कोरबा : यदि आप 60 और 70 के दशक के बॉलीवुड फिल्मों के शौकीन हैं, तो आपको अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना का वह दिलकश अंदाज जरूर याद होगा, जब वह स्क्रीन पर अपने लहराते बालों के साथ बाइक की सवारी कर सुपरहिट गानों को गुनगुनाते हुए आगे बढ़ते थे. उस दौर की बाइक आज देखने को नहीं मिलेगी, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उस दौर की बाइक को कोरबा के एक शख्स ने संजो कर रखा है. वो कहावत इस शख्स पर बिल्कुल सटीक बैठती है कि शौक बड़ी चीज है. ये शौकीन शख्स कोरबा का रहना वाला है, जिसका नाम महबूब खान है.
महबूब को बाइक और कार से खासा लगाव है. महबूब के पास करीब एक दर्जन एंटीक बाइक्स का कलेक्शन है. महबूब के पास ऐसी बाइक भी हैं, जिनकी कंपनियां आज बंद हो चुकी हैं. महबूब इन्हें अब भी नियमित तौर पर घर से बाहर निकालते हैं, साफ-सफाई करते हैं और सभी को चालू हालत में रखते हैं. कुछ गाड़ियां ऐसी हैं कि जिनका वे इस्तेमाल तो नहीं करते हैं, लेकिन सजा कर जरूर रखे हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि सभी बाइक्स अच्छे कंडीशन में हैं.
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पिता से मिली प्रेरणा
महबूब पेशे से बाइक मैकेनिक हैं. मैकेनिक का यह दर्जा उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला था. महबूब अपने शौक के बारे में बताते हैं कि उनके पिता एक टॉप क्लास मैकेनिक थे. उन्हें भी बाइक का शौक था और उन्होंने कहा था कि जो बाइक्स मार्केट में हैं, एक दिन वो कंपनियां बंद हो जाएंगी. यह सभी बाइक धरोहर की तरह देखी जाने लगेंगी. इसी बात ने मुझे प्रभावित किया और तभी से बाइक का कलेक्शन शुरू कर दिया और आगे भी जारी रहेगा.
जावा से लेकर स्कूटर तक के कलेक्शन
महबूब के कलेक्शन में 1965 में आई जावा से लेकर बजाज की फर्स्ट मॉडल वाली प्रिया स्कूटर भी है. महबूब कहते हैं कि यह सभी गाड़ियां अब मार्केट में बंद हो चुकी हैं. इस तरह की लगभग एक दर्जन से ज्यादा गाड़ियां उनके पास मौजूद हैं, जो अब कहीं नहीं मिलेंगी. महबूब कहते हैं, जावा बाइक का तब बेहद क्रश हुआ करता था, जब अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की फिल्मों में इन बाइक पर लहराते हीरो दिखते थे.
40 से 50 हजार है सालाना खर्च
महबूब पेशे से मैकेनिक हैं और आर्थिक तौर पर इतने मजबूत नहीं है कि इन बाइक को मेंटेन कर सकें. महबूब अपने इस शौक को तो पाले हुए हैं, लेकिन साथ ही साथ वह यह भी कहते हैं कि अब इन्हें मेंटेन करना बेहद मुश्किल होता जा रहा है. इनके रंग-रोगन और मेंटेनेंस से लेकर टैक्स चुकाने में सालाना करीब 50 हजार रुपये का खर्च हो जाता है, लेकिन वह अपने इस शौक को छोड़ना नहीं चाहते, बल्कि वह इस कलेक्शन को और भी आगे बढ़ा रहे हैं.
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महबूब के भतीजे आदिल खान कहते हैं कि हमने, तो बचपन से अपने चाचा को बाइक के शौक को देखा है और अनूठे बाइक के साथ हम बड़े हुए हैं. इसलिए हम सभी भाइयों को भी बाइक का शौक लग चुका है. हम सभी मॉडिफाई गाड़ियों पर ही सवारी करते हैं. महबूब के बेटे आमिर खान का कहना है कि पिता के शौक को अब हम भाइयों ने मिलकर एक नया आयाम दिया है. हमने बाइक मॉडिफिकेशन का काम शुरू किया है. बाइक के साथ ही अब हम कार को भी मॉडिफाई करते हैं. मारुति 800 को हमने जिप्सी में कन्वर्ट कर दिया था. एक फिएट को भी हमने बिना छत वाली कार बनाया. अब इसकी डिमांड भी बढ़ रही है, लोग जुड़ रहे हैं.