देहरादून (उत्तराखंड): आगामी 10 जून को भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड होनी है. पासिंग आउट परेड (पीओपी) के बाद 332 कैडेट भारतीय सेना में अफसर बनेगे तो वहीं, सात मित्र राष्ट्रों के 42 विदेशी कैडेट भी अपने-अपने देश की सेना में सेवाएं देगे. भारतीय सैन्य अकादमी यानी आईएमए से पास आउट होकर सेना में अधिकारी बनने जा रहे ये जाबाज हर कठिन परिस्थितियों में दुश्मनों के दांत खट्टे ट्रेनिंग ले चुके हैं. आईएमए से पास आउट होने के बाद ये अफसर सरहदों की निगहबानी करेंगे.
IMA से निकलेंगे 374 जांबाज अधिकारीः 10 जून को होने वाली पासिंग आउट परेड वो मौका होगी, जब 374 सैन्य अधिकारी परेड के बाद अंतिम पग पार कर सैन्य अफसर बनेगे. ये उनके और पूरे देश के लिए गौरव का पल होगा. खास बात ये है कि इस बार भी मित्र देशों के 42 कैडेट पास आउट होंगे. भारतीय संस्कृति और सभ्यता के बीच खतरनाक ट्रेनिंग लेकर अपने देश की सेवा और रक्षा के लिए यहां से निकलेंगे. इस बार की परेड कई मामलों में खास होगी. क्योंकि, इस बार परेड से घोड़ा बग्घी की विदाई हो रही है तो वहीं मेहमान चमचमाती कारों में सलामी लेते हुए दिखाई देंगे. सिर्फ घोड़ा बग्घी ही नहीं बताया जा रहा है कि इस बार सेना ने पुरानी प्रथा के साथ पाइप बैंड को भी खत्म कर दिया है.
कई तरह के होंगे कार्यक्रमः परेड की तैयारियों को लेकर अकादमी प्रशासन भी जोरों शोरों पर जुटा हुआ है. सेना के तमाम बड़े अधिकारी और देश विदेश से आने वाले मेहमानों को कैसे लाया जाएगा? कहां पर बैठाया जाएगा? उनके रहने खाने पीने की सभी व्यवस्थाओं को लग्जरी तरीके से सेट किया जा रहा है. इतना ही नहीं अपने अंतिम ट्रेनिंग के दिनों में जवान भी खूब अपना पसीना बहा रहे हैं. पीओपी से पहले 8 जून को अवार्ड सेरेमनी कार्यक्रम होगा. इसमें सैन्य परीक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले के कैडेट को सैन्य के बड़े अधिकारी पुरस्कृत करेंगे.
इतना ही नहीं पुरस्कार मिलने के अगले दिन यानी 9 जून को ये सभी सैन्य अधिकारी मल्टी एक्टिविटी करते हैं. जिसमें रंगारंग कार्यक्रम से लेकर के परिवारों के साथ मेल मिलाप भी शामिल होता है. इस बार खासकर परेड से पहले ग्रेजुएशन सेरेमनी के दौरान आर्मी कैडेट कॉलेज ऑफ विंग के कैडेट को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की डिग्री से दीक्षित भी किया जाएगा. जिसमें कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम और प्रस्तुतियां भी होंगी.
POP की तैयारी तेज, रूट रहेगा डायवर्टः परेड की सलामी सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की अगुवाई में होगी. जिसके लिए सैन्य प्रशासन के साथ देहरादून जिला प्रशासन भी अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है. ऐसे में पीओपी के मद्देनजर रूट डायवर्ट किए जाएंगे. ताकि उनके आने जाने में किसी तरह की कोई दिक्कत है न हो, हालांकि परेड से पहले हमेशा से ही देहरादून और आईएमए से गुजरने वाली रूट को डायवर्ट किया जाता है. लिहाजा, 10 जून को अगर आप देहरादून आ रहे हैं तो रूट प्लान पढ़कर ही निकलें.
उत्तराखंड से निकलते सेना के अधिकारीः भले क्षेत्रफल और आबादी में उत्तराखंड भले ही छोटा सा राज्य हों, लेकिन जांबाज पैदा करने में किसी से कम नहीं. देश की आबादी में एक फीसद से भी कम हिस्सेदारी रखने वाला उत्तराखंड भारतीय सेना को अफसर देने में हमेशा से दूसरे या तीसरे नंबर पर रहता है. जबकि, उत्तराखंड से कहीं ज्यादा आबादी वाले राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से अफसर बनने वाले जांबाजों की संख्या बेहद कम होती है.
उत्तराखंड को वीरों की भूमि कहा जाता है. भारतीय सैन्य अकादमी के आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं. बीते तीन सालों में अकादमी से प्रत्येक टर्म में पास आउट होने वाले कैडेट्स में तीसरे नंबर पर उत्तराखंड के जवान रहे हैं. इस साल भी उत्तराखंड सेना को अफसर देने के मामले उम्मीद है, आगे ही रहेगा.