नई दिल्ली : पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने गुरुवार को दिल्ली पहुंचकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच करीब ढाई घंटे तक बैठक चली. बैठक के बाद सीएम चन्नी बिना कुछ बोले रवाना हो गए. माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सियासी दांव से पंजाब में पार्टी की टूट के खतरे से कांग्रेस हाईकमान की चिंता बेहद बढ़ी हुई है.
गौरतलब है कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने बुधवार को नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि एक बार चुनाव आयोग से मंजूरी मिल जाने के बाद वह जल्द ही पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह की घोषणा करेंगे. इसी सिलसिले में बुधवार को पंजाब के डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने भी दिल्ली पंहुचकर राहुल गांधी से मुलाकात की थी. माना जा रहा है कि उसी के बाद राहुल गांधी ने चरणजीत सिंह चन्नी को दिल्ली बुलाया था.
वहीं राहुल गांधी ने बुधवार को पंजाब के पूर्व मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू के साथ भी मुलाकात की थी. बलबीर सिंह सिद्धू को पंजाब कैबिनेट का पुनर्गठन करते समय चन्नी कैबिनेट में जगह नहीं दी गई थी. दरअसल पंजाब के इन तमाम नेताओं से मुलाकात करके हाईकमान प्रदेश कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश में जुटी है. सूत्रों के अनुसार गुरुवार की बैठक में राहुल गांधी ने सीएम चन्नी से पार्टी नेताओं का फीडबैक लिया. अमरिंदर सिंह के नई पार्टी बनाने के बाद, कैप्टन खेमे के विधायकों को कांग्रेस में कैसे रोका जा सकता है और इसके लिए मुख्यमंत्री चन्नी और प्रदेश कांग्रेस क्या कुछ कर रही है.
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हालांकि इससे पहले राहुल गांधी ने मंगलवार रात को भी कैप्टन के करीबी विधायकों से एक बैठक की थी. इनमें राणा गुरमीत सोढ़ी, शाम सुंदर अरोड़ा व बलबीर सिद्धू और साधु सिंह धर्मसोत शामिल थे. दरअसल इन तीनों विधायकों की चन्नी सरकार बनने पर मंत्री पद से छुट्टी कर दी गई थी. कांग्रेस को चिंता थी कि कैप्टन की नई पार्टी के ऐलान के साथ ही ये कांग्रेस छोड़ उनके साथ जा सकते हैं. इसलिए राहुल ने उनसे मुलाकात कर उन्हें भविष्य में पार्टी में अच्छी जगह देने का भरोसा दिया. फिलहाल कांग्रेस इसी रणनीति पर काम कर रही है.
इस बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी गुरुवार को दिल्ली में हैं और वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं. इन दोनों के बीच होने वाली ये मुलाकात कई मायनों में बेहद खास है. जिस पर कांग्रेस पार्टी की खास नजर है. कैप्टन के पंजाब का मुख्यमंत्री पद छोड़ने और कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद शाह के साथ उनकी दूसरी मुलाकात है. हालांकि कैप्टन ने पहले ही साफ कर दिया है वह पंजाब में बीजेपी का समर्थन करेंगे, जिसके बाद से कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं.