इंदौर। सरकार ने नकली दवाओं के खेल पर रोक लगाने के लिए एक नया नियम लाने का फैसला किया है. (QR Code on medicines) अब दवाइयों की पर्चियों पर भी QR Code लगेगा. सरकार ने दवाओं में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है. नकली दवाओं के कारोबार को देखते हुए QR कोड की व्यवस्था अनिवार्य होगी. इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने नॉटिफिकेशन जारी किया है. यह नियम 1 अगस्त, 2023 से अनिवार्य रूप से लागू हो जाएगा. (medicines real or fake) भारत सरकार ने नकली दवाओं पर नियंत्रण के लिए अब 300 तरह की दवाओं को क्यूआर कोडिंग के दायरे में लाने का फैसला किया है. लिहाजा अब असली एवं नकली दवा को क्यूआर एवं बार कोड स्कैन करके दवा की आसानी से पहचान की जा सकेगी. यह नियम लाने के लिए सरकार ने (Drug and Cosmetics Act 1940) में संशोधन किया है. इसके तहत दवा निर्माता कंपनियों को दवाओं पर QR कोड लगाना अनिवार्य होगा.
क्यूआर कोड से लाभ: एपीआई में क्यूआर कोड लगने से इस बात का पता सरलता से लगाया जा सकेगा कि, इसके निर्माण में गलत फॉर्मूला तो इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसके अलावा दवा के निर्माण में लगा कच्चा माल कहां से आया और दवा कहां जा रही है इसका भी पता क्यूआर कोड से लग सकेगा. इसकी मंजूरी ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने 2019 में दी थी. फार्मा इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि इस बदलाव का अनुसरण करना छोटे या मध्य आकार के व्यवसायियों के लिए मुश्किल होगा. उनका कहना है कि पैकेजिंग में यह बदलाव करना थोड़ा कठिन होगा. इसमें मेहनत और पैसा दोनों बहुत ज्यादा लगेगा. हालांकि, फार्मा कंपनियों का कहना है कि सिंगल क्यूआर सिस्टम हो जाना ज्यादा सुविधाजनक होगा. फिलहाल अगल-अलग विभागों से दवाओं की ट्रेसिंग होती है.
ड्रग माफिया पर लगेगी लगाम: देश में 156000 करोड़ के दवा व्यवसाय के बावजूद ड्रग माफिया एक ऐसे नेटवर्क को संचालित कर रहा है. जिसके जरिए प्रचलित दवाओं के नाम से ई फार्मेसी और ऑनलाइन माध्यम से नकली दवाएं बाजार में उतार कर मरीजों को उपलब्ध कराई जा रही हैं. हालांकि इसकी मात्रा कुल व्यवसाय का 1 फीसदी भी नहीं है, लेकिन फिर भी जन स्वास्थ्य की दृष्टि से नकली दवाएं बनाने वाले फार्मा गिरोह की गतिविधियां ध्वस्त करने के लिए भारत सरकार ने पहले चरण में 300 तरह की प्रमुख दवाओं में बारकोडिंग की व्यवस्था लागू करने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी किया है. इस नोटिफिकेशन के जरिए अब निर्धारित 300 दवाएं 1 अगस्त 2023 के बाद बिना बारकोडिंग की पैकिंग के साथ नहीं बिक सकेंगी. हालांकि अभी बिना बारकोडिंग वाली जो दवाएं बाजार में मौजूद हैं. वह निर्धारित दिनांक से पहले बेची जा सकेगी.
घटिया दवाओं के निर्माण पर लगेगा अंकुश: भारत सरकार के राज्य पत्र के अनुसार QR Code में विशिष्ट उत्पाद पहचान कोड दवा के पैकिंग पर रहेगा. इसमें दवा का सामान्य नाम ब्रांड का नाम निर्माता का नाम और पता भेज संख्या और निर्माण की तारीख तथा दवा की समाप्ति की तारीख और निर्माण लाइसेंस संख्या का उल्लेख करना होगा. ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रजिस्ट के महासचिव राजीव सिंघल के मुताबिक इस आदेश के जरिए भारत सरकार द्वारा नकली और घटिया दवाओं के निर्माण पर अंकुश लगाना है. यह ट्रेस और ट्रैक प्रणाली दुनिया के अन्य देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका जर्मनी रूस ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों में पहले से प्रचलित है. इस सूची में रखी जाने वाली दवाएं व्यापक रूप से कामन दवाएं होती हैं इसलिए रोगियों को वितरित करते समय उनकी प्रमाणिकता जरूरी होगी.
ऑनलाइन बिक्री बनी चुनौती: नशीले पदार्थों की ऑनलाइन बिक्री के कारण युवा पीढ़ी के लिए भी खतरे जैसी स्थिति बन रही है. अवैध ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर प्रभावी नियंत्रण नहीं होने के कारण ऐसी दवाएं जिन से नशा हो सकता है. उन्हें ऑनलाइन तरीके से खरीदे जाता है. इसलिए भी सरकार प्रचलित दबाव को बारकोडिंग के दायरे में ला रही है. इसके अलावा अब देश के 94000 केमिस्ट अपने एसोसिएशन के जरिए यह भी ध्यान रखेंगे की निर्धारित समय के बाद बाजार में बिना बारकोडिंग की दवाएं किसी भी हालत में ना बेची जा सके.
दवाइयों पर QR कोड जरूरी करने जा रही सरकार, असली-नकली की पहचान होगी आसान
इन ब्रांड्स को किया गया शामिल: खबरों की मानें तो नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने डोलो, सैरिडॉन, फैबीफ्लू, इकोस्प्रिन, लिम्सी, सुमो, कैलपोल, थाइरोनॉर्म, अनवांटेड 72 और कॉरेक्स सिरप जैसे बड़े बड़े ब्रैंड शामिल किए हैं. इन दवाओं का इस्तेमाल बुखार, सिरदर्द, प्रेग्नेंसी से बचने, खासी, विटामिन कमी आदि अवस्थाओं में किया जाता है. मनीकंट्रोल की खबर के अनुसार, इन दवाओं का चयन मार्केट रिसर्च के बाद इनके सालभर के टर्नओवर पर किया गया है. इन दवाओं की सूची स्वास्थय मंत्रालय को भेजी जा चुकी है ताकि क्यूआर कोड के तहत लाने के लिए इनमें जरूरी बदलाव किए जाएं.