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उत्तराखंडः धामी सरकार के धर्मांतरण कानून के खिलाफ बौद्धों ने उठाई आवाज, HC जाने पर रणनीति

बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने उत्तराखंड सरकार के धर्मांतरण कानून के खिलाफ आवाज उठाई है. उन्होंने कहा कि कानून के जरिए एससी, एसटी के जो लोग अपने घर में वापसी कर रहे हैं, सरकार उन्हें डराने का काम कर रही है. यह समाज सरकार की तानाशाही बिल्कुल नहीं चलने देगा.

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Published : Nov 18, 2022, 12:37 PM IST

काशीपुरः पुष्कर सिंह धामी सरकार ने कैबिनेट बैठक में धर्मांतरण रोधी कानून में जबरन धर्मांतरण के दोषी के लिए सजा के प्रावधान को 2 साल से बढ़ाकर 10 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. लेकिन अब प्रस्ताव का विरोध शुरू (Raised voice against conversion law) हो गया है. कानून के विरोध की शुरुआत काशीपुर से हो गई है. काशीपुर में बौद्ध धर्म के अनुयायी धर्मांतरण कानून के खिलाफ हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कह रहे हैं.

काशीपुर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने एक बैठक के माध्यम से चर्चा कर कानून को न्यायालय में चुनौती देने की बात कही. डॉ. अंबेडकर पार्क जन कल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्रहास गौतम ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार सत्ता के नशे में चूर हो गई है. सरकार भारतीय संविधान का सीधा-सीधा उल्लंघन कर रही है. सरकार किसी भी तरह का कानून लेकर आती है तो हम अधिवक्ताओं के साथ विचार विमर्श करके उच्च न्यायालय में चुनौती देकर कानून को खारिज कराने का काम करेंगे.

धामी सरकार के धर्मांतरण कानून के खिलाफ बौद्धों ने उठाई आवाज.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में यूपी जैसा सख्त होगा धर्मांतरण कानून, सामूहिक धर्म परिवर्तन की सजा 10 साल

उन्होंने बताया कि इस कानून के जरिए एससी, एसटी के जो लोग अपने घर में वापसी कर रहे हैं. सरकार उन्हें डराने का काम कर रही है. यह समाज सरकार की तानाशाही बिल्कुल नहीं चलने देगा.

गौरतलब है कि काशीपुर के रामनगर रोड स्थित ग्राम भोगपुर, प्रतापपुर स्थित डॉ. अंबेडकर पार्क में कुछ दिन पहले 300 लोगों ने हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर बौद्ध धर्म अपनाया था. काशीपुर में आयोजित कार्यक्रम में धम्म देशना और धम्म दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया था. समारोह में 300 से अधिक हिन्दुओं ने गौतम बुद्ध की 22 प्रतिज्ञा लेकर बौद्ध धर्म अपनाया था. इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री दद्दू प्रसाद ने शिरकत की थी.

ऐसा होगा उत्तराखंड का धर्मांतरण कानून

1.उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश धर्मांतरण कानून की तर्ज पर एक सख्त धर्मांतरण कानून लाया जाएगा. इसके ज्यादातर नियम उत्तर प्रदेश धर्मांतरण कानून से मेल खाते हैं.
2.दो या दो से अधिक लोगों के धर्म परिवर्तन को सामूहिक धर्म परिवर्तन समझा जाएगा और यह भी इस कानून के तहत आयेगा जिसे संगीन अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
3.उत्तराखंड के धर्मांतरण विधेयक में अब तक 1 से 5 साल तक की सजा का प्रावधान था. इसे बढ़ाकर 2 से 7 साल तक कर दिया गया है.
4.सामूहिक धर्म परिवर्तन की स्थिति में इस सजा को बढ़ाकर 10 साल तक किया जा सकता है. वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध की श्रेणी में माना गया है.
5.धर्म परिवर्तन के मामले में 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार तक का आर्थिक दंड लगाया जा सकता है. वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में यह आर्थिक दंड 50 हजार तक लगाया जा सकता है.
6.धर्म परिवर्तन करने की स्थिति में पहले 7 दिन पूर्व जिला मजिस्ट्रेट की उद्घोषणा अनिवार्य थी तो वहीं अब इसे कम से कम 1 माह पूर्व कर दिया गया है.
ये भी पढ़ेंः धामी कैबिनेट का बड़ा फैसला, नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट होगा हाईकोर्ट, धर्मांतरण कानून को भी मंजूरी

यूपी के धर्मांतरण कानून में ये है खास

1.धर्मांतरण में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को ‘अपराध’ की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल हो सकती है.
2.जुर्माने की राशि 15,000 रुपये से 50,000 रुपये तक है.
3.अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है.
4.कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर न्यूनतम 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल की कैद का प्रावधान है.
5.एससी/एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल जेल की सजा का प्रावधान है.
6.जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए जेल की सजा तीन से 10 साल और जुर्माना 50,000 रुपये है.
7.कानून के मुताबिक, यदि यह पाया जाता है कि विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था, तो ऐसी शादियों को अवैध करार दे दिया जाएगा.

उत्तराखंड में बौद्धों की जनसंख्या: उत्तराखंड में 2011 की जनगणना के अनुसार 0.15 फीसदी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे. इसी जनगणना के अनुसार तब 10,086,292 की जनसंख्या वाले उत्तराखंड में बौद्धों की संख्या 14,926 थी. 2022 में उत्तराखंड में बौद्धों की अनुमानित संख्या 17,314 आंकी जा रही है. यानी बौद्ध धर्म के अनुयायी बढ़े हैं.

काशीपुरः पुष्कर सिंह धामी सरकार ने कैबिनेट बैठक में धर्मांतरण रोधी कानून में जबरन धर्मांतरण के दोषी के लिए सजा के प्रावधान को 2 साल से बढ़ाकर 10 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. लेकिन अब प्रस्ताव का विरोध शुरू (Raised voice against conversion law) हो गया है. कानून के विरोध की शुरुआत काशीपुर से हो गई है. काशीपुर में बौद्ध धर्म के अनुयायी धर्मांतरण कानून के खिलाफ हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कह रहे हैं.

काशीपुर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने एक बैठक के माध्यम से चर्चा कर कानून को न्यायालय में चुनौती देने की बात कही. डॉ. अंबेडकर पार्क जन कल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्रहास गौतम ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार सत्ता के नशे में चूर हो गई है. सरकार भारतीय संविधान का सीधा-सीधा उल्लंघन कर रही है. सरकार किसी भी तरह का कानून लेकर आती है तो हम अधिवक्ताओं के साथ विचार विमर्श करके उच्च न्यायालय में चुनौती देकर कानून को खारिज कराने का काम करेंगे.

धामी सरकार के धर्मांतरण कानून के खिलाफ बौद्धों ने उठाई आवाज.

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उन्होंने बताया कि इस कानून के जरिए एससी, एसटी के जो लोग अपने घर में वापसी कर रहे हैं. सरकार उन्हें डराने का काम कर रही है. यह समाज सरकार की तानाशाही बिल्कुल नहीं चलने देगा.

गौरतलब है कि काशीपुर के रामनगर रोड स्थित ग्राम भोगपुर, प्रतापपुर स्थित डॉ. अंबेडकर पार्क में कुछ दिन पहले 300 लोगों ने हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर बौद्ध धर्म अपनाया था. काशीपुर में आयोजित कार्यक्रम में धम्म देशना और धम्म दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया था. समारोह में 300 से अधिक हिन्दुओं ने गौतम बुद्ध की 22 प्रतिज्ञा लेकर बौद्ध धर्म अपनाया था. इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री दद्दू प्रसाद ने शिरकत की थी.

ऐसा होगा उत्तराखंड का धर्मांतरण कानून

1.उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश धर्मांतरण कानून की तर्ज पर एक सख्त धर्मांतरण कानून लाया जाएगा. इसके ज्यादातर नियम उत्तर प्रदेश धर्मांतरण कानून से मेल खाते हैं.
2.दो या दो से अधिक लोगों के धर्म परिवर्तन को सामूहिक धर्म परिवर्तन समझा जाएगा और यह भी इस कानून के तहत आयेगा जिसे संगीन अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
3.उत्तराखंड के धर्मांतरण विधेयक में अब तक 1 से 5 साल तक की सजा का प्रावधान था. इसे बढ़ाकर 2 से 7 साल तक कर दिया गया है.
4.सामूहिक धर्म परिवर्तन की स्थिति में इस सजा को बढ़ाकर 10 साल तक किया जा सकता है. वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध की श्रेणी में माना गया है.
5.धर्म परिवर्तन के मामले में 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार तक का आर्थिक दंड लगाया जा सकता है. वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में यह आर्थिक दंड 50 हजार तक लगाया जा सकता है.
6.धर्म परिवर्तन करने की स्थिति में पहले 7 दिन पूर्व जिला मजिस्ट्रेट की उद्घोषणा अनिवार्य थी तो वहीं अब इसे कम से कम 1 माह पूर्व कर दिया गया है.
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यूपी के धर्मांतरण कानून में ये है खास

1.धर्मांतरण में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को ‘अपराध’ की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल हो सकती है.
2.जुर्माने की राशि 15,000 रुपये से 50,000 रुपये तक है.
3.अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है.
4.कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर न्यूनतम 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल की कैद का प्रावधान है.
5.एससी/एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल जेल की सजा का प्रावधान है.
6.जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए जेल की सजा तीन से 10 साल और जुर्माना 50,000 रुपये है.
7.कानून के मुताबिक, यदि यह पाया जाता है कि विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था, तो ऐसी शादियों को अवैध करार दे दिया जाएगा.

उत्तराखंड में बौद्धों की जनसंख्या: उत्तराखंड में 2011 की जनगणना के अनुसार 0.15 फीसदी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे. इसी जनगणना के अनुसार तब 10,086,292 की जनसंख्या वाले उत्तराखंड में बौद्धों की संख्या 14,926 थी. 2022 में उत्तराखंड में बौद्धों की अनुमानित संख्या 17,314 आंकी जा रही है. यानी बौद्ध धर्म के अनुयायी बढ़े हैं.

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