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Nobel Peace Prize 2023 : जेल में काट रही हैं सजा, फिर भी मिला नोबेल शांति पुरस्कार, जानिए कौन हैं नरगिस मोहम्मदी

ईरान में महिलाओं के लिए आवाज बुलंद करने वाली नरगिस मोहम्मदी (Narges Mohammadi) को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है. करीब 13 बार गिरफ्तार हो चुकी और 31 साल जेल की सजा काट रहीं नरगिस के बारे में विस्तार से जानिए.

Nobel Peace Prize 2023
नरगिस मोहम्मदी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 6, 2023, 5:58 PM IST

Updated : Oct 6, 2023, 6:03 PM IST

नई दिल्ली : मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के व्यापक प्रयासों के लिए ईरानी कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी (Narges Mohammadi) को शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

51 वर्षीय नरगिस डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर की उप निदेशक हैं और वर्तमान में तेहरान की एविन जेल में बंद हैं. उन्हें 13 बार कैद किया गया और पांच बार दोषी ठहराया गया. उन्हें कोड़े मारने की सजा हो चुकी है. उन्हें करीब 31 साल की सजा हुई है.

  • "We hope that this prize is an inspiration for women all over the world that are victims of systematic discrimination and segregation in their home countries."

    - Berit Reiss-Andersen, Chair of the Norwegian Nobel Committee, regarding the 2023 Nobel Peace Prize. pic.twitter.com/K9aXlsoNoY

    — The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मोहम्मदी की हालिया कैद महसा अमिनी के स्मारक में शामिल होने के बाद शुरू हुई. पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय युवक की मौत से पिछले साल ईरान शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर आक्रोश और व्यापक प्रदर्शन हुए थे.

नोबेल समिति ने लिखा, 'सितंबर 2022 में ईरानी मॉरल पुलिस की हिरासत में महसा जीना अमिनी की मौत हो गई, जिससे ईरान के शासन के खिलाफ राजनीतिक प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनाया गया आदर्श वाक्य - 'महिला जीवन स्वतंत्रता' नरगिस मोहम्मदी के समर्पण और कार्य को उपयुक्त रूप से व्यक्त करता है.'

पढ़ाई के दौरान ही उठाने लगी थीं महिलाओं के हक की आवाज : अगर उनकी पढ़ाई और करियर के बारे में बात की जाए तो नरगिस के पास भौतिकी में डिग्री है और उन्होंने एक इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया. मोहम्मदी अपने पढ़ाई के वर्षों के दौरान छात्र समाचार पत्र के लिए लिखते हुए समानता और महिलाओं के अधिकारों को उठाने वाली महिला के रूप में उभरीं. उन्हें एक राजनीतिक छात्र समूह की दो बैठकों में भी गिरफ्तार किया गया था. 2009 में जेल की सजा के बाद कार्यकर्ता ने अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी खो दी. नरगिस मोहम्मदी ने कई सुधारवादी प्रकाशनों के लिए पत्रकार के रूप में काम किया और मृत्युदंड, महिलाओं के अधिकारों और विरोध के अधिकार के उन्मूलन के लिए अभियान चलाया.

इन वर्षों में उन्होंने ईरान में सामाजिक सुधारों के लिए बहस करते हुए कई लेख लिखे. एक निबंध संग्रह, द रिफॉर्म्स, द स्ट्रैटेजी, एंड द टैक्टिक्स प्रकाशित किया है. उनकी पुस्तक 'व्हाइट टॉर्चर: इंटरव्यूज़ विद ईरानी वूमेन प्रिज़नर्स' ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मानवाधिकार फोरम में रिपोर्ताज के लिए पुरस्कार भी जीता है.

पहली बार 2011 में किया गया था गिरफ्तार : मोहम्मदी को पहली बार 2011 में गिरफ्तार किया गया था और जेल में बंद कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की सहायता करने के उनके प्रयासों के लिए कई वर्षों के कारावास की सजा सुनाई गई थी.

1999 में हुई थी शादी : उन्होंने 1999 में साथी कार्यकर्ता और लेखक ताघी रहमानी से शादी की. दोनों के जुड़वां बच्चे हैं जो फिलहाल फ्रांस में रहते हैं. ईरान में 14 साल की जेल की सजा के बाद रहमानी रिलोकेट हो गए, जबकि मोहम्मदी ने अपना काम जारी रखा.

नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला : मोहम्मदी नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला हैं और 2003 में मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन एबादी के बाद यह पुरस्कार जीतने वाली दूसरी ईरानी महिला हैं. पुरस्कारों के 122 साल के इतिहास में यह पांचवीं बार है कि शांति पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति को दिया गया है जो जेल में है या घर में नजरबंद है.

ईरानी लेखक 2003 में एबादी के नेतृत्व वाले डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर में शामिल हुईं और अंततः संगठन की उपाध्यक्ष बनीं. यह समूह इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स का सदस्य है. इसे फ़्रांसीसी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 2003 मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

पहले भी मिल चुके हैं कई पुरस्कार : मोहम्मदी को पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न पुरस्कार मिले हैं. 2009 में अलेक्जेंडर लैंगर पुरस्कार से लेकर यूनेस्को/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार और 2023 में ओलोफ पाल्मे पुरस्कार तक से उन्हें नवाजा गया है. इबादी ने अपना 2010 फेलिक्स एर्मकोरा मानवाधिकार पुरस्कार भी मोहम्मदी को समर्पित किया था.

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51 वर्षीय नरगिस डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर की उप निदेशक हैं और वर्तमान में तेहरान की एविन जेल में बंद हैं. उन्हें 13 बार कैद किया गया और पांच बार दोषी ठहराया गया. उन्हें कोड़े मारने की सजा हो चुकी है. उन्हें करीब 31 साल की सजा हुई है.

  • "We hope that this prize is an inspiration for women all over the world that are victims of systematic discrimination and segregation in their home countries."

    - Berit Reiss-Andersen, Chair of the Norwegian Nobel Committee, regarding the 2023 Nobel Peace Prize. pic.twitter.com/K9aXlsoNoY

    — The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मोहम्मदी की हालिया कैद महसा अमिनी के स्मारक में शामिल होने के बाद शुरू हुई. पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय युवक की मौत से पिछले साल ईरान शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर आक्रोश और व्यापक प्रदर्शन हुए थे.

नोबेल समिति ने लिखा, 'सितंबर 2022 में ईरानी मॉरल पुलिस की हिरासत में महसा जीना अमिनी की मौत हो गई, जिससे ईरान के शासन के खिलाफ राजनीतिक प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनाया गया आदर्श वाक्य - 'महिला जीवन स्वतंत्रता' नरगिस मोहम्मदी के समर्पण और कार्य को उपयुक्त रूप से व्यक्त करता है.'

पढ़ाई के दौरान ही उठाने लगी थीं महिलाओं के हक की आवाज : अगर उनकी पढ़ाई और करियर के बारे में बात की जाए तो नरगिस के पास भौतिकी में डिग्री है और उन्होंने एक इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया. मोहम्मदी अपने पढ़ाई के वर्षों के दौरान छात्र समाचार पत्र के लिए लिखते हुए समानता और महिलाओं के अधिकारों को उठाने वाली महिला के रूप में उभरीं. उन्हें एक राजनीतिक छात्र समूह की दो बैठकों में भी गिरफ्तार किया गया था. 2009 में जेल की सजा के बाद कार्यकर्ता ने अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी खो दी. नरगिस मोहम्मदी ने कई सुधारवादी प्रकाशनों के लिए पत्रकार के रूप में काम किया और मृत्युदंड, महिलाओं के अधिकारों और विरोध के अधिकार के उन्मूलन के लिए अभियान चलाया.

इन वर्षों में उन्होंने ईरान में सामाजिक सुधारों के लिए बहस करते हुए कई लेख लिखे. एक निबंध संग्रह, द रिफॉर्म्स, द स्ट्रैटेजी, एंड द टैक्टिक्स प्रकाशित किया है. उनकी पुस्तक 'व्हाइट टॉर्चर: इंटरव्यूज़ विद ईरानी वूमेन प्रिज़नर्स' ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मानवाधिकार फोरम में रिपोर्ताज के लिए पुरस्कार भी जीता है.

पहली बार 2011 में किया गया था गिरफ्तार : मोहम्मदी को पहली बार 2011 में गिरफ्तार किया गया था और जेल में बंद कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की सहायता करने के उनके प्रयासों के लिए कई वर्षों के कारावास की सजा सुनाई गई थी.

1999 में हुई थी शादी : उन्होंने 1999 में साथी कार्यकर्ता और लेखक ताघी रहमानी से शादी की. दोनों के जुड़वां बच्चे हैं जो फिलहाल फ्रांस में रहते हैं. ईरान में 14 साल की जेल की सजा के बाद रहमानी रिलोकेट हो गए, जबकि मोहम्मदी ने अपना काम जारी रखा.

नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला : मोहम्मदी नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला हैं और 2003 में मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन एबादी के बाद यह पुरस्कार जीतने वाली दूसरी ईरानी महिला हैं. पुरस्कारों के 122 साल के इतिहास में यह पांचवीं बार है कि शांति पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति को दिया गया है जो जेल में है या घर में नजरबंद है.

ईरानी लेखक 2003 में एबादी के नेतृत्व वाले डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर में शामिल हुईं और अंततः संगठन की उपाध्यक्ष बनीं. यह समूह इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स का सदस्य है. इसे फ़्रांसीसी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 2003 मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

पहले भी मिल चुके हैं कई पुरस्कार : मोहम्मदी को पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न पुरस्कार मिले हैं. 2009 में अलेक्जेंडर लैंगर पुरस्कार से लेकर यूनेस्को/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार और 2023 में ओलोफ पाल्मे पुरस्कार तक से उन्हें नवाजा गया है. इबादी ने अपना 2010 फेलिक्स एर्मकोरा मानवाधिकार पुरस्कार भी मोहम्मदी को समर्पित किया था.

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Last Updated : Oct 6, 2023, 6:03 PM IST
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