.

देहरादून: जोशीमठ में भू-धंसाव की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि जोशीमठ शहर के 849 मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं. करीब 167 मकान ऐसे हैं, जो अब रहने के लायक नहीं हैं. यानी, इन मकानों को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है. जोशीमठ शहर में लगातार बढ़ रहे भू-धंसाव की घटना के असल वजह को जानने के लिए वैज्ञानिकों की टीम लगातार सर्वे का काम कर रही है. वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2021 में रैणी क्षेत्र में आई आपदा की वजह से भी जोशीमठ शहर में भू-धंसाव की घटना को बल मिला है.

जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव (joshimath landslide) की घटना को लेकर राज्य सरकार और वैज्ञानिक चिंतित नजर आ रहे हैं. वर्तमान समय में तमाम संस्थानों के वैज्ञानिक सर्वे का काम कर रहे हैं. जिससे भू-धंसाव की असली वजह को जाना जा सके. सरकार वर्तमान समय में प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किए जाने पर जोर दे रही है.

लेकिन जोशीमठ शहर के भविष्य को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. बहरहाल, जोशीमठ में हो रहे भूधसाव के वजह को लेकर तमाम सवाल उठ चुके हैं, जिसमें मुख्य रूप से एनटीपीसी टनल समेत जोशीमठ में हुए विकास कार्यों के साथ ड्रेनेज सिस्टम का दुरुस्त न होना रहा है, लेकिन अभी तक भू-धंसाव के असली वजह क्या है, इसकी साइंटिफिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है.

पढे़ं- Joshimath Sinking: जोशीमठ में लगे 'NTPC Go Back' के पोस्टर

ऋषिगंगा की बाढ़ ने जोशीमठ क्षेत्र को किया था हिट: वाडिया से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल ने बताया जोशीमठ में भू-धंसाव होने के कई कारण हैं. डेमोग्राफिक स्थितियों के चलते पहले भी भू-धंसाव हो रहा था, लेकिन तब ये उतनी अधिक नहीं था. साल 2021 में ऋषिगंगा की बाढ़ ने जोशीमठ शहर की नीचे से काफी अधिक हिट किया था. जिसके चलते इस शहर से सर्फेस में हलचल बढ़ गई. साथ ही इस आपदा ने इस क्षेत्र को और अधिक मोबलाइज्ड कर दिया. जिसके चलते जहां भार ज्यादा है, वहां धंसाव होता जा रहा है.

रैणी आपदा के कारण प्रेशर झेलने की क्षमता हुई कम: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया किसी भी आपदा के लिए बहुत सारे फैक्टर एक साथ काम करते हैं. जिसमें नेचुरल फैक्टर, मानवजनित फैक्टर और क्लाइमेट इंड्यूस शामिल हैं. लिहाजा, जोशीमठ के नॉर्थ में जो अलकनंदा नदी है, उससे भी जोशीमठ को असर पड़ा है. दरअसल, साल 2021 में ऋषिगंगा में आई आपदा की वजह से अलकनंदा नदी के दोनों तरफ कटाव हुआ. साथ ही रैणी आपदा से कई फैक्टर इफेक्ट हुए जिसके चलते जोशीमठ क्षेत्र का स्ट्रेंथ घट गई. लिहाजा अभी तक जोशीमठ क्षेत्र जो प्रेशर झेल रहा था. अब उस क्षेत्र के प्रेशर झेलने की क्षमता और अधिक घट गई है. इसके वजह से भू-धंसाव जैसी घटना देखने को मिल रही है.

पढे़ं- Joshimath Sinking: जोशीमठ में लगे 'NTPC Go Back' के पोस्टर, अतुल सती ने ब्लास्टिंग को जिम्मेदार ठहराया

साल 2021 में आई थी रैणी आपदा: दरअसल, 7 फरवरी 2021 को तपोवन क्षेत्र में रैणी गांव के पास ऋषि गंगा में आए जल सैलाब ने भारी तबाही मचाई थी. हालांकि, इस आपदा के चलते ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना और एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना में कार्यरत 204 लोगों की मौत हो गई थी. कुल मिलाकर यह आपदा कई मायने में काफी नुकसान भरी साबित हुई थी. इससे ना सिर्फ जान का नुकसान हुआ था, बल्कि हजारों करोड़ रुपए का नुकसान भी हुआ.

इस आपदा की वजह से हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो गया था. साथ ही तपोवन परियोजना को भी काफी नुकसान पहुंचा था. ऋषिगंगा का जो मलबा था वो आगे धौलीगंगा में बढ़ा. जिससे तबाही का एक और रूप देखा गया. इसके बाद विष्णुप्रयाग में धौलीगंगा का मलबा अलकनंदा में मिल गया, लेकिन आगे बढ़ते हुए अलकनंदा का बहाव सामान्य होता गया. जिसके चलते धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों के रास्ते पहले से अधिक चौड़े हो गए.

रैंणी आपदा आने की वजह: चमोली जिले के रौंथी पर्वत से जो चट्टान और ग्लेशियर टूटी, वो रौंथी गदेरे पर गिरी. यह समुद्र तल से 3800 मीटर की ऊंचाई पर है. इस घटना से इतना तेज कंपन हुआ कि रौंथी पर्वत के दोनों छोर पर जमी ताजी बर्फ भी खिसकने लगी. जिसके चलते रौंथी पर्वत से टूटी चट्टान और ग्लेशियर के साथ ही ताजा बर्फ तेजी से नीचे आने लगी. यही नहीं, करीब 7 किलोमीटर नीचे मौजूद गदेरा, जो ऋषिगंगा नदी से मिलता है, वहां पूरा मलबा एकत्र हो गया. जिसके चलते नदी का प्रवाह रुक गया और फिर झील बनने लगी.

पढे़ं- Joshimath Sinking: NTPC ने कहा टनल के कारण नहीं हुआ भू धंसाव, ब्लास्टिंग से बनेगी सुरंग

यह पूरा घटनाक्रम कुछ ही मिनटों का था. इसके बाद करीब 8 घंटे तक झील का पानी बढ़ता रहा. जिसकी वजह से पानी का दबाव बढ़ा. सुबह करीब 10:30 बजे पानी पूरे मलबे के साथ रैणी गांव की तरफ बढ़ गया. जिसने इतनी बड़ी तबाही मचा दी. जलप्रलय ने धौलीगंगा नदी के बहाव को भी तेजी से पीछे धकेल दिया. मगर, धौलीगंगा नदी का पानी त्वरित रूप से वापस लौटा और जलप्रलय का हिस्सा बन गया.

रैणी आपदा हो सकता है जोशीमठ भू-धंसाव का बड़ा कारण.

देहरादून: जोशीमठ में भू-धंसाव की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि जोशीमठ शहर के 849 मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं. करीब 167 मकान ऐसे हैं, जो अब रहने के लायक नहीं हैं. यानी, इन मकानों को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है. जोशीमठ शहर में लगातार बढ़ रहे भू-धंसाव की घटना के असल वजह को जानने के लिए वैज्ञानिकों की टीम लगातार सर्वे का काम कर रही है. वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2021 में रैणी क्षेत्र में आई आपदा की वजह से भी जोशीमठ शहर में भू-धंसाव की घटना को बल मिला है.

जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव (joshimath landslide) की घटना को लेकर राज्य सरकार और वैज्ञानिक चिंतित नजर आ रहे हैं. वर्तमान समय में तमाम संस्थानों के वैज्ञानिक सर्वे का काम कर रहे हैं. जिससे भू-धंसाव की असली वजह को जाना जा सके. सरकार वर्तमान समय में प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किए जाने पर जोर दे रही है.

लेकिन जोशीमठ शहर के भविष्य को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. बहरहाल, जोशीमठ में हो रहे भूधसाव के वजह को लेकर तमाम सवाल उठ चुके हैं, जिसमें मुख्य रूप से एनटीपीसी टनल समेत जोशीमठ में हुए विकास कार्यों के साथ ड्रेनेज सिस्टम का दुरुस्त न होना रहा है, लेकिन अभी तक भू-धंसाव के असली वजह क्या है, इसकी साइंटिफिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है.

पढे़ं- Joshimath Sinking: जोशीमठ में लगे 'NTPC Go Back' के पोस्टर

ऋषिगंगा की बाढ़ ने जोशीमठ क्षेत्र को किया था हिट: वाडिया से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल ने बताया जोशीमठ में भू-धंसाव होने के कई कारण हैं. डेमोग्राफिक स्थितियों के चलते पहले भी भू-धंसाव हो रहा था, लेकिन तब ये उतनी अधिक नहीं था. साल 2021 में ऋषिगंगा की बाढ़ ने जोशीमठ शहर की नीचे से काफी अधिक हिट किया था. जिसके चलते इस शहर से सर्फेस में हलचल बढ़ गई. साथ ही इस आपदा ने इस क्षेत्र को और अधिक मोबलाइज्ड कर दिया. जिसके चलते जहां भार ज्यादा है, वहां धंसाव होता जा रहा है.

रैणी आपदा के कारण प्रेशर झेलने की क्षमता हुई कम: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया किसी भी आपदा के लिए बहुत सारे फैक्टर एक साथ काम करते हैं. जिसमें नेचुरल फैक्टर, मानवजनित फैक्टर और क्लाइमेट इंड्यूस शामिल हैं. लिहाजा, जोशीमठ के नॉर्थ में जो अलकनंदा नदी है, उससे भी जोशीमठ को असर पड़ा है. दरअसल, साल 2021 में ऋषिगंगा में आई आपदा की वजह से अलकनंदा नदी के दोनों तरफ कटाव हुआ. साथ ही रैणी आपदा से कई फैक्टर इफेक्ट हुए जिसके चलते जोशीमठ क्षेत्र का स्ट्रेंथ घट गई. लिहाजा अभी तक जोशीमठ क्षेत्र जो प्रेशर झेल रहा था. अब उस क्षेत्र के प्रेशर झेलने की क्षमता और अधिक घट गई है. इसके वजह से भू-धंसाव जैसी घटना देखने को मिल रही है.

पढे़ं- Joshimath Sinking: जोशीमठ में लगे 'NTPC Go Back' के पोस्टर, अतुल सती ने ब्लास्टिंग को जिम्मेदार ठहराया

साल 2021 में आई थी रैणी आपदा: दरअसल, 7 फरवरी 2021 को तपोवन क्षेत्र में रैणी गांव के पास ऋषि गंगा में आए जल सैलाब ने भारी तबाही मचाई थी. हालांकि, इस आपदा के चलते ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना और एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना में कार्यरत 204 लोगों की मौत हो गई थी. कुल मिलाकर यह आपदा कई मायने में काफी नुकसान भरी साबित हुई थी. इससे ना सिर्फ जान का नुकसान हुआ था, बल्कि हजारों करोड़ रुपए का नुकसान भी हुआ.

इस आपदा की वजह से हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो गया था. साथ ही तपोवन परियोजना को भी काफी नुकसान पहुंचा था. ऋषिगंगा का जो मलबा था वो आगे धौलीगंगा में बढ़ा. जिससे तबाही का एक और रूप देखा गया. इसके बाद विष्णुप्रयाग में धौलीगंगा का मलबा अलकनंदा में मिल गया, लेकिन आगे बढ़ते हुए अलकनंदा का बहाव सामान्य होता गया. जिसके चलते धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों के रास्ते पहले से अधिक चौड़े हो गए.

रैंणी आपदा आने की वजह: चमोली जिले के रौंथी पर्वत से जो चट्टान और ग्लेशियर टूटी, वो रौंथी गदेरे पर गिरी. यह समुद्र तल से 3800 मीटर की ऊंचाई पर है. इस घटना से इतना तेज कंपन हुआ कि रौंथी पर्वत के दोनों छोर पर जमी ताजी बर्फ भी खिसकने लगी. जिसके चलते रौंथी पर्वत से टूटी चट्टान और ग्लेशियर के साथ ही ताजा बर्फ तेजी से नीचे आने लगी. यही नहीं, करीब 7 किलोमीटर नीचे मौजूद गदेरा, जो ऋषिगंगा नदी से मिलता है, वहां पूरा मलबा एकत्र हो गया. जिसके चलते नदी का प्रवाह रुक गया और फिर झील बनने लगी.

पढे़ं- Joshimath Sinking: NTPC ने कहा टनल के कारण नहीं हुआ भू धंसाव, ब्लास्टिंग से बनेगी सुरंग

यह पूरा घटनाक्रम कुछ ही मिनटों का था. इसके बाद करीब 8 घंटे तक झील का पानी बढ़ता रहा. जिसकी वजह से पानी का दबाव बढ़ा. सुबह करीब 10:30 बजे पानी पूरे मलबे के साथ रैणी गांव की तरफ बढ़ गया. जिसने इतनी बड़ी तबाही मचा दी. जलप्रलय ने धौलीगंगा नदी के बहाव को भी तेजी से पीछे धकेल दिया. मगर, धौलीगंगा नदी का पानी त्वरित रूप से वापस लौटा और जलप्रलय का हिस्सा बन गया.

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