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Kedarnath: घोड़े-खच्चरों की मौत के मामले में HC पहुंची पीपल फॉर एनिमल्स, 'दो पैरों पर यात्रा करें श्रद्धालु' - People for Animals reached HC regarding the death of horses and mules in Kedarnath

चारधाम यात्रा में घोड़े खच्चरों की मौत के मामले पर मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल्स ने उत्तराखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. संस्था का कहना है कि सरकार जानवरों की मौत को लेकर झूठ बोल रही है. क्योंकि जमीनी हकीकत बेहद भयानक हैं. पूरे मामले को लेकर संस्था ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और मामले में 8 जून को सुनवाई होगी.

Horse mules die in Chardham Yatra
घोड़े-खच्चरों की मौत के मामले में HC पहुंची पीपल फॉर एनिमल्स
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Published : Jun 7, 2022, 8:59 PM IST

देहरादूनः चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ और यमुनोत्री यात्रा में लगातार हो रहे घोड़े खच्चरों की मौत (Horse mules die in Chardham Yatra) को लेकर सरकार की व्यवस्था पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं. मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल्स उत्तराखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पूरे मामले को लेकर संस्था ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिसकी लेकर सुनवाई 8 जून को होगी.

बीते दिनों उत्तराखंड में पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने केदारनाथ धाम का दौरा किया था और वहां मर रहे घोड़े खच्चरों के बारे में जानकारी ली थी. इसके बाद सौरभ बहुगुणा ने ट्वीट के जरिए कहा था कि उनके दौरे के बाद हालात में जमीन-आसमान का फर्क आया है. लेकिन अब मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल्स (Maneka Gandhi organization People for Animals) के सदस्यों ने केदारनाथ यात्रा का जायजा लेने के बाद सरकार पर सवाल खड़े किए हैं.

घोड़े-खच्चरों की मौत के मामले में HC पहुंची पीपल फॉर एनिमल्स.

संस्था ने लगाए सरकार पर गंभीर आरोपः पीपल फॉर एनिमल्स की सदस्य गौरी मौलेखी (People for Animals member Gauri Maulekhi) का कहना है कि सरकार जानवरों को लेकर झूठ बोल रही है, जबकि हकीकत भयानक है. मौलेखी ने कहा कि केदारनाथ में रोज सैकड़ों की तादाद में घोड़े खच्चर मर रहे हैं और हैरानी की बात यह है कि इन मौतों को रोकने के लिए सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बिना रजिस्ट्रेशन के हजारों घोड़े दौड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी टीम ने जो मौके का मुआयना किया तो पाया कि जगह-जगह पर कदम-कदम पर घोड़े खच्चर के शव पड़े हुए हैं, जिनमें कीड़े पड़े हुए हैं.
ये भी पढ़ेंः केदारनाथ यात्रा में अब तक 131 घोड़े-खच्चरों की मौत, 73 संचालकों के खिलाफ कार्रवाई

इसके अलावा तमाम मरे हुए जानवरों को नदियों में फेंका जा रहा है. मौलेखी ने कहा है कि सरकार ये सुनिचित करें कि धामों में जानवरों के साथ ऐसा सलूख ना हो. उन्होंने कहा कि जो जानवर यात्रियों को ले जा रहे हैं, उनकी भी हालत ठीक नहीं है. उनकी पीठ पर चोट के गहरे निशान हैं और सैकड़ों की तादाद में ऐसे जानवर से काम लिया जा रहा है, जो किसी भी समय दम तोड़ सकते हैं.

घोड़े खच्चरों से हो रही है बीमारीः मौलेखी का कहना है कि पीपल फॉर एनिमल ने इस मामले में लगातार तीन पत्र मुख्यमंत्री और मंत्रियों को लिखे. लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. मंत्री आएं और दौरा करके चले गए. जबकि जानवरों के डॉक्टरों की टीम को खानापूर्ति के लिए वहां पर रखा हुआ है. घोड़े खच्चरों में भयानक बीमारी फेल रही है, जो जानवरों से इंसानों को हो रही है.

लिहाजा सरकार को चाहिए कि वो इन तमाम घोड़ों की ग्लैंडर्स टेस्टिंग करवाएं. उन्होंने कहा कि हमारे साथ गए डॉक्टरों ने कई घोड़े खच्चरों में बीमारी के पूरे लक्षण देखे हैं. लेकिन बावजूद इसके कोई भी डॉक्टर और प्रशासन इस पर गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा अब इस मामले को लेकर हमने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिसकी 8 जून को सुनवाई होने जा रही है. हमने सभी सबूत कोर्ट में पेश किए हैं.
ये भी पढ़ेंः केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के साथ क्रूरता, 6 लोगों पर FIR

गंदे जल में नहा रहे हैं भक्तः संस्था द्वारा बताया गया है कि पूरे केदार के रास्ते में बदबू और सड़े हुए जानवरों के शव पड़े हुए हैं. घोड़े खच्चरों की लीद हो या शव या फिर कूड़ा सभी को नदियों में बहाया जा रहा है. इसी जल में आगे गौरीकुंड में भी लोग स्नान कर रहे हैं.

सौरभ बहुगुणा ने किया था ट्वीटः पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने अपने एक ट्वीट में यह कहा है कि उनके केदारनाथ दौरे के बाद व्यवस्थाएं बहुत हद तक सुधरी हैं. ना केवल एफआईआर दर्ज हुई है बल्कि घोड़े खच्चरों के मरने की संख्या में भी कमी आई है. इतना ही नहीं, डॉक्टरों को भी तैनात किया गया है.

ये है ग्लैंडर्स बीमारी: ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है. इसमें घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े या गाठें आदि लक्षण हैं. यह बीमारी दूसरे पालतू पशु में भी पहुंच सकती है. दरअसल यह बीमारी बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से फैलती है. यह बीमारी होने पर घोड़े को वैज्ञानिक तरीके से मारना ही पड़ता है.

मनुष्यों पर ग्लैंडर्स का प्रभाव: घोड़ों से मनुष्यों में यह बीमारी आसानी से पहुंच जाती है. जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर उपचार करते हैं. उनको त्वचा, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो जाता है. मनुष्यों में इस बीमारी से मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, मांसपेशियों की अकडऩ, सिरदर्द और नाक से पानी निकलने लगता है.

देहरादूनः चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ और यमुनोत्री यात्रा में लगातार हो रहे घोड़े खच्चरों की मौत (Horse mules die in Chardham Yatra) को लेकर सरकार की व्यवस्था पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं. मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल्स उत्तराखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पूरे मामले को लेकर संस्था ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिसकी लेकर सुनवाई 8 जून को होगी.

बीते दिनों उत्तराखंड में पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने केदारनाथ धाम का दौरा किया था और वहां मर रहे घोड़े खच्चरों के बारे में जानकारी ली थी. इसके बाद सौरभ बहुगुणा ने ट्वीट के जरिए कहा था कि उनके दौरे के बाद हालात में जमीन-आसमान का फर्क आया है. लेकिन अब मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल्स (Maneka Gandhi organization People for Animals) के सदस्यों ने केदारनाथ यात्रा का जायजा लेने के बाद सरकार पर सवाल खड़े किए हैं.

घोड़े-खच्चरों की मौत के मामले में HC पहुंची पीपल फॉर एनिमल्स.

संस्था ने लगाए सरकार पर गंभीर आरोपः पीपल फॉर एनिमल्स की सदस्य गौरी मौलेखी (People for Animals member Gauri Maulekhi) का कहना है कि सरकार जानवरों को लेकर झूठ बोल रही है, जबकि हकीकत भयानक है. मौलेखी ने कहा कि केदारनाथ में रोज सैकड़ों की तादाद में घोड़े खच्चर मर रहे हैं और हैरानी की बात यह है कि इन मौतों को रोकने के लिए सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बिना रजिस्ट्रेशन के हजारों घोड़े दौड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी टीम ने जो मौके का मुआयना किया तो पाया कि जगह-जगह पर कदम-कदम पर घोड़े खच्चर के शव पड़े हुए हैं, जिनमें कीड़े पड़े हुए हैं.
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इसके अलावा तमाम मरे हुए जानवरों को नदियों में फेंका जा रहा है. मौलेखी ने कहा है कि सरकार ये सुनिचित करें कि धामों में जानवरों के साथ ऐसा सलूख ना हो. उन्होंने कहा कि जो जानवर यात्रियों को ले जा रहे हैं, उनकी भी हालत ठीक नहीं है. उनकी पीठ पर चोट के गहरे निशान हैं और सैकड़ों की तादाद में ऐसे जानवर से काम लिया जा रहा है, जो किसी भी समय दम तोड़ सकते हैं.

घोड़े खच्चरों से हो रही है बीमारीः मौलेखी का कहना है कि पीपल फॉर एनिमल ने इस मामले में लगातार तीन पत्र मुख्यमंत्री और मंत्रियों को लिखे. लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. मंत्री आएं और दौरा करके चले गए. जबकि जानवरों के डॉक्टरों की टीम को खानापूर्ति के लिए वहां पर रखा हुआ है. घोड़े खच्चरों में भयानक बीमारी फेल रही है, जो जानवरों से इंसानों को हो रही है.

लिहाजा सरकार को चाहिए कि वो इन तमाम घोड़ों की ग्लैंडर्स टेस्टिंग करवाएं. उन्होंने कहा कि हमारे साथ गए डॉक्टरों ने कई घोड़े खच्चरों में बीमारी के पूरे लक्षण देखे हैं. लेकिन बावजूद इसके कोई भी डॉक्टर और प्रशासन इस पर गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा अब इस मामले को लेकर हमने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिसकी 8 जून को सुनवाई होने जा रही है. हमने सभी सबूत कोर्ट में पेश किए हैं.
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गंदे जल में नहा रहे हैं भक्तः संस्था द्वारा बताया गया है कि पूरे केदार के रास्ते में बदबू और सड़े हुए जानवरों के शव पड़े हुए हैं. घोड़े खच्चरों की लीद हो या शव या फिर कूड़ा सभी को नदियों में बहाया जा रहा है. इसी जल में आगे गौरीकुंड में भी लोग स्नान कर रहे हैं.

सौरभ बहुगुणा ने किया था ट्वीटः पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने अपने एक ट्वीट में यह कहा है कि उनके केदारनाथ दौरे के बाद व्यवस्थाएं बहुत हद तक सुधरी हैं. ना केवल एफआईआर दर्ज हुई है बल्कि घोड़े खच्चरों के मरने की संख्या में भी कमी आई है. इतना ही नहीं, डॉक्टरों को भी तैनात किया गया है.

ये है ग्लैंडर्स बीमारी: ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है. इसमें घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े या गाठें आदि लक्षण हैं. यह बीमारी दूसरे पालतू पशु में भी पहुंच सकती है. दरअसल यह बीमारी बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से फैलती है. यह बीमारी होने पर घोड़े को वैज्ञानिक तरीके से मारना ही पड़ता है.

मनुष्यों पर ग्लैंडर्स का प्रभाव: घोड़ों से मनुष्यों में यह बीमारी आसानी से पहुंच जाती है. जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर उपचार करते हैं. उनको त्वचा, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो जाता है. मनुष्यों में इस बीमारी से मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, मांसपेशियों की अकडऩ, सिरदर्द और नाक से पानी निकलने लगता है.

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