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बुधवार को बन रहा ये शुभ मुहूर्त, जानें पूजन समय और भोलेनाथ को प्रसन्न करने की पूजा विधि

हिंदू कैलेंडर के अनुसार जुलाई माह का पहला प्रदोष व्रत सात जुलाई दिन बुधवार को है. प्रदोष व्रत हर त्रयोदशी तिथि को होता है. इस दिन भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा की जाती है. आइए जानते हैं कि बुध प्रदोष के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और प्रदोष व्रत का क्या लाभ होता है.

Pradosh Vrat
Pradosh Vrat
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Published : Jul 7, 2021, 12:08 AM IST

गुरुग्राम : भारत को त्योहारों का देश माना जाता है. प्रत्येक व्रत और त्योहार का अपना अलग ही महत्व है. सात जुलाई को प्रदोष व्रत है. मान्यता है कि इस व्रत को महाभारत के समय से रखा जा रहा है. एकादशी व्रत की तरह ही प्रदोष व्रत भी प्रत्येक मास में दो बार आता है. हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है. दिन के आधार पर इनका नाम बदलता रहता है. आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि सात जुलाई को है. ऐसे में इस माह का प्रदोष व्रत बुधवार को है. इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है.

पंडित प्रमोद ने बताया कि हर एक व्रत और त्योहार का अपना महत्व है. इस बार जो प्रदोष व्रत सात जुलाई को है उसी दिन त्रयोदशी भी है. जिसके कारण इसका फल 13 गुना अधिक बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि इस व्रत को रखने से पहले स्नान और ध्यान करके शिव और पार्वती की आराधना की जाती है. उसके बाद यह व्रत किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस व्रत में अन्न को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की वस्तुओं का दान किया जाता है. व्रत करने से घर में धन-धान्य के साथ ही पति और पुत्र को दीर्घायु प्राप्त होता है.

जानें पूजन समय और भोलेनाथ को प्रसन्न करने की पूजा विधि

क्या है व्रत की कथा

पंडित प्रमोद के अनुसार यह व्रत महाभारत के समय में शुरू हुआ था. कथा यह है कि जब द्रोपदी का पांच पांडवों से विवाह हुआ तो उनके ऊपर तरह-तरह के लांछन लगने लगे, जिससे द्रोपदी का मन विचलित होने लगा. इसके बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने प्रदोष व्रत रखने की सलाह दी. युधिष्ठिर ने बताया कि तुम्हें जो पांच पति मिले हैं यह तुम्हारे पूर्व जन्म के पापों का फल है. प्रदोष व्रत करने से पूर्व जन्म के पाप से मुक्ति मिलेगी. मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाले को ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. यह व्रत महिलाओं के द्वारा अधिक रखा जाता है.

व्रत रखने की विधि

इस बार यह व्रत सात लाई को रखा जाएगा. इस दिन त्रयोदशी के साथ ही बुधवार का दिन है. अन्य प्रदोष व्रतों के मुकाबले बुधवार के दिन और त्रयोदशी पर रखे जाने वाला प्रदोष व्रत साधक को 13 गुना अधिक प्रदान करता है. जिससे साधक को उसकी मनचाही सिद्धि प्राप्त होती है. उन्होंने बताया कि इस व्रत को रखने से पहले नाम ध्यान करके भगवान शिव के मंत्र का जाप किया जाता है. इस व्रत में फल, दूध और कपड़े आदि दान किए जाते हैं और इस व्रत में अन्न का दान नहीं किया जाता.

व्रत के दौरान रखें सावधानी

पंडित प्रमोद ने बताया कि व्रत रखने के समय साधक को अधिक बोलने से बचना चाहिए, उसको झूठ नहीं बोलना चाहिए और किसी भी व्यक्ति के दिल को नहीं दुखाना चाहिए. जब तक वह व्रत रख रहा है तब तक उसको ओम नमः शिवाय का जाप करना चाहिए और व्रत के दौरान उसको जरूरतमंद लोगों की सहायता भी करनी चाहिए.

बुध प्रदोष व्रत 2021 पूजा मुहूर्त

सात जुलाई को प्रदोष व्रत के लिए पूजा का मुहूर्त 02 घंटा 01 मिनट है. इस अवधि में ही आपको भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी होगी. बुधवार के दिन आप शाम को 07 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक प्रदोष व्रत की पूजा कर सकते हैं. इस समय काल में भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाएगी.

पढ़ेंः निर्जला एकदाशी व्रत : जानें कथा और इस दिन दान करने का महत्व

पूजा करने की विधि

व्रत के दिन सुबह स्नानादि करके भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लें. उसके बाद पूजा चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर पूजन करें. भगवान शिव का जलाभिषेक करके चंदन, रोली, धूप, दीप, अक्षत्, पुष्प, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं. माता पार्वती जी को सिंदूर और श्रृंगार का सामान चढ़ाएं. वहीं भगवान शिव को बेलपत्र, मदार पुष्प, भांग, धतुरा, गाय का दूध अलग से अर्पित करें. अब शिव और पार्वती आरती कर प्रणाम करें.

रोगों से मिलती है मुक्ति

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव सबसे आसानी से प्रसन्न होने वाले देव हैं. वे आदि हैं, वे ही अंत हैं. उनसे ही जीवन है, उनसे ही मृत्यु है. वही महाकाल हैं. त्रयोदशी के दिन जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं उनको रोगों से मुक्ति मिलती है, जीवन में सुख, समृद्धि प्राप्त होती है. दुखों और पाप का नाश होता है. जिन लोगों को कोई संतान नहीं होती है, उन लोगों को वंश वृद्धि के लिए संतान का आशीष मिलता है.

प्रदोष व्रत के नियम

  • प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए.
  • नहाकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए.
  • इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है.
  • गुस्सा या विवाद से बचकर रहना चाहिए.
  • प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
  • इस दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
  • प्रदोष व्रत की पूजा में कुशा के आसन का प्रयोग करना चाहिए.

पढ़ेंः योगिनी एकादशी व्रत : जानें कथा और व्रत करने का महत्व

पढ़ेंः ज्येष्ठ पूर्णिमा 2021 : भगवान विष्णु की आराधना से मिलेगा विशेष फल, जानें स्नान-दान का महत्व

गुरुग्राम : भारत को त्योहारों का देश माना जाता है. प्रत्येक व्रत और त्योहार का अपना अलग ही महत्व है. सात जुलाई को प्रदोष व्रत है. मान्यता है कि इस व्रत को महाभारत के समय से रखा जा रहा है. एकादशी व्रत की तरह ही प्रदोष व्रत भी प्रत्येक मास में दो बार आता है. हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है. दिन के आधार पर इनका नाम बदलता रहता है. आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि सात जुलाई को है. ऐसे में इस माह का प्रदोष व्रत बुधवार को है. इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है.

पंडित प्रमोद ने बताया कि हर एक व्रत और त्योहार का अपना महत्व है. इस बार जो प्रदोष व्रत सात जुलाई को है उसी दिन त्रयोदशी भी है. जिसके कारण इसका फल 13 गुना अधिक बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि इस व्रत को रखने से पहले स्नान और ध्यान करके शिव और पार्वती की आराधना की जाती है. उसके बाद यह व्रत किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस व्रत में अन्न को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की वस्तुओं का दान किया जाता है. व्रत करने से घर में धन-धान्य के साथ ही पति और पुत्र को दीर्घायु प्राप्त होता है.

जानें पूजन समय और भोलेनाथ को प्रसन्न करने की पूजा विधि

क्या है व्रत की कथा

पंडित प्रमोद के अनुसार यह व्रत महाभारत के समय में शुरू हुआ था. कथा यह है कि जब द्रोपदी का पांच पांडवों से विवाह हुआ तो उनके ऊपर तरह-तरह के लांछन लगने लगे, जिससे द्रोपदी का मन विचलित होने लगा. इसके बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने प्रदोष व्रत रखने की सलाह दी. युधिष्ठिर ने बताया कि तुम्हें जो पांच पति मिले हैं यह तुम्हारे पूर्व जन्म के पापों का फल है. प्रदोष व्रत करने से पूर्व जन्म के पाप से मुक्ति मिलेगी. मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाले को ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. यह व्रत महिलाओं के द्वारा अधिक रखा जाता है.

व्रत रखने की विधि

इस बार यह व्रत सात लाई को रखा जाएगा. इस दिन त्रयोदशी के साथ ही बुधवार का दिन है. अन्य प्रदोष व्रतों के मुकाबले बुधवार के दिन और त्रयोदशी पर रखे जाने वाला प्रदोष व्रत साधक को 13 गुना अधिक प्रदान करता है. जिससे साधक को उसकी मनचाही सिद्धि प्राप्त होती है. उन्होंने बताया कि इस व्रत को रखने से पहले नाम ध्यान करके भगवान शिव के मंत्र का जाप किया जाता है. इस व्रत में फल, दूध और कपड़े आदि दान किए जाते हैं और इस व्रत में अन्न का दान नहीं किया जाता.

व्रत के दौरान रखें सावधानी

पंडित प्रमोद ने बताया कि व्रत रखने के समय साधक को अधिक बोलने से बचना चाहिए, उसको झूठ नहीं बोलना चाहिए और किसी भी व्यक्ति के दिल को नहीं दुखाना चाहिए. जब तक वह व्रत रख रहा है तब तक उसको ओम नमः शिवाय का जाप करना चाहिए और व्रत के दौरान उसको जरूरतमंद लोगों की सहायता भी करनी चाहिए.

बुध प्रदोष व्रत 2021 पूजा मुहूर्त

सात जुलाई को प्रदोष व्रत के लिए पूजा का मुहूर्त 02 घंटा 01 मिनट है. इस अवधि में ही आपको भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी होगी. बुधवार के दिन आप शाम को 07 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक प्रदोष व्रत की पूजा कर सकते हैं. इस समय काल में भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाएगी.

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पूजा करने की विधि

व्रत के दिन सुबह स्नानादि करके भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लें. उसके बाद पूजा चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर पूजन करें. भगवान शिव का जलाभिषेक करके चंदन, रोली, धूप, दीप, अक्षत्, पुष्प, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं. माता पार्वती जी को सिंदूर और श्रृंगार का सामान चढ़ाएं. वहीं भगवान शिव को बेलपत्र, मदार पुष्प, भांग, धतुरा, गाय का दूध अलग से अर्पित करें. अब शिव और पार्वती आरती कर प्रणाम करें.

रोगों से मिलती है मुक्ति

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव सबसे आसानी से प्रसन्न होने वाले देव हैं. वे आदि हैं, वे ही अंत हैं. उनसे ही जीवन है, उनसे ही मृत्यु है. वही महाकाल हैं. त्रयोदशी के दिन जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं उनको रोगों से मुक्ति मिलती है, जीवन में सुख, समृद्धि प्राप्त होती है. दुखों और पाप का नाश होता है. जिन लोगों को कोई संतान नहीं होती है, उन लोगों को वंश वृद्धि के लिए संतान का आशीष मिलता है.

प्रदोष व्रत के नियम

  • प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए.
  • नहाकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए.
  • इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है.
  • गुस्सा या विवाद से बचकर रहना चाहिए.
  • प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
  • इस दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
  • प्रदोष व्रत की पूजा में कुशा के आसन का प्रयोग करना चाहिए.

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