देहरादून (उत्तराखंड): लखनऊ कोर्ट परिसर में 7 जून बुधवार को पेशी के दौरान गैंगस्टर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. जीवा कभी कंपाउंडर हुआ करता था जो देखते ही देखते गैंगस्टर बन गया. जीवा का आतंक ना केवल उत्तर प्रदेश बल्कि कई राज्यों के साथ-साथ उत्तराखंड में भी था. खासकर तराई क्षेत्र रुड़की, हरिद्वार और उधम सिंह नगर के कई मामलों में संजीव जीवा का नाम आया था. इतना ही नहीं, उसने अपनी जिंदगी के कई साल हरिद्वार जेल में भी बिताए हैं.
कंपाउंडर से अपराधी बने जीवा ने उत्तराखंड में किये कई कांड: बताया जाता है कि संजीव जीवा कभी उत्तर प्रदेश में ही कंपाउंडर का काम करता था. हर कर्मचारी की तरह सुबह से शाम तक दवाखाने में ड्यूटी करने के बाद अपने घर जाता थे, लेकिन एक व्यक्ति से उधार के पैसे लेने के चक्कर में संजीव जीवा ने अपराध की दुनिया में कदम रखा और पीछे नहीं हटा. उत्तर प्रदेश के साथ-साथ जीवा उत्तराखंड में भी आता रहा. खासकर हरिद्वार के अपराध की दुनिया में भी जीवा का नाम आया.
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#WATCH | Injured police official brought to Civil Hospital in Lucknow. pic.twitter.com/B3blORgDQ6
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जीवा के वो अपराध जो चर्चा में रहे: हरिद्वार में दो भाइयों के हत्याकांड और उसके साथ एक बच्चे को मारने की घटना में भी संजीव जीवा का नाम आया. पार्षद अशोक शर्मा और टिल्लू की हत्या मामले में पहली बार उत्तराखंड में संजीव जीवा का नाम आया. बताया जाता है कि पार्षद अशोक और टिल्लू के साथ एक बच्चा भी जीवा की गोली का शिकार हो गया था. हुआ ये था कि एक 5 साल का बच्चा हरिद्वार ज्वालापुर स्थित बाजार में रसगुल्ले की दुकान पर रसगुल्ला खा रहा था. तभी जीवा और उसके कुछ शूटरों ने अशोक और टिल्लू पर हमला किया. इस हमले में उस बच्चे को भी गोली लगी, जिसमें उसकी मौके पर मौत हो गई थी.
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#WATCH | Uttar Pradesh: Gangster Sanjeev Jeeva shot outside the Lucknow Civil Court. Further details awaited
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(Note: Abusive language) pic.twitter.com/rIWyxtLuC4
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इस हत्याकांड के बाद पुलिस के खिलाफ भी बड़ा आंदोलन हुआ था. मामले में पुलिस ने कई लोगों के साथ संजीव जीवा को भी अभियुक्त बनाया. इसके बाद पार्किंग को लेकर हुए विवाद में हरिद्वार के ही नामचीन भारतीय हांडा की हत्या में भी जीवा का नाम आया. एक के बाद एक हत्या जैसे हरबीर हत्याकांड, ट्रैवल व्यापारी मुरारी के ऊपर फायरिंग, सुभाष सैनी के ऊपर हमले में भी जीवा का नाम आता रहा.
बसों की सीट से जीवा को जाता थै पैसा: जीवा का आतंक तराई के क्षेत्र में कुछ ऐसा था कि प्राइवेट बसें जो दिल्ली, जयपुर, आगरा, अलीगढ़ के लिए जाती हैं उससे प्रति सीट 100 रुपए जीवा के खाते में जाते थे. यह सब तब हुआ जब उसने ट्रैवल व्यापारी मुरारी और भारतीय हांडा पर हमले करवाए. उत्तराखंड में जीवा को काम देने वाला कोई और नहीं मुजफ्फरनगर का माफिया नफीस कालिया था. बाद में नफीस कालिया को भी गोलियों से भून दिया गया.
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हरिद्वार और रुड़की में फिरौती मांगते जीवा के गुर्गे: जीवा को हरिद्वार पुलिस नैनी जेल से तब लेकर आई जब हरिद्वार रेलवे स्टेशन के पास एक व्यापारी की हत्या हुई. शूटरों ने उसका नाम लिया. इतना ही नहीं, समय-समय पर जमीनों के मामले में भी संजीव जीवा का नाम आया. हरिद्वार के ही मुख्य चौराहे प्रेम नगर के पास एक बेशकीमती जमीन को हथियाने के लिए भी जीवा ने कई बार अपने गुर्गों को भेजा. हालांकि, आज भी वह जमीन विवादित है.
संजीव जीवा के गुर्गे हरिद्वार और आसपास के इलाकों में कई बार फिरौती मांगते रहे हैं. आज से लगभग 7 साल पहले रुड़की कोर्ट के बाहर हुए गैंगवार में संजीव जीवा का शूटर देव पाल राणा भी मारा जा चुका है. उसे यशपाल राणा ने ही मारा था. संजीव जीवा का नाम खासकर रुड़की में लोगों से उगाही, जमीन के कब्जे जैसे मामलों में कई बार आया.
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बुरे काम का बुरा नतीजा: संजीव जीवा को अपराधियों और अपराध से जुड़े लोगों ने तब समझा जब वह गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम की संपत्ति के ऑक्शन में मुंबई चला गया. बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश से बैठकर आज भी जीवा उत्तराखंड में अपना सिक्का जमा हुए था. सुनील राठी, सुशील मूंछ और अपराध की दुनिया में अपना नाम कमाने वाले तमाम अपराधी उत्तराखंड में जीवा को अपना आदर्श मानते थे. 7 जून 2023 को लखनऊ कोर्ट परिसर में जीवा की हत्या कर दी गई. वकील के कपड़ों में आए शूटर ने संजीव जीवा पर ताबड़तोड़ गोलियां दाग दीं. संजीव जीवा को गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के शूटर मुन्ना बजरंगी का करीबी बताया जाता है.