चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. पहले सिद्धू ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा था, उन्हें प्रदेश प्रधान बनाने के बाद माना जा रहा था कि पंजाब कांग्रेस में मतभेद खत्म होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मंगलवार को पंजाब की सियासत तब और गरमा गई जब 30 से 32 विधायक और मंत्री सिद्धू के करीबी माने जाने वाले मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के आवास पर इकट्ठा हुए. बैठक में चरणजीत सिंह चन्नी और सुखजिंदर सिंह रंधावा भी शामिल हुए.
मीटिंग खत्म होते होते पंजाब की राजनीति में भूचाल आ गया जब 4 कैबिनेट मंत्री और परगट सिंह ने दिल्ली हाई कमान के पास जाने का फैसला लिया. कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिन्दर बाजवा, चरनजीत सिंह चन्नी,सुखजिन्दर रंधावा, परगट सिंह, सुखजिंदर सिंह सरकारिया थोड़ी देर में दिल्ली रवाना होंगे. ये लोग आज ही कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात करेंगे.
कांग्रेसी विधायक सुरजीत धीमान ने तो यहां तक कह दिया कि कैप्टन को अब हट जाना चाहिए और उनकी जगह नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब का सीएम बना देना चाहिए. इतना ही नहीं विधायक सुरजीत सिंह धीमान ने यह तक कह दिया की अगर 2022 का चुनाव कैप्टन की अगुवाई में होगा तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे.
पढ़ें- सिद्धू के सलाहकार ने इंदिरा गांधी को लेकर शेयर किया विवादित कार्टून
गौरतलब है कि रविवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू के दो सलाहकारों द्वारा कश्मीर, पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर 'बेतुकी' टिप्पणियां किये जाने के बाद कहा था कि वह अपने सलाहकारों को काबू में रखें. सिंह ने एक बयान में 'ऐसी आपत्तिजनक और बेतुकी टिप्पणियों को लेकर आगाह किया था जो राज्य और देश की शांति व स्थिरता के लिए संभावित रूप से खतरनाक हैं.
पढ़ें- सिद्धू के सलाहकारों के बयान पर मचा घमासान, पार्टी में भी उठे सवाल
पूर्व में सिद्धू के साथ तनातनी का सामना करने वाले मुख्यमंत्री ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के प्रमुख सिद्धू के सलाहकारों पर निशाना साधा था. उन्होंने उनसे केवल सिद्धू को सलाह देने और उन मामलों पर न बोलने का आग्रह किया था, जिनके बारे में उन्हें स्पष्ट रूप से बहुत कम या कोई जानकारी नहीं है और उनकी टिप्पणियों के निहितार्थ की कोई समझ नहीं है.