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मणिपुर के मोरेह में भीड़ ने घरों में आग लगाई, कांगपोकपी में बसों को निशाना बनाया

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Published : Jul 26, 2023, 6:36 PM IST

भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. आए दिन नई घटना सामने आ रही है. इसी मुद्दे को लेकर मानसून सत्र में विपक्षी दल लगातार हंगामा कर रहे हैं.

Mob torches houses in Moreh Manipur
मणिपुर के मोरेह में भीड़ ने घरों में आग लगाई

इंफाल: मणिपुर के मोरेह जिले में बुधवार को भीड़ ने कम से कम 30 घरों और दुकानों को आग लगा दी और सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. खाली पड़े ये घर म्यांमा सीमा के करीब मोरेह बाजार क्षेत्र में थे. आगजनी के बाद भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी भी हुई. अधिकारियों ने बताया कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि घटना कोई हताहत हुआ है या नहीं. अधिकारियों ने बताया कि यह आगजनी कांगपोकपी जिले में भीड़ द्वारा सुरक्षा बलों की दो बसों को आग के हवाले करने की घटना के एक दिन बाद हुई.

यह घटना सपोरमीना में उस समय हुई, जब बसें मंगलवार शाम दीमापुर से आ रही थीं. इस दौरान किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने मणिपुर की पंजीकरण संख्या वाली बस को सपोरमीना में रोक लिया और कहा कि वे इस बात की जांच करेंगे कि बस में कहीं दूसरे समुदाय का कोई सदस्य तो नहीं है. अधिकारियों ने बताया कि उनमें से कुछ लोगों ने बसों में आग लगा दी.

इस बीच, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि इंफाल के सजीवा और थौबल जिले के याइथिबी लोकोल में अस्थायी घरों का निर्माण पूरा होने वाला है. सिंह ने एक ट्वीट कर कहा, 'बहुत जल्द पीड़ित परिवार राहत शिविरों से इन घरों में जा सकेंगे. राज्य सरकार हाल की हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए पहाड़ियों और घाटी दोनों में हर संभव उपाय कर रही है.' मुख्यमंत्री ने पिछले महीने कहा था कि पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष के कारण अपना घर छोड़ने वाले लोगों के लिए तीन से चार हजार घर बनाएगी.

पढ़ें: मणिपुर के मुद्दे पर INDIA से डर गई सरकार, बयान से बच रहे पीएम : विपक्षी सांसद

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं. राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

पीटीआई-भाषा

इंफाल: मणिपुर के मोरेह जिले में बुधवार को भीड़ ने कम से कम 30 घरों और दुकानों को आग लगा दी और सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. खाली पड़े ये घर म्यांमा सीमा के करीब मोरेह बाजार क्षेत्र में थे. आगजनी के बाद भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी भी हुई. अधिकारियों ने बताया कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि घटना कोई हताहत हुआ है या नहीं. अधिकारियों ने बताया कि यह आगजनी कांगपोकपी जिले में भीड़ द्वारा सुरक्षा बलों की दो बसों को आग के हवाले करने की घटना के एक दिन बाद हुई.

यह घटना सपोरमीना में उस समय हुई, जब बसें मंगलवार शाम दीमापुर से आ रही थीं. इस दौरान किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने मणिपुर की पंजीकरण संख्या वाली बस को सपोरमीना में रोक लिया और कहा कि वे इस बात की जांच करेंगे कि बस में कहीं दूसरे समुदाय का कोई सदस्य तो नहीं है. अधिकारियों ने बताया कि उनमें से कुछ लोगों ने बसों में आग लगा दी.

इस बीच, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि इंफाल के सजीवा और थौबल जिले के याइथिबी लोकोल में अस्थायी घरों का निर्माण पूरा होने वाला है. सिंह ने एक ट्वीट कर कहा, 'बहुत जल्द पीड़ित परिवार राहत शिविरों से इन घरों में जा सकेंगे. राज्य सरकार हाल की हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए पहाड़ियों और घाटी दोनों में हर संभव उपाय कर रही है.' मुख्यमंत्री ने पिछले महीने कहा था कि पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष के कारण अपना घर छोड़ने वाले लोगों के लिए तीन से चार हजार घर बनाएगी.

पढ़ें: मणिपुर के मुद्दे पर INDIA से डर गई सरकार, बयान से बच रहे पीएम : विपक्षी सांसद

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं. राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

पीटीआई-भाषा

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